शनिवार, 28 अक्तूबर 2023

ट्यूमर को निकालने के लिए अब ब्रेन की दो सर्जरी नहीं करनी होगी, एक ही सर्जरी में पूरा ट्यूमर

 





स्कल बेस सर्जन सोसाइटी ऑफ इण्डिया सम्मेलन


पिट्यूटरी ग्लैंड ट्यूमर की सर्जरी के बाद आगे नहीं होगी परेशानी



संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान(एसजीपीजीआई) में शुरू हुई स्कल बेस सर्जन सोसाइटी ऑफ इण्डिया के तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन ‘बेसकॉन-2023’ में न्यूरो सर्जन्स ने, पियूट्रीग्रंथि के ट्यूमर की लाइव सर्जरी के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों से रूबरू कराया,जिन्हें अमूमन चिकित्सक नजरअंदाज करते हैं और भविष्य में समस्याएं जन्म लेती हैं। इसी प्रकार ब्रेन में नो सर्जरी जोन कहे जाने वाले कैनेवरस साइनस पोसा टयूमर, जिसके इलाज देश में चुनिंदा संस्थानों को ही महारत हासिल है, लाइव सर्जरी द्वारा डेलीगेट्स सर्जन्स को समझाया गया है। इसके अलावा आयोजन सचिव प्रो.अरूण श्रीवास्तव ने बताया कि कैवेनरस साइनस पोसा ट्यूमर, जो कि स्कल के दो भागों के मध्य होता है, में ट्यूमर की अत्यंत जटिल सर्जरी, जिसे अभी तक केवल एम्स,हीम्स, पीजीआई चंढ़ीगढ़ व लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में ही होती है। दूसरी तरफ एसजीपीजीआई की ओटी में संपन्न होने वाली सर्जरी को ही, केजीएमयू के डॉ.क्षितिज श्रीवास्तव ने कैडेवर पर लाइव प्रसारण द्वारा इंडोस्कोपिक, कैवेरस साइनस और टेम्पोरल बांड डिशक्शन की सर्जरी से डेलीगेट्स को समझाई। 


       कैवेनर साइनस पोसा ट्यूमर की जटिल सर्जरी


 सिर में आगे से लेकर पिछले हिस्से तक फैल चुके ट्यूमर को निकालने के लिए अब ब्रेन की दो सर्जरी नहीं करनी होगी, एक ही सर्जरी में पूरा ट्यूमर निकालने की सफलता मिल चुकी है। एसजीपीजीआई के न्यूरो सर्जन एवं कार्यशाला आयोजन सचिव डॉ.अरूण श्रीवास्तव ने बताया कि दिमाग के बीच में मिडिल पोसा को खोलकर, नीचे की हड्डी (पोस्टियर पोसा) को हटाकर स्कल के पिछले हिस्से तक पहुंचते हैं, और सावधानी पूर्वक पूरा ट्यूमर एक ही बार में निकाल देते हैं। उन्होंने बताया, नो सर्जरी जोन की संज्ञा से परिभाषित कैनेवर साइनस की सर्जरी उच्च संस्थानों में होने लगी है। इस हिस्से से शरीर की आंख और चेहरे को कंट्रोल करने वाली नसे मात्र एक से डेढ़ सेमी के दायरे में रहती हैं, साथ ही दिमाग को खून सप्लाई करने वाली कैरोनरी आर्टरी भी समीप से गुजरती है, अर्थात अतिसंवेदनशील नर्व का जंक्शन होता है। मामूली असावधानी भी शरीर के अंगों को प्रभावित न कर दे, इसलिए डॉक्टर सर्जरी करने से परहेज करते हैं। अन्यथा आंख की रोशनी जा सकती है, चेहरा सुन्न हो सकता है, आर्टरी प्रभावित होने से लकवा पड़ सकता है।

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