शनिवार, 14 अक्तूबर 2023

लकवा के बाद भी लौट सकता है हाथ और पैर में दम लेकिन न करें देर

 





लकवा के बाद भी लौट सकता है हाथ और पैर में दम लेकिन न करें देर


फिजिकल ट्रीटमेंट से 50 से 60 फीसदी लोगों में पहले जैसे आ सकता है दम


 


अवध एसोसिएशन आफ फिजिकल मेडिसिन का एपेक्स ट्रामा सेंटर में सेमिनार


 


ब्रेन स्ट्रोक, सिर की चोट, रीढ़ की हड्डी की चोट (एससीआई) और मल्टीपल स्केलेरोसिस  की वजह से 90 फीसदी से अधिक मामलों में हाथ-पैर में कमजोरी या बिल्कुल शक्ति कम हो जाती है। इलाज के बाद भी शरीर के अंगों में कमजोरी दूर नहीं होती है। मरीज परिजनों पर निर्भर हो जाता है। परिजन भी सोचते है कि इलाज से वापस पहले वाली स्थिति नहीं आ पायी । ऐसे में फिजिकल मेडिसिन रिहैबिलिटेशन काफी कारगर साबित हो सकती है। दवा, सर्जरी, स्पेलिंग, ऑक्युपेशनल थेरेपी और वोकेशनल थेरेपी के जरिए काफी हद तक सुधारा जा सकता है। 50 से 60 फीसदी लोग पहले की तरह काम पर जाने लायक हो जाते है। 


संजय गांधी पीजीआई के एपेक्स ट्रामा सेंटर में फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग द्वारा अवध एसोसिएशन आफ फिजिकल मेडिसिन के सेमिनार में विभाग के प्रो. सिद्धार्थ राय ने बताया कि इलाज के 6 से 7 महीने बाद परिजन मरीज को लेकर आते है । ऐसे में इलाज की सफलता दर काफी कम हो जाती है। ब्रेन स्ट्रोक या स्पाइन इंजरी के इलाज के तुरंत बाद यदि फिजिकल ट्रीटमेंट शुरू किया जाए तो सफलता दर काफी बढ़ जाती है।उच्च रक्तचाप रोड एक्सीडेंट का ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन इंजरी का बड़ा कारण है। स्पाइनल कॉर्ड इंजरी रोड एक्सीडेंट का बड़ा कारण है। ट्रामा सेंटर के प्रभारी एवं न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. राजकुमार एवं चिकित्सा अधीक्षक एवं अस्पताल विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश हर्ष वर्धन ने कहा कि एपेक्स ट्रामा सेंटर का फिजिकल मेडिसिन विभाग प्रदेश के किसी भी ट्रामा सेंटर का पहला विभाग है। हर ट्रामा सेंटर में इस विभाग की जरूरत है। फिजिकल ट्रीटमेंट से बीमारी के कारण हाथ- पैर की आयी कमजोरी को दूर कर व्यक्ति के सामान्य जिंदगी दी जा सकती है। किंग जॉर्ज मेडिकल विवि के पीएमआर विभाग के प्रमुख प्रो, अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि नए विभाग स्थापित करने में वह स्तर पर मदद कर रहे हैं। सेमिनार में लोहिया संस्थान, एम्स गोरखपुर, केजीएमयू सहित अन्य संस्थानों से 150 से अधिक लोगों ने जानकारी हासिल की।  



 


कई तरह का होता है लकवा


 


 मोनोप्लेजिया - जहां एक अंग लकवाग्रस्त हो जाता है, हेमिप्लेजिया - जहां शरीर के एक तरफ के हाथ और पैर लकवाग्रस्त हो जाते हैं, पैराप्लेजिया - जहां दोनों पैर और कभी-कभी श्रोणि और शरीर के कुछ निचले हिस्से लकवाग्रस्त हो जाते हैं, टेट्राप्लेजिया - जहां दोनों हाथ और पैर लकवाग्रस्त हो जाते हैं (जिसे क्वाड्रीप्लेजिया भी कहा जाता है)। 


 


लकवा का इलाज न होने पर हो सकती है कई परेशानी


 


लंबे समय तक पक्षाघात का इलाज न किए जाने पर प्रभावित हिस्से की ' मांसपेशियां और ऊतक बर्बाद हो सकते हैं।  मूत्र असंयम (मूत्र के प्रवाह को नियंत्रित करने में असमर्थता) और आंत्र असंयम (जहां मल पीछे के मार्ग से लीक होता है) हो सकता है।  दबाव अल्सर या बेड शोर  (घाव जो तब विकसित होते हैं जब ऊतक के प्रभावित क्षेत्र को बहुत अधिक दबाव में रखा जाता है) ।

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