पांच मिनट में लगेगा रक्त स्राव या रक्त थक्का समय से पहले बनने का पता
आशंका का पता लगा कर तय होती इलाज की दिशा मिलती है मरीज को राहत
दोनो ही स्थिति मरीज के जीवन पर पड़ सकता है भारी
पीजीआई ने स्थापित किया थ्रंबोइलास्टोग्राफी परीक्षण तकनीक
कोरोना सहित तमाम बीमारियों में रक्त का थक्का( थ्रोम्बोसिस) बन जाता है या रक्तस्राव( लाइसिस) होता है । यह दोनों स्थित मरीजों के जिंदगी पर भारी पड़ सकती है। इन दोनों स्थिति का पता यदि थोड़ा पहले लग जाए तो इलाज की दिशा तय कर काफी लोगों को बचाया जा सकता है। अब ऐसा संभव हो गया है कि इन दोनों स्थिति का पता एक से दो घंटे पहले लगा कर इलाज की दिशा तय की जा सकती है। यह थ्रंबो इलास्टोग्राफी परीक्षण तकनीक से संभव हुआ है। संजय गांधी पीजीआई के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक दूसरी बीमारियों में इस तकनीक का परीक्षण करने के बाद हम लोगों मरीजों में इस तकनीक की उपयोगिता साबित किया है। इस शोध को हम लोगों ने हाल में रिसर्च शो केस में भी प्रस्तुत किया। प्रो. राहुल कथारिया कहते है कि थ्रंबो इलास्टोग्राफी जांच तकनीक में हम लोग ग्लोबल हीमोस्टैसिस टेस्ट करते है जिसमें रक्त थक्का बनने और रक्त के लाइसिस होने का समय से साथ ग्राफ मिलता है जिससे पता लग जाता है मरीज के रक्त में कब किस समय रक्त की क्या स्थिति होने वाली है। मरीज का दो मिलीलीटर रक्त लेकर तुरंत जांच करना होता है। प्रो. राहुल के मुताबिक पूरा टेस्ट होने में 30 मिनट से अधिक का समय लगता है लेकिन टेस्ट शुरू करने के पांच से सात मिनट में ही काफी हद तक अंदाजा मिल जाता है जिसके आधार पर हम चिकित्सक को इलाज की दिशा तय करने के लिए आगाह कर देते है।
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