चार साल बाद पीजीआई ने आइएलबीएस के साथ
दिया लिवर ट्रांसप्लांट को अंजाम
आटोइम्यून डिजीज के कारण नहीं काम रहा था लिवर
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान ने आईएलबीएस (इंस्टिट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलरी साइंस) दिल्ली के विशेषज्ञों के साथ मिल कर लिवर ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया। सर्जरी के बाद सब ठीक रहने के बाद शुक्रवार को मरीज( लिवर प्राप्तकर्ता) को छुट्टी दी गयी। जनवरी 2019 के बाद संस्थान में लिवर ट्रांसप्लांट ठप हो गया था जिसे दोबारा शुरू किया गया। 12 फरवरी में नए सिरे से तैयारी के बाद लिवर ट्रांसप्लांट किया गया जो सफल रहा। डोनर को ऑपरेशन के पश्चात सब कुछ सामान्य होने पर आज रोगी को पूर्ण स्वतंत्र अवस्था में डिस्चार्ज किया गया।
बहन ने दिया बहन को लिवर
गोरखपुर की निवासी 18 वर्षीय बालिका( साहिबा) आटो इम्यून डिजीज से ग्रस्त थी जिसके कारण लिवर काम करना बंद कर दिया था। इसका इलाज लिवर ट्रांसप्लांट ही था। इनकी 26 वर्षीय बड़ी बहन( करीमुन ) ने जो चार बच्चों की एक स्वस्थ मां है ने अपने लिवर का बाया लोब प्रत्यारोपण के लिए दिया। लगभग 15 घंटे चली सर्जरी के बाद इस सर्जरी को अंजाम दिया। सर्जरी के बाद सभी मानक सही होने पर विशेषज्ञों ने राहत की सांस ली।
15 लाख आया खर्च जिसे सरकारी योजना से जुटाया
अब संस्थान में लिवर प्रत्यारोपण सेवा नियमित आधार पर प्रदान की जाएंगी। इस प्रत्यारोपण की कुल लागत (प्रदाता और प्राप्तकर्ता दोनो को मिला कर) 15 लाख से भी कम आई है, जिसके लिये विभिन्न सरकारी योजनाओं से सहयोग जुटाया गया
इस टीम के किया सफल प्रत्यारोपण
पी जी आई की टीम में हेपेटोलॉजिस्ट प्रो. आर के धीमन, डा. आकाश रॉय, डॉ सुरेंद्र सिंह, सर्जिकल टीम में प्रो. राजन सक्सेना, प्रो. आरके सिंह, डॉ सुप्रिया शर्मा, डॉ. राहुल और डा. आशीष सिंह । एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर टीम से प्रो. देवेंद्र गुप्ता, डा. दिव्या श्रीवास्तव, डा. रफत शमीम, डा. तापस सिंह. पैथोलॉजी डॉ नेहा निगम माइक्रोबायोलॉजी प्रो. आर एस के मारक, डॉ रिचा मिश्रा व डॉ चिन्मय साहू । दिल्ली की आईएलबीएस से प्रो. वी पमेचा के नेतृत्व में 6 सदस्य शामिल थे। एचआरएफ से प्रभारी अभय मेहरोत्रा, एचआरएफ यूनिट शिवेंद्र मिश्रा, अऩिता , पूजा, लैब टेक्नोलाजिस्ट अऩिल वर्मा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें