30 फीसदी मरीज सही विभाग सही विशेषज्ञ के पास नहीं पहुंच पाते है
सुपरस्पेशल्टी अस्पतालों में 70 फीसदी मरीजों का गलत होता है रेफरल
70 फीसदी से अधिक मरीज सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में गलत रेफर हो कर आते है जिसके कारण इनमें से 30 फीसदी से अधिक मरीजों सही विभाग और सही विशेषज्ञ के पास इलाज के लिए जिस दिन आते है उस दिन नहीं पहुंच पाते है। शाम तक जब डॉक्टर के पास नंबर आता है तो पता चलता है कि इनकी बीमारी दूसरे विभाग की है फिर वह विभाग सही डॉक्टर या विभाग के पास इलाज के लिए रेफर करते है। इसलिए किसी भी बडे अस्पताल के लिए रेफर करते समय सही तरीके से रेफरेंस लेटर चिकित्सक को बनाना चाहिए। संजय स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में आल इंडिया एसोसिएशन आफ मेडिकल सोशल वर्क प्रोफेसनल के 9 वें वार्षिक अधिवेशन में आयोजक डा. आरपी सिंह ने बताया कि हमने देखा है कि रिफर करने वाले डॉक्टर मरीज के पर्चे पर लिखते है रिफर टू हायर सेंटर मरीज हायर सेंटर पर जब आते है तो सही बीमारी और विभाग न लिखे होने के कारण कई बार गलत विभाग में पंजीकृत हो जाते है। हमने एसजीपीजीआई, मेडिकल विवि, लोहिया संस्थान, सैफई जैसे बडे संस्थान में मरीजों पर शोध के पाया कि 70 फीसदी मरीज बिना सही रेफरेंस के आते है। इसलिए मरीज को जागरूक होना पड़ेगा। रिफर कराते समय सही विभाग और बीमारी रिफर लेटर पर लिखा हो इसका ध्यान रखें। मेडिकल सोशल वेलफेयर ऑफिसर रमेश कुमार ने कहा कि 60 फीसदी मरीज जब अस्पताल आते है उनके लिए अस्पताल का वातावरण नया होता है ऐसे में मेडिकल सोशल वेलफेयर ऑफिसर( एमएसओ) की भूमिका बढ़ जाती है। सैफई संस्थान के निदेशक प्रो. पीके सिंह, संस्थान के निदेशक प्रो.आरके धीमन, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. गौरव अग्रवाल और लोहिया ला कॉलेज के पूर्व कुलपति प्रो. बलराज चौहान ने एमएसओ की भूमिका पर प्रकाश डाला।
बीच में न बंद करें दवा
एमएसओ दिव्या सिंह, मदांसा द्विवेदी, अवनीश त्रिपाठी, ने बताया कि कई बार मरीज दवा बीच में बंद करत देते क्यों कि उन्हें परेशानी से आराम मिल जाता है जिसमें डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, दिल, टीबी , न्यूरोला जिस्कल सहित अन्य में देखने को मिलता है। मरीजों को इलाज पूरा करने के लिए काउंसलिंग में एमएसओओ की अहम भूमिका है।
40 फीसदी मरीजों को होती है फाइनेंशियल हेल्प की जरूरत
डा. आरपी सिंह ने बताया कि सरकारी अस्पताल में आने वाले 40 फीसदी से अधिक लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है इन्हें फाइनसिय़ल सपोर्ट की जरूरत होती है जिसके आयुष्मान , आसाध्य रोग, काम धेनु से सहायता योजना सरकार और संस्थान संचालित है। हम लोग दो से तीन फीसदी लोगों को ही मदद दे पा रहे है। मदद दिलाने में एमएसओ की अहम भूमिका है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें