बीपाल 6 महीने में ठीक करेगा एमडीआर टीबी
नई दवाओं से एमडीआर टीबी का इलाज समय घटा
टीबी के फर्स्ट लाइन दवाओं से प्रतिरोध होने की दशा में एमडीआर( मल्टी ड्रग रजिस्टेंस) हो जाता है जिसमें इलाज के लिए दूसरी दवाएं देनी होती है। पहले एमडीआर के मामले में 24 महीने इलाज देना होता था लेकिन कई नई दवाएं आ गयी है जिससे इलाज 18 महीने में ही पूरा हो जाता है। बेडाक्वीलिन दवा से ऐसा संभव हुआ है। यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई में विश्व टीबी दिवस दिवस पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में संस्थान के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. आलोक नाथ ने दी। बीपाल रेजीमेंट ( गाइडलाइन ) भी है जिसमें 6 महीने में टीबी का पूरा इलाज संभव है। पूरी तरह से मौखिक, तीन-दवा आहार है जिसका उपयोग टीबी के अत्यधिक दवा प्रतिरोधी रूपों वाले लोगों के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें एंटीबायोटिक प्रीटोमेनिड के साथ-साथ दो अन्य एंटीबायोटिक्स शामिल हैं बेडाक्विलाइन और लाइनज़ोलिड। साल भारत में दवा नियामक द्वारा बीपीएल आहार को मंजूरी दी गई थी। मेडिकल विवि के प्रो. सूर्यकांत ने कहा कि 2025 तक टीबी खत्म करने के लिए मिशन मोड पर काम करने की जरूरत है। एसजीपीजीआई के प्रो. जिया हाशिम ने टीबी के लक्षण दिखते है तुरंत जांच कराने की सलाह दिया।
कहीं टीबी का गलत इलाज तो नहीं
डॉक्टरों और मरीजों को इलाज के प्रति जागरूक करना होगा। टीबी का इलाज सभी डॉक्टर कर रहे है लेकिन जानकारी न होने की वजह से हर सप्ताह दो से तीन मरीज ऐसे आते है जिनमें दवा का पर्चा गलत होता है। प्रो. आलोक नाथ का कहना है कि इन पर्चों में एमडीआर का पता न होना, दवा की सही मात्रा न होना देखने को मिलता है। नेशनल एकेडमी आफ मेडिकल साइंस के प्रो. इमिरेटस प्रो. राजेंद्र प्रसाद कहते है कि हमने स्टडी किया तो देखा कि गलत इलाज 40 फीसदी लोगों में गलत इलाज देखने को मिला। इस लिए सामान्य चिकित्सकों के लिए भी एजुकेशनल प्रोग्राम चलाने की जरूरत है।
50 हजार ही पा रहे है इलाज
प्रो. राजेंद्र प्रसाद के मुताबिक पिछले साल एक लाख 24 नए एमडीआर के केस सामने आए जिसमें 50 हजार को ही इलाज मिल रहा है बाकी लोग लोगों को खोज कर इलाज देना जरूरी है क्योंकि यह तमाम लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। सबसे अधिक पल्मोनरी टीबी से संक्रमण का खतरा रहता है। एमडीआर से बचाव के लिए जरूरी है कि सही मात्रा पर सही समय तक इलाज ले कर ही बचा जा सकता है।
12 बच्चों को डॉक्टरों ने लिया जिम्मा
टीबी ग्रस्त 12 बच्चों के पोषण और इलाज का जिम्मा डा. प्रीति दबड घाव, प्रो. अमिता अग्रवाल. डा. मोइनक सेन , डा. भावना सहित अन्य लोगों ने लिया। प्रदेश में अभी राज्यपाल के अपील 38 हजार बच्चों का जिम्मा पोषण के लिए गया है।
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