सोमवार, 7 मार्च 2022

समय से पहले जन्म और कम है वजन तो सुनने की क्षमता प्रभावित होने की आशंका

 






पीजीआई में विश्व श्रवण दिवस पर सुनो-सुनाओ  

पीजीआई ने तय किया अनावश्यक नहीं बचाएंगे हार्न

समय से पहले जन्म और कम है वजन तो सुनने की क्षमता प्रभावित होने की आशंका

 

जागरण संवाददाता। लखनऊ

 

समय से पहले और कम वजन के साथ जन्म लेने शिशुओं में सुनने की परेशानी की आशंका सामान्य शिशुओं के मुकाबले अधिक होती है। इन शिशुओं में तुरंत सुनने की क्षमता का आकलन करने की जरूरत है। आगे के इलाज के लिए विशेषज्ञ से सलाह लेने की जरूरत है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में विश्व श्रवण दिवस के मौके पर सुनो-सुनाओ जागरूकता के कार्यक्रम में न्यूरो ओंटोलॉजी विभाग के प्रो.अमित केशरी ने बताया कि हम लोग सुनने की परेशानी को दूर करने के लिए कॉक्लियर इंप्लांट कर रहे है। इससे काफी बच्चों का लाभ मिला है। विशेषज्ञों ने बताया कि सुनने की क्षमता कम है या नहीं है तो शिशु के  दिमाग का विकास  प्रभावित होता है। सुनने की कमी का इलाज जितना जल्दी संभव हो कराने की जरूरत है। सुनने की क्षमता का पता आडियो टेस्ट से होता है जिसे टेक्नोलॉजिस्ट केके चौधरी, आरके श्रीवास्तव अंजाम देते हैं।  

 नियोनेटल विभाग की प्रो. कृति ने बताया कि  संस्थान के नियोनेटल विभाग संस्थान में  जन्म लेने सभी शिशुओं के सुनने की क्षमता का परीक्षण करता है जिसमें पांच मिनट का समय लगता है। फिजिशियन डा. प्रेरणा कपूर ने कहा कि  बताया कि हम लोगों ने तय किया संस्थान परिसर और आप-पास हम लोग हार्न का इस्तेमाल नहीं करेंगे। आवाज जब शोर बन जाता है तो वह सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। रोज पर हार्न , तेज आवाज में संगीत सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे कम करता है। हार्न न बजाने की शुरुआत हम सभी को करनी है। नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. नरायन प्रसाद ने कहा कि किडनी से प्रभावित बच्चों में सुनने की क्षमता में कमी  देखने के मिलती है। निदेशक प्रो. आरके धीमन और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. गौरव अग्रवाल ने विभाग के कार्य पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि श्रवण शक्ति में कमी के परेशानी दूर करने के लिए हर स्तर पर कोशिश जारी रहेगी। प्रो. धीमन ने कहा कि बड़ों में भी संक्रमण के कारण सुनने की परेशानी हो सकती है।  

 

अब हम भी सुन सकते है

 अब मेरी बेटी भी दूसरे बच्चों की तरह आगे बढेगी। काकोरी निवासी पूजा बताती है कि उनकी बेटी में सुनने की परेशानी पांच महीने की थी तब पता लगा जिसके बाद हम लोग काफी परेशान हुए। मेडिकल विवि में दिखाया तो वहां से यहां भेजा गया दो नवंबर 2021 में  बेटी में कॉक्लियर इंप्लांट लगा है। अब वह सुनने लगी है। कॉक्लियर इंप्लांट करा चुके बच्चों ने कविता सुना कर साबित किया कि वह अब दूसरे बच्चों की तरह वह सब कर सकते है जो सामान्य बच्चे करते है। कार्यक्रम में कॉक्लियर इंप्लांट करा चुके 15 से अधिक बच्चों ने भाग लिया।

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