सोमवार, 21 मार्च 2022

एनीमिया से छुटकारा दिलाएगा बिना साइड इफेक्ट एफईए( फेरस एस्कॉर्बेट)

 गर्भवती को एनीमिया से छुटकारा दिलाएगा बिना साइड इफेक्ट एफईए





एनीमिया से निपटने में फेरस एस्कॉर्बेट को बताया बेस्ट

 भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने प्रचलित रसायन को लेकर कराया शोध

 कुमार संजय। लखनऊ

 गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया (आईडीए ) पोषण की कमी से होता है।  मां के साथ-साथ भ्रूण के स्वास्थ्य पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इस परेशानी में खाने के लिए आयरन सप्लीमेंट इलाज के लिए दिया जाता है। आयरन सप्लीमेंट के रूप में फेरस सल्फेट,  आयरन हाइड्रॉक्साइड पॉलीमाल्टोज कॉम्प्लेक्स (आईपीसी) और फेरस एस्कॉर्बेट (एफईए) रसायन को दिया जाता है। देखा गया है कि यह रसायन   गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्यूकोसा के लिए विषाक्त होते है।  परेशानी को सह नहीं पाती है हैं। दवा कई बार बंद हो जाती है। इस परेशानी का हल खोजने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने शोध कराया जिसमें देखा गया कि फेरस एस्कॉर्बेट (एफईए) बाकी दोनों के मुकाबले बेहतर है। हीमोग्लोबिन का स्तर तो बढ़ता ही साथ में पेट की परेशानी भी कम होती है। विशेषज्ञों ने 50-50 के तीन वर्ग को तीनों अलग आयरन सप्लीमेंट देने के 90 दिन बाद हीमोग्लोबिन का स्तर देखा तो पाया फेरस सल्फेट (  एफएस) वर्ग के  की तुलना में फेरस एस्कॉर्बेट (एफईए)  समूह में हीमोग्लोबिन का स्तर काफी अधिक था। 

प्रचलित रसायन में होती है यह परेशानी

प्रयोग किया जाने वाला सबसे आम लौह पूरक एफएस है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइड इफेक्ट (मतलीउल्टीपेट दर्दकब्ज और दस्त) पैदा करने के लिए जाना जाता है।

 

 

 

क्या होती है एनीमिया में परेशानी

संजय गांधी पीजीआई के एमआरएच विभाग की प्रो. इंदु लता साहू कहती है कि  गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता लगभग 65-75 प्रतिशत है। एनीमिया का मां के स्वास्थ्य के साथ-साथ भ्रूण पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इससे समय से पहले प्रसवशिशु कम विकासमंदताजन्म के समय कम वजनप्रसवोत्तर रक्तस्रावहृदय की विफलता और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यह शोध एनीमिया के इलाज दी जाने वाली आयरन सप्लीमेंट से  कुप्रभाव होने के कारण दवा बंद हो जाती थी इससे राहत मिलेगी और पूर्ण दवा का कोर्स करना संभव होगा।   

 

 किसको कितना दिया गया आयरन सप्लीमेंट

  ग्रुप ए – फेरस सल्फेट- 60 मिलीग्राम दो बार  

ग्रुप बी - आईपीसी -  एक बार 100 मिलीग्राम

ग्रुप सी – एफईए  - 100 मिलीग्राम एलिमेंटल आयरन और 1.5 मिलीग्राम फोलिक एसिड प्रतिदिन एक बार

 

 

90 दिन बाद हीमोग्लोबिन में बढोत्तरी

एफएस  समूह  8.56 – 10.99 

आईपीसी  समूह 8.46- 11.13

एफईए  समूह 8.61 - 11.3

 

सीरम फिरेटिन का स्तर

एफसी – 8.84 - 28.59

आईपीसी-8.62-30.44

एफईए- 8.7 -31.80

 

प्रतिकूल प्रभाव बताया गया किस वर्ग में कितना

 

 फेरस सल्फेट- - 62 फीसदी

आईपीसी – 46 फीसदी

एफईए- 42 फीसदी

 

यह हुई साबित

 

 मतलीपेट दर्द और कब्ज तीन सबसे आम प्रतिकूल प्रभाव थे इस दवा से  पेट में दर्ददस्त और उल्टी की परेशानी कम हुई। एफएसआईपीसी और एफईए की गर्भावस्था में एनीमिया के प्रभावकारिता है लेकिन आईपीसी और एफईए दोनों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रतिकूल प्रभाव की घटना कम थी।

 

 

इन्होंने किया किया शोध

कपरेजिन आफ इफिशिएंसी ऐंड सेफ्टी ऑफ आयरन पालीमालटोस कॉम्प्लेक्स एंड फेरस एस्कॉर्बेट विथ फेरस सल्फेट विथ आयरन डिफिशिएंसी आफ एनीमिया को लेकर    डा.सुयश चव्हाणडा.  राणा प्रोतीशडा. रेवा  त्रिपाठीडा. उमा ठाकुर ने शोध किया जिसे इंडियन जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च ने स्वीकार किया है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें