रविवार, 7 मार्च 2021

बच्चों में खून की उल्टी से पहले ही संभव होगा इलाज - पोर्टल वेन हाइपरटेंशन की कारण बच्चों में होती खून की उल्टी

 




बच्चों में खून की उल्टी से पहले ही संभव होगा इलाज

 

 पोर्टल वेन हाइपरटेंशन की कारण बच्चों में होती खून की उल्टी

 

 

 

वेरीसेस वेनिस बाइंडिंग से लंबी होगी जिंदगी की डोर

 

 

कुमार संजय  । लखनऊ

 

 

 

पेट में लिवर , स्पलीन और आंत को जोड़ने वाली रक्त वाहिका में रूकावट के कारण शरीर की रक्त वाहिकाओं में दबाव बढ़ जाता है । इस दबाव के कारण खाने की नली में स्थित रक्त वाहिकाएं फट जाती है जिसके कारण खून की उल्टी होती है। यह स्थित कई बार बच्चों के जीवन पर भारी पड़ती है। ऐसी स्थित में बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए खून की नली फटने से पहले इंडोस्कोप तकनीक से मुंह के जरिए फटी रक्त वाहिका तक पहुंच कर उसे सील कर रक्तस्राव की आशंका को खथ्म किया जा सकता है। रक्त स्राव हो रहा है तो भी इसे सील कर रोका जा सकता है। इस तकनीक को डॉक्टरी भाषा में

 

वेरीसेस वेनिस  बाइंडिंग कहते  हैं। संजय गांधी पीजीआइ के पिडियाड्रिक गैस्ट्रो इंट्रोलाजी विभाग के प्रो. मोइनक सेन शर्मा के मुताबिक नान सिरोटिक पोर्टल फाइब्रोसिस विशेष तरह की पोर्टल वेन की परेशानी है जो इस वर्ग की परेशानी का दस फीसदी होता है। इस तरह की परेशानी से ग्रस्त 60 बच्चों में इंडोस्कोप तकनीक से खाने की नली में स्थित वेरीसेस वेन की बाइंडिंग कर रक्त स्राव को रोकने के बाद प्रभाव का अध्ययन किया तो पाया कि खून की उल्टी होने पर या इसकी आशंका होने पर दोनो स्थित में बाइडिंग कारगर है। इस शोध को हिपैटोलाजी इंटरनेशनल जर्नल से स्वीकार किया साथ ही संस्थान में आयोजित रिसर्च डे पर भी इस शोध के लिए एवार्ड मिला। प्रो.मोइनक कहते है  कि इन बच्चों का स्पलीन( प्लीहा) बढ़ जाता है इसके आलावा कई परेशानी पहले ही दिख जाती है।

 

 

 

इस मामले में संभव नहीं है लिवर ट्रांसप्लांट

 

 

 

नान सिरोटिक पोर्टल फाइब्रोसिस इस परेशानी में लिवर ट्रांसप्लांट संभव नहीं होता है क्योंकि लिवर के तुरंत पहले विहिकाएं में रूकावट होती है ऐसे में मामले बाइंडिंग के अलावा बीटा व्लाकर दवाएँ दे कर खून के स्राव को रोकते हैं।

 

 

 

 

 

यह परेशानी तो लें सलाह

 

खून की उल्टी, पचे हुए खून के कारण गहरे रंग का मल, पेट फूलना, या मल में खूनकलाई मोड़ने पर हाथों का कांपना (फ़्लैपिंग हैंड ट्रेमर), खून निकलना, त्वचा में सूजी नसों का जाल, नाभि के आस-पास बढ़ी हुई नसें (शिराएं), या निगलने में परेशानी हो सकती है।

 


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