बुधवार, 24 मार्च 2021

छोटे बच्चों में टीबी बताएगा पेट का पानी----- जीन एक्सपर्ट सात घंटे में बता देगा एमडीआर

 




छोटे बच्चों में टीबी बताएगा पेट का पानी

जीन एक्सपर्ट सात घंटे में बता देगा एमडीआर  

 


 

छोटो बच्चों में कई बार टीबी का पता नहीं लग पाता है क्यों छोटे बच्चे बलगम नहीं थूक पाते है। इसलिए  बच्चों में टीबी का पता लगाना थोड़ा कठिन होता है। बच्चे  बलगम को निगल लेते है ऐसे  स्थित में हम लोग इंडोस्कोप के जरिए  पेट से पानी लेकर उसमें टीबी की जांच करते हैं जिससे टीबी का पता लग जाता है। इसके आलावा एक्स-रे भी करते है कई बार एक्स-रे से पता लग जाता है। जब एक्स-रे से पुष्टि नहीं होती है तो ऐसे में एंडोस्कोपी जांच जरूरी होती है। विश्व टीबी दिवस के मौके पर संजय गांधी पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. आलोक नाथ कहते है कि टीबी को खत्म करने के लिए जिस एरिया में टीबी की अधिक आशंका है उस स्थान का पता लगा कर लोगों की जांच कर टीबी का इलाज करने की जरूरत है।  प्रो. आलोक ने बताया कि एमडीआर एक बडी परेशानी है  जिसको  पता करने के नई तकनीक जीन एक्सपर्ट तकनीक  है। नई तकनीक से सात घंटे में हम जांच कर रिपोर्ट दे रहे हैं।  बताया कि टीबी की पुष्टि के लिए आज भी चेस्ट एक्स-रेबलगम स्मीयर और कल्चर है। शरीर किसी भी अंग में टीबी हो सकता है।      

 

15 फीसदी नहीं लेते सही मात्रा में  दवा

 

पल्मोनरी मेडिसिन के प्रो. जिया हाशिम ने कहा कि 10 से 20 फीसदी लोग शरीर के भार के अनुसार सही मात्रा में दवा नहीं खाते। सही समय तक दवा नहीं खाते बीच में छोड़ देते हैं। कई बार दवा की गुणवत्ता कम होती है तो कई बार जितनी दवा बतायी गयी उतनी नहीं खाते एक दवा या दो दवा कम कर देते है जिसके कारण टीबी के मामले खराब हो रहे हैं। इस लिए सही मात्रा में सही समय तक सही दवा लेकर टीबी के मुक्ति मिल जाती है।   नए टीबी के तीन फीसदी मामलों में एमडीआर मिल रहा है यानि एमडीआर वाले मरीजों से इन्हे टीबी का इन्फेक्शन हो रहा है।

 

लिवर फंक्शन पर रखें नजर

 

 प्रो. हाशिम ने कहा कि टीबी की दवा खा रहे से 10 फीसदी मरीजों में लिवर फंक्शन बिगड़ जाता है जिसके कारण लिवर फंक्शन प्रोफाइल की जांच गड़बड़ आती है जिसे हम लोग ठीक कर लेते हैं। इसलिए मरीजों को लगातार फालोअप पर रहना चाहिए।    

 

मास्क रोकेगा टीबी का संक्रमण

 

विशेषज्ञों का कहना है कि मास्क कोरोना ही नहीं टीबी का भी संक्रमण रोकने में कारगर साबित हो सकता है। टीबी हवा के जरिये एक आदमी से दूसरे आदमी तक फैलता है. फेफड़े की टीबी का मरीज जब खांसता या छींकता है या फिर थूकता हैतो इससे टीबी के जर्म्स हवा में फैल जाते हैं. किसी दूसरे इंसान के शरीर में सांस के जरिये जब वह हवा उसके भीतर जाती हैतो उसके भी इसकी चपेट में आने का जोखिम पैदा होता है। मास्क से संक्रमण से बचा जा सकता है।


यह परेशानी तो हो जाए सजग 


 छाती में दर्द, खांसी के  खून के साथ,  अच्छा महसूस न करना, थकान, पसीना आना, बुखार, भूख न लगना, या रात में पसीना, बलगम, बिना कारण वज़न में बहुत ज़्यादा कमी होना, मांसपेशी का नुकसान, सांस फूलना,  लसीका ग्रंथियां यानी लिम्फ़ नोड (छोटे बीज के आकार की ग्रंथियां जो पूरे शरीर में होती हैं) में सूजन



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें