शुक्रवार, 26 मार्च 2021

कोरोना वैक्सीन कोरोना को बना दिया फ्लू के जैसा - संक्रमण हो भी गया तो वेंटीलेटर , आईसीयू की नहीं पड़ेगी जरूरत, कम होगी मृत्यु की आशंका


 

कोरोना वैक्सीन कोरोना को बना दिया फ्लू के जैसा  

 

 

 

कोरोना वैक्सीन  संक्रमण हो भी गया तो वेंटीलेटर आईसीयू की नहीं पड़ेगी जरूरतकम होगी मृत्यु की आशंका

 

 

 

 

कोरोना का टीका संक्रमण कम करने के साथ ही कम करेगा गंभीरता

 

 

 

टीकाकरण के बाद भी कुछ लोगों में हो सकता है  संक्रमण

 

 

 

कुमार संजय। लखनऊ

 

 

 

कोरोना  वैक्सीन लगने के बाद भी फ्रंट लाइन वर्कर कोरोना से संक्रमित हो रहे है ऐसे में तमाम लोगों के मन में  सवाल उठ रहा है कि क्या वैक्सीन कारगर नहीं है...नहीं ऐसा नहीं है संजय गांधी पीजीआइ के शरीर प्रतिरक्षा विज्ञानी एवं क्लीनिकल इण्यूनोलाजी विभाग की प्रमुख प्रो. अमिता अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि कोरोना वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण की आशंका

60 से 75 फीसदी कम हो जाती है।

 संक्रमित व्यक्ति में गंभीर परेशानी की आशंका लगभग शून्य हो जाती है। इनमें संक्रमण के बाद भी केवल फ्लू जैसे ही लक्षण आएंगे पहले की तरह सांस लेने में गंभीर परेशानी सहित अन्य गंभीर परेशानी की आशंका नहीं है। ऐसा संक्रमित लोगों में देखने को भी मिल रहा है। संक्रमण के बाद भी वेंटीलेटर और आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत बहुत ही कम होगी ।

प्रो. अमिता कहती है कि कोविड टीकाकरण प्रसार को नियंत्रित तभी  करता है जब टीकाकरण का कवरेज अधिक हो। अभी के लिए

कोरोना प्रोटोकॉल का पालन हर व्यक्ति को करने की जरूरत है। उन लोगों की सुरक्षा के लिए है जिनके गंभीर रोग होने की    संभावना है। बुजुर्ग लोगों में गंभीर बीमारी विकसित होने की व  आईसीयू ,  वेंटिलेटर की आवश्यकता अधिक होती है। मृत्यु की संभावना अधिक होती है। टीकाकरण से आईसीयू बेड वेंटिलेटर का उपयोग और मौतें कम होंगी।

 

 

 

संक्रमण दर में भी आएगी कमी

 

 

 

टीकाकरण पूरा होने के बाद कोरोना संक्रमण मामलों में भी कमी आएगी।  कुछ छोटे देशों मेंजैसे कि इज़राइलजहां टीकाकरण कवरेज अधिक हैरोग दर में उल्लेखनीय कमी आई है। कोरोना संक्रमण को लोग अब पहले की तरह गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। प्रो. अमिता के मुताबिक जरूरी है कोरोना प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करें। हर व्यक्ति जो टीकाकरण के लिए उपयुक्त है उसे टीका लगना चाहिए।

 

 

 

 

वायरस का म्यूटेशन है सामान्य

 

 

 

प्रो. अमिता कहती है अधिकतर वैक्सीन म्यूटेट कोरोना वायरस के प्रति कारगर है । बीमारी की गंभीरता भी कम करने में कारगर है।  

 

वायरस का डबल म्यूटेंट अभी देखने में आया है यह सामान्य प्रक्रिया है । वायरस समय के साथ बदलता रहता है । इस बदलाव से वैक्सीन की क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा । वैक्सीन कारगर होगी। अभी तक जितने म्युटेंट वायरस आए हैं किसी से किसी गंभीर परेशानी नहीं हुई है

गुरुवार, 25 मार्च 2021

पीजीआई नर्सेज स्टाफ एसोसिएशन का शपथ ग्रहण समारोह -8 घंटे पीपीई किट पहने तब जाने सकेंगे नर्सेज की सेवा

 



पीजीआई नर्सेज स्टाफ एसोसिएशन का शपथ ग्रहण समारोह

 

एक्टिव कोरनटाइन व्यवस्था बहाल करना जरूरी- डा. निर्मल

8 घंटे पीपीई किट पहने तब जाने सकेंगे नर्सेज की सेवा

 

संजय गांधी पीजीआइ नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन के शपथ ग्रहण समारोह के मुख्य अतिथि राज्य मंत्री डा. लाल जी प्रसाद निर्मल ने कहा कि कोरोना काल में नर्सेज की सेवा को महसूस करना हो तो कई भी अधिकारी या राजनेता इनकी तरह आठ घंटे पीपीई किट पहन कर देख लें तब समझ में आएगा कितना कठिन काम है। सब कुछ भूल जाएंगे यह लोग लेकिन नर्सेज आठ घंटे पीपीई किट पहन कर उन मरीजों की सेवा किया जिनके पास उनके परिजन भी नहीं जाना चाहते हैं।कोरोना के मामले फिर बढ़ रहे है एक बार इन पर जिम्मेदारी बढ़ रही है ऐसे में इन्हे पहले की भांति मिल रही एक्टिव कोरेनटाइन सुविधा जारी रखने की जरूरत है। इस सुविधा को हाल में ही खत्म कर दिया गया है ऐसे में नर्सेज के लिए ड्यूटी काफी कठिन हो गयी है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षख प्रो. सोनिया नित्या नंद ने कहा कि वह कर्मचारियों के समस्याओं के प्रति गंभीर है। अपने स्तर हर संभव कोशिश करूंगी। अध्यक्ष सीमा शुक्ला और महामंत्री सुजान सिंह ने कहा कि वह सभी नर्सेज के सम्मान और सहूलियत के लिए लड़ने से पीछे नहीं होंगे। हमारी जात केवल नर्स है चाहे वह परमानेंट हो या आउटसोर्स । समारोह में सेफई नर्सेज एसोसिएशन. उत्तर प्रदेश नर्सेज संघ सहित तमाम संगठनों के कर्मचारी नेता शामिल हुए। आउटसोर्स नर्सेज की तरफ से साधना , मलखान सिंह, ओपी किंचर सहित अन्य ने नर्सिग एसोसिएशन ने एम्स के समान मानदेय और सेवा सुरक्षा की मांग करते हुए कहा संस्थान प्रशासन और एनएसए हम लोगों पर भी विचार करे।


हड़ताल का भय दिखाएं लेकिन करें परहेज


डा. निर्मल ने कहा कि कर्मचारी संगठनों से अपील किया कि वह संवाद के जरिए अपनी मांग करें । हड़ताल का भय दिखाएं लेकिन हड़ताल से परहेज करें। हम लोग हर स्तर कर्मचारियों के साथ खड़े मिलेंगे। मैं भी सचिवालय कर्मचारी संघ का अध्यक्ष रहा जिससे मुझे कर्मचारियों के समस्याओं के बारे में पता है। सरकार संवेदनशील है हर जायज बात वह सहमत होगी। बाबा साहेब ने श्रमित संगठनों का मान्यता, काम के तय घंटे, लाइफ इंश्योरेंस, प्रसूति अवकाश जैसे तमाम सुविधाएं महिलाओं के लिए लागू कराया है वह महिला के हक के पछ धर रहे ।




पीजीआइ में ओपीडी में दिखाने के लिए पहले लेना होगा डेट -20 नए और 30 पुराने मरीजों को ही मिलेगा हर ओपीडी में सलाह

 










पीजीआइ में ओपीडी में दिखाने के लिए पहले लेना होगा डेट

 

कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के बाद ही मिलेगा ओपीडी में प्रवेश

 

20 नए और 30 पुराने मरीजों को ही मिलेगा हर ओपीडी में सलाह

 

30 मार्च से लागू होगी यह नियम

 

कोरोना के बढ़ते संक्रमण से निपटने के लिए संजय गांधी पीजाआई केवल उन्ही मरीजों को ओपीडी में  देखा जाएगा जिनकी कोरोना की पीसीआर जांच रिपोर्ट निगेटिव होगी। वही मरीज दिखा पाएंगे जिनका पहले से डॉक्टर के पास दिखाना तय होगा। इसके लिए विभाग के ओपीडी नंबर पर डेट लेनी होगी साथ ही दिखाने के तय तिथि से पहले कोरोना की जांच रिपोर्ट लेकर आनी होगी। संस्थान प्रशासन ने आदेश जारी कर कहा कि ओपीडी में पुनः प्रतिबंधित सेवाएं चलाई जायेंगी। इसके तहत ओपीडी विभाग में परामर्श के लिए आने वाले रोगी और उसके एक परिजन की कोविड (आर टी पी सी आर) रिपोर्ट  नेगेटिव होनी चाहिए।  पीडीमें प्रति विभाग 20 नए रोगी और 30 पुराने मरीज देखे जाएंगे। स्वास्थ्य कर्मियों को सामाजिक दूरी बनाए रखनामास्क का प्रयोग और नियमित हाथ धोते रहना जैसे प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य होगा।  वार्ड में पूर्व की तरह रोगी की भर्ती से पूर्व रोगी और एक परिजन का कोविड 19 आर टी पी सी आर  परीक्षण अनिवार्य है। . पीडी0, लैब और  वार्ड में रोगी के साथ एक ही परिजन को प्रवेश की अनुमति होगी।  पूर्व की भांति नए और पुराने रोगियों के लिए ई ओपीडी द्वारा चिकित्सकीय परामर्श को प्राथमिकता दी जाएगी।यह व्यवस्था 30 मार्च से अनिवार्य रूप से लागू की जा रही हैं।

 

दिखाने के लिए पहले लेना होगा डेट

 

 0पीडीके द्वारा ओपीडी में दिखाने की तिथि प्राप्त करें । यह व्यवस्था नए और पुराने दोनों ही मरीजों के लिए है।  पीडीके फोन नंबर संस्थान की वेबसाइट  www.sgpgi.ac.in पर उपलब्ध है।  निर्धारित दिनांक पर नवीन ओपीडीब्लाक के प्रवेश द्वार पर उपस्थित सिक्योरिटी गार्ड को अपनी और परिजन की कोविड नेगेटिव रिपोर्ट चेक कराना होगा।  ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और ऑनलाइन भुगतान  की रसीद दिखा कर ओपीडी में प्रवेश मिलेगा। ओपीडी में प्रवेश कर रजिस्ट्रेशन काउंटर पर  पंजीकरण  नंबर मिलेगा।

 

 

इन नंबर पर लें सकते है सलाह

 

 

Sl.No

Department

Phone Number

1

 

गैस्ट्रो इंट्रोलाजी

0522 249 6421

0522 249 6422

2

आप्थेमोलाजी

0522 249 6315

3

पिडियाट्रिक सर्जरी

0522 249 5620

4

सर्जिकल गैस्ट्रो

0522 249 6467

5

पिडियाट्रिक गैस्ट्रो

0522 249 6401

6

प्लास्टिक सर्जरी

0522 249 5605

7

नेफ्रोलाजी

0522 249 6345

0522 249 6346

8

जेनटिक्स

0522 249 6446

9

रेडियोथिरेपी

0522 249 6448

10

पेन एंड पेलेटिव केयक

0522 249 6085

11

आर्थो एंड ट्रामा सर्जरी

0522 249 5835

12

इंडोक्राइनोलाजी

0522 249 6221

0522 249 6222

13

इंडो सर्जरी

0522 249 6201

0522 249 6200

14

हिमैचोलाजी

0522 249 6075

0522 249 6076

15

कार्डियोलाजी

0522 249 6131

0522 249 6132

16

सीवीटीएस

0522 249 6100

17

पल्मोनरी मेडिसिन

0522 249 6277

18

न्यूरो सर्जरी

0522 249 6300

0522 249 6301

19

न्यूरोलाजी

0522 249 6322

0522 249 6321

20

यूरोलैजी

0522 249 6366

0522 249 6367

21

इम्यूनोलाजी

0522 249 6243

0522 249 6244

22

रेडियोलाजी

0522 249 4589

23

न्यूक्लियर मेडिसिन

0522 249 5777

24

नियोनेटोलाजी

0522 249 5834

25

एमआरएच

0522 249 5604

26

सामान्य अस्पताल

0522 249 4802

 

 

 

 







बुधवार, 24 मार्च 2021

छोटे बच्चों में टीबी बताएगा पेट का पानी----- जीन एक्सपर्ट सात घंटे में बता देगा एमडीआर

 




छोटे बच्चों में टीबी बताएगा पेट का पानी

जीन एक्सपर्ट सात घंटे में बता देगा एमडीआर  

 


 

छोटो बच्चों में कई बार टीबी का पता नहीं लग पाता है क्यों छोटे बच्चे बलगम नहीं थूक पाते है। इसलिए  बच्चों में टीबी का पता लगाना थोड़ा कठिन होता है। बच्चे  बलगम को निगल लेते है ऐसे  स्थित में हम लोग इंडोस्कोप के जरिए  पेट से पानी लेकर उसमें टीबी की जांच करते हैं जिससे टीबी का पता लग जाता है। इसके आलावा एक्स-रे भी करते है कई बार एक्स-रे से पता लग जाता है। जब एक्स-रे से पुष्टि नहीं होती है तो ऐसे में एंडोस्कोपी जांच जरूरी होती है। विश्व टीबी दिवस के मौके पर संजय गांधी पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. आलोक नाथ कहते है कि टीबी को खत्म करने के लिए जिस एरिया में टीबी की अधिक आशंका है उस स्थान का पता लगा कर लोगों की जांच कर टीबी का इलाज करने की जरूरत है।  प्रो. आलोक ने बताया कि एमडीआर एक बडी परेशानी है  जिसको  पता करने के नई तकनीक जीन एक्सपर्ट तकनीक  है। नई तकनीक से सात घंटे में हम जांच कर रिपोर्ट दे रहे हैं।  बताया कि टीबी की पुष्टि के लिए आज भी चेस्ट एक्स-रेबलगम स्मीयर और कल्चर है। शरीर किसी भी अंग में टीबी हो सकता है।      

 

15 फीसदी नहीं लेते सही मात्रा में  दवा

 

पल्मोनरी मेडिसिन के प्रो. जिया हाशिम ने कहा कि 10 से 20 फीसदी लोग शरीर के भार के अनुसार सही मात्रा में दवा नहीं खाते। सही समय तक दवा नहीं खाते बीच में छोड़ देते हैं। कई बार दवा की गुणवत्ता कम होती है तो कई बार जितनी दवा बतायी गयी उतनी नहीं खाते एक दवा या दो दवा कम कर देते है जिसके कारण टीबी के मामले खराब हो रहे हैं। इस लिए सही मात्रा में सही समय तक सही दवा लेकर टीबी के मुक्ति मिल जाती है।   नए टीबी के तीन फीसदी मामलों में एमडीआर मिल रहा है यानि एमडीआर वाले मरीजों से इन्हे टीबी का इन्फेक्शन हो रहा है।

 

लिवर फंक्शन पर रखें नजर

 

 प्रो. हाशिम ने कहा कि टीबी की दवा खा रहे से 10 फीसदी मरीजों में लिवर फंक्शन बिगड़ जाता है जिसके कारण लिवर फंक्शन प्रोफाइल की जांच गड़बड़ आती है जिसे हम लोग ठीक कर लेते हैं। इसलिए मरीजों को लगातार फालोअप पर रहना चाहिए।    

 

मास्क रोकेगा टीबी का संक्रमण

 

विशेषज्ञों का कहना है कि मास्क कोरोना ही नहीं टीबी का भी संक्रमण रोकने में कारगर साबित हो सकता है। टीबी हवा के जरिये एक आदमी से दूसरे आदमी तक फैलता है. फेफड़े की टीबी का मरीज जब खांसता या छींकता है या फिर थूकता हैतो इससे टीबी के जर्म्स हवा में फैल जाते हैं. किसी दूसरे इंसान के शरीर में सांस के जरिये जब वह हवा उसके भीतर जाती हैतो उसके भी इसकी चपेट में आने का जोखिम पैदा होता है। मास्क से संक्रमण से बचा जा सकता है।


यह परेशानी तो हो जाए सजग 


 छाती में दर्द, खांसी के  खून के साथ,  अच्छा महसूस न करना, थकान, पसीना आना, बुखार, भूख न लगना, या रात में पसीना, बलगम, बिना कारण वज़न में बहुत ज़्यादा कमी होना, मांसपेशी का नुकसान, सांस फूलना,  लसीका ग्रंथियां यानी लिम्फ़ नोड (छोटे बीज के आकार की ग्रंथियां जो पूरे शरीर में होती हैं) में सूजन