सरल बचाएगा नवजातों का बैक्टीरियल संक्रमण से जीवन
सरल
गाइड लाइन को मिली भारत सरकार से मान्यता प्रदेश में लागू हो पायलट प्रोजेक्ट
कुमार
संजय़। लखनऊ
नवजात
शिशुओं का जिंदगी बैक्टीरियल संक्रमण के कारण खतरे में न पडे इसके लिए चिकित्सा
विज्ञानियों ने सरल इलाज की गाइड लाइन तैयार की है। इस सरलीकृत इलाज के तरीके से नवजात
शिशुओं के संभावित
गंभीर जीवाणु संक्रमण( पासिबिल सीरियस बैक्टीरियल संक्रमण) के कारण होने वाली
मृत्यु दर पर काफी हद तक लगाम लगायी जा सकती है। विज्ञानियों का कहना है कि भारत सरकार ने पीएसबीआई के सरलीकृत इलाज की गाइड लाइन पुष्टि करते हुए राष्ट्रीय
दिशा-निर्देश जारी किए। राज्य सरकार के पायलट प्रोजेक्ट लागू करने जा रहा है। केंद्र सरकार के समर्थन के साथ प्रदेश
सरकार ७४ जिलों के लिए पीएसबीआई के लिए सरलीकृत उपचार का विस्तार करने की योजना
बना रही है । किंग जार्ज मेडिकल विवि और डब्लूएचओ ने मिल कर यह सरल गाइड लाइन तैयार की है।
क्या सरलीकृत गाइड लाइन
-एमाक्सलीन(मुंह)40 से 50 मिलीप्रित डोज- दो बार सात दिन
-जेंटामाइसीव इंजेक्शन( 7 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम) एक बार सात दिन
-जिनमें केवल सांस तेज चलने की परेशानी है उनमें इंजेक्शन की जरूरत नहीं
कैसे
हुआ शोध
विशेषज्ञों
ने लखनऊ के गोसाइगंज. काकोरी, माल और सरोजनीनगर ब्लाक के 856106 की आबादी में 24,448 जन्म लेने वाले कुल शिशुओं में से 0 से 59 आयु के 1302 शिशुओं पीएसबीआई के संकेत (लक्षण) दिखे यानि 53 फीसदी
में संक्रमण दिखा। लक्षणों की पहचान मान्यता
प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) ने 81.2% मामलों की पहचान की जबकि शेष की पहचान परिवारों द्वारा की गई थी। पीएसबीआई के मामलों में 7-59 दिनों की आयु के युवा शिशु में तेजी से सांस
लेने के 13.3% मामले मिले। इनमें से 147 का
इलाज ओरल एमांक्सिलिन द्वारा किया गया और 95.2% ठीक हो गए। 0-6
दिनों की उम्र में अधिक तेजी से सांस लेने
के 2.9% मामले मिले जिनमें से 34 को सरलीकृत उपचार किया गया 100 फीसदी ठीक हो गए। इसी तरह 66.5% के मामले जिनमें गंभीर संक्रमण की
परेशानी थी उनमें 658 सरलीकृत उपचार से 94.2% ठीक हो गए।
डब्लूएचओ
और मेडिकल विव के 13 लोगों ने मिल कर किया शोध
आइडेंटी
फिकेशन एंड मैनेडमेंट आफ यंग इनफैंटस विथ पासिबिल सीरीयस बैक्टीरियल इंफेक्शन वेयर
रिफरल वाज नाट फिजिबिल इन रूरल लखनऊ शीर्षक से शोध में किंग जार्ज मेडिकल विवि बाल
रोग विभाग से डा. शैली अवस्थी, डा.नवीन केशरवानी, डा. राजकुमार वर्मा, डा.लक्ष्मी शंकर तिवारी, डा. रवि के मिश्रा, डा.लाल जी शुक्ला, डा. अरूण कुमार राउत, लखनऊ विवि के स्टेटिक्स विभाग के डा. गिरधर
गोपाल अग्रवाल, डिपार्टमेंट आफ मैटर्नल न्यू बार्न
चाइल्ड एंड एडलोसेंट ड्बलूएचओ जिनेवा डा. समीरा, डा. शमीम अहमद ,डा.
य़ाशिर, डा.राजीव बहल और किंग जार्ज मेडिकल
विवि के एसपीएम विभाग से डा. मोनिका अग्रवाल के शोध को प्लास वन इंटरनेशनल मेडिकल
जर्नल ने स्वीकार किया है।