रविवार, 1 दिसंबर 2019

अब छोटी आंत से बच्चों में बनेगा मूत्राशय और पेशाब पर होगा नियंत्रण- पीजीआइ ने स्थापित किया तकनीक



अब छोटी आंत से बच्चों में बनेगा मूत्राशय और पेशाब पर होगा नियंत्रण


पीजीआइ ने शुरू किया बच्चों में मूत्राशय बनाने के साथ स्फिंटर रिपेययर
नर्व स्टुमुलेटर से खोजी बिखरी स्फिंटर नर्व   
कुमार संजय । लखनऊ
जंमजात बनावटी खराबी के कारण तीन वर्षीय सोनू का मूत्राशय और मूत्र नलिका नहीं बनी थी जिसके कारण पेशाब हमेशा टपकता रहता था । शरीर से हमेशा बदबू आती रहती थी। पैंट गीली रहती थी जिसको सूखा रखने के लिए तमाम उपाय घर वाले करते। संजय गांधी पीजीआइ के पिडियाट्रिक यूरोलाजिस्ट प्रो.एमएस अंसारी ने सोनू को इस परेशानी से मुक्ति दिला दी।  अब सोनू दूसरे बच्चों की तरह स्कूल जा कर मां –बाप के सपने सच कर सकेगा। जौनपुर के रहने वले रामू के परिवार में जब बच्चे ने जंम लिया तो खुशी का ठिकाना न रहा लेकिन यह खुशी ठहर नहीं सकी ,जब देखा कि पेशाब लगातार टपक रहा है। कई डाक्टर को दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। यहां जांच के बाद पता चला कि मूत्राशय पूरा बना ही नहीं है।  इसके साथ ही लिंग में स्थित मूत्र नलिका भी नहीं बनी है । इसी कारण किडनी से पेशाब निकल कर लगातार बह रहा है। इस बीमारी को डाक्टरी भाषा में एक्सट्राफी ऐसपीस्पेडियास कहते है।
पांच हजार मे से एक में होती है परेशानी
 पांच हजार जंम लेने वाले बच्चों में से एक में होती है। प्रो.अंसारी के मुताबिक छोटी आंत का 15 सेमी का टुकडा  लेकर मूत्राशय बना कर अर्ध विकसित मूत्राशय बनाया इसे किडनी से निकलने वाली पेशाब की ट्यूब से जोड़ दिया।  इसके साथ लिंग में मूत्र नलिका भी बना दिया। 

पेशाब पर नियंत्रण के पहली बार शुरू किया स्फिंटर रिपेयर
 मूत्राशय के भरने पर पेशाब अपने आप हो जाता था इस परेशानी को खत्म करने के लिए 6 महीने बाद  बार मूत्राशय के पास पेशाब पर नियंत्रण रखने वाले स्फिंटर जो बिखरा पड़ा था उसे नर्व स्टुमुलेटर से खोज कर रिपेयर किया जिससे पेशाब पर भी नियंत्रण सोनू रखने लगा।  स्फिंटर रिपेयर की सर्जरी इन मामलों में हम लोगों ने पहले बार शुरू करी है । देश के दूसरे सेंटर पर बच्चों में केवल मूत्राशय ही बनाया जाता है

समय मूत्राशय न बनाने पर खराब हो जाती है किडनी
प्रो.असांरी के मुताबिक समय पर सही सर्जरी कर इस बीमारी का इलाज न होने पर बारा-बार संक्रमण ( यूरो सिस्टम) होता है जिसके कारण किडनी खराब हो जाती है। हमारे पास इस बीमारी से ग्रस्त तमाम बच्चे 15 से 16 की उम्र में किडनी खराब होने के बाद ऐसे में रिपेयर करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इस लिए शिशु का पेशाब टपक रहा है तो तुरंत सलाह लेना जरूरी है।  

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