रविवार, 22 दिसंबर 2019

शरीर के सिपाही ही बन गए शरीर के दुश्मन- पीजीआइ के दो विभागों ने बचा लिया सुमन का जीवन

पीजीआइ के दो विभागों ने बचा लिया सुमन का जीवन



कुमार संजय ’ लखनऊ
रायपुर (छत्तीसगढ़) की रहने वाली 36 वर्षीय सुमन मिश्र को वहां के डाक्टरों ने कह दिया कि हार्ट अटैक है, तुरंत एंजियोप्लास्टी करनी पड़ेगी। दो लाख का इंतजाम करें। इससे पहले पैर में घाव न भरने पर पैर की नस का भी ऑपरेशन कर दिया। सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। घर वाले काफी परेशान थे। वे सीधे लेकर संजय गांधी पीजीआइ आ गए।
हृदय रोग विभाग के हार्ट स्पेशलिस्ट प्रो. सुदीप कुमार की देखरेख में मरीज को भर्ती किया गया। सिमटम्स ऐसे थे जिससे प्रो. सुदीप को लगा कि कोई ऑटोइम्यून डिजीज है। प्रो. सुदीप ने क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग के प्रो. विकास अग्रवाल और प्रो. दुर्गा प्रसन्ना मिश्र से सलाह मांगी। इन विशेषज्ञों ने देखते ही सुमन को आपने वार्ड में शिफ्ट कर लिया, क्योंकि वह लक्षण के आधार पर जान गए कि सुमन में परेशानी की जड़ ऑटोइम्यून डिजीज सिस्टमिक ल्यूपस एथ्रोमेटस (एसएलई) है। जांच में इसकी पुष्टि हो गई। इलाज शुरू होने के साथ पैर का घाव भर गया। सांस लेने में परेशानी दूर हो गई, साथ ही दिल भी काफी हद तक काम करने लगा। 12 दिन बाद सुमन को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। प्रो. विकास और प्रो. दुर्गा के मुताबिक हम लोगों ने एंटीन्यूक्लियर एटीबॉडी के साथ ही डीएसडीएनए और ईएनए जांच की। इसमें बीमारी की पुष्टि हुई। इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं देकर आंगो पर शरीर के अंदर के दुश्मन के हमले के प्रभाव को कम किया। प्रो. विकास के मुताबिक प्रति दस लाख लोगों में 30 में यह बीमारी होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं।
क्या होता है एसएलई: सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमैटोसस (एसएलई) एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इससे दिल, फेफड़े, किडनी और दिमाग को भी नुकसान पहुंच सकता है और जान भी जा सकती है।
यह परेशानी तो लें सलाह : ल्यूपस के लक्षण समय के साथ अलग-अलग हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में थकान, जोड़ों में दर्द व सूजन, सिरदर्द, गालों व नाक पर तितली के आकार के दाने, त्वचा पर चकत्ते, बालों का झड़नाए एनीमिया, रक्त के थक्के बनने की प्रवृत्ति में वृद्धि और खराब परिसंचरण प्रमुख हैं। हाथों व पैरों की अंगुलियां ठंड लगने पर सफेद या नीले रंग की हो जाती हैं, जिसे रेनाउड्स फेनोमेनन कहा जाता है।

क्यों होता एसएलई
इंफेक्शन एजेंट, बैक्टीरिया और बाहरी रोगाणुओं से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम शरीर में एंटीबॉडीज बनाता है। एसएलई यानी ल्यूपस वाले लोगों के खून में ऑटोएंटीबॉडीज बनने लगती हैं, जो संक्रामक रोग से लड़ने की बजाय शरीर के स्वस्थ ऊतकों और अंगों पर हमला करते हैं।

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