सोमवार, 23 दिसंबर 2019

याददाश्त में कमी का पता लगाने के लिए खोजा बायोमार्कर

अब शुरूआती दौर में लगेगा भूलने की बीमारी का पता

याददाश्त में कमी का पता लगाने के लिए खोजा बायोमार्कर
 उम्र बढ़ने के साथ 10 फीसदी में होने लगती है भूलने की परेशानी

कुमार संजय। लखनऊ
उम्र बढने के साथ भूलने की परेशानी आम है जिसे डाक्टरी भाषा में डिमेंशिया , अल्जाइमर डिजीज कहते है। जब भूलने की परेशानी काफी हद तक बढ़ जाती है जब परिजनों को परेशानी का पता लगता है लेकिन अब चिकित्सा वैज्ञानिकों ने भूलने की बीमारी का गंभीर रूप पकडने से पहले शुरूआती दौर में लगाने के लिए बायो मार्कर खोज निकाला है। पहली बार कुछ बायो मार्कर पकड़ में आएं जिसके स्तर रक्त में देख कर बताया जा सकता है कि डिमेंशिया का पता शुरूआती दौर में लगाया जा सकता है। इस खोज के बारे में पहली बार खुलासा शोध टीम में शामिल इस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस बीएचयू के न्यूरोलाजिस्ट प्रो. विजय नाथ मिश्रा ने किया। प्रो.  संजय गांधी पीजीआइ विजिट पर आए थे। प्रो. मिश्रा ने बताया कि यह शोध उन्होंने सीडीआरआई के सहयोग से किया है।  देखा कि डिमेंशिया शुरू होने पर  लैक्टेट, एन-एसीटाइल एसपारटेट, हिस्टीडिन का स्तर बढा होता है इसके साथ फारमेट, कोलीन, एलानिन, क्रिएटनीन और ग्लुकोज का स्तर खून के प्लाज्मा में कम हो जाता है। आगे यह भी देखा कि कोलीन का सीधा संबंध माइस्ड कोगनेटिव इमपेयरमेंट ( याददाश्त में हल्की कमी) से हैं। प्रो.मिश्रा का कहना इन बायोमार्कर के स्तर को देख कर शुरूआती दौर में ही डिमेशिया का पता लगाना संभव है। शोध में बीएचयू की ही डा.विनीता सिंह के आलावा सीडीआरआई के एनएमआर डिवीजन के डा. गुरू दयाल प्रजापति, डा. रवि शंकर के आलावा बीएचयू के जूलोजी विभाग के डा. एमके ठाकुर शामिल थे। प्रो. मिश्रा ने बताया कि हम लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के दो हजार लोगों का स्क्रीनिंग किया जिनकी उम्र 58 से अधिक थी दो देखा कि इनमें से दो सौ लोगों में याददाश्त की हल्की कमी थी अब इन्हे डिमेशिया या अल्जाइमर की परेशानी है पता लगाने के लिए इनमे से दस लोगों और 10 सामान्य लोगों में बायोमार्कर का शोध किया तो यह परिणाम मिला।

क्यों होती है भूलने की परेशानी
दिमाग की कोशिकाओं का एक-दूसरे से जुड़ाव और खुद कोशिकाओं के कमज़ोर और खत्म होने की वजह से याददाश्त और अन्य महत्वपूर्ण दिमागी काम करने की क्षमता नष्ट हो जाती है। याददाश्त कम होना और भ्रम मुख्य लक्षण हैं।  दवाओं और सही प्रबंधन से अस्थायी रूप से लक्षणों में सुधार हो सकता है.

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