सोमवार, 16 दिसंबर 2019

पीजीआइ ट्रामा सेंटर --घुटने गति देने वाले टेंडन का किया रिपेयर आ गयी पैर में जान



घुटने गति देने वाले टेंडन का किया रिपेयर आ गयी पैर में जान


क्वाडरीसेप्स टेंडन रिपेयर की पहली सर्जरी पीजीआइ ट्रामा सेंटर रही सफल

चोट के बाद बैशाखी के सहारे आ गयी थी जिंदगी

कुमार संजय। लखनऊ
बरेली के रहने वाले 65 वर्षीय रमेश दुर्घटना के शिकार हुए तो पूरा पैर फट गया था तुरंत वहां के डाक्टर ने ऊपर से मरहम, पट्टी कर घाव तो ठीक कर दिया लेकिन चलना –फिरना असंभव हो गया काफी इलाज कराया लेकिन कहीं से कोई फायदा नहीं हुआ किसी के सलाह पर वह संजय गांधी पीजीआइ के एपेक्स ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए पहुंचे तो आर्थोपैडिक सर्जन प्रो. पुलक शर्मा ने गंभीरता से कारण जानने के लिए फिजिकल परीक्षण के साथ ही एमआरआई और अल्ट्रासाउंड परीक्षण कराया तो घुटने को गति देने वाला क्वाडरीसेप्स टेंडन टूट गया है  जिसके कारण घुटने में गति ही नियंत्रित नहीं हो पा रही है जिसके कारण चलना फिरना कठिन हो गया है। प्रो. पुलक ने पने टीम के साथ सर्जरी का फैसला लिया जो काफी जटिल था चुनौती थी कि टेंडन अपने मूल मगह से 6-6 इंच ऊपर खिसक गया था फिर भी चैलेज को स्वीकार करते हुए पहले टेंडन को पास में लाए फिर फाइबर टेप से उसे आपस जोड कर टेंडन को मजबूत किए। कुछ दिन रेस्ट देने के बाद फिजियोथिरेपी कराने लेगे । धीर-धीरे पैर में जान आ गयी। अब  रमेश बिना किसी सहारे आपने आप चल सकते है। प्रो. पुलक के मुताबिक एपेक्स ट्रामा सेंटर में इस तरह की पहली सर्जरी है। इस तकनीक को  क्वाडरीसेप्स प्लास्टी एंड ट्रांसोसीअस सूचर रिपेयर कहते हैं।   किसी को भी घुटने में चोट लगे और कुछ समय बाद पैर में दम न लगे तो एक बार यहां पर सलाह लिया जा सकता है। टीम में प्रो. सिदार्थ, डा. ललित शामिल रहे प्रभारी प्रो. अमित अग्रवाल की सहयोग के कारण हम लोग जटिल सर्जरी स्थापित करने में सफल हुए।  

अब नहीं लेना पडेगा किसी का सहारा

रमेश कहते है कि घुटनो पर दर्द बना रहता था और बिना बैसाखी और पट्टे के सहारे चलना असम्भव था।  कई और अस्पतालों में भी इलाज कराया लेकिन आराम नही मिला और  कठनाई बढ़ती ही गयी लेकिन अब किसी के सहारे के जरूरत नहीं पड़ती है।

 एक लाख में से दो लोगों में होती है यह परेशानी
ऐसी चोट बहुत कम पायी जाती है। औसतन 100000 में 1 या 2 लोगों मे इस तरह की चोट देखी जाती है। समय पर सही इलाज न होने के कारण इस चोट ने बहूत जटील रूप ले लिया था। कई घंटो के आपरेशन के उपरांत टूटी हूयी डोरी को सही तरह वापस अपनी जगह लाकर सिला गया।

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