परंपराएं देती है सुरक्षित चलने का संदेश
6 से 8 घंटे के नींद के बाद ही चलााएं वाहन
घर से निकलते घर के बडे कई बार माथे पर रोली और चावल का टीका लागे है । छींक आने पर रूक कर पानी पीने कर जाने को कहते हैै। रास्ता बिल्ली काट तो सजग रहने या रूक कर जाने को कहते है यह तमाम टोटके कई लोगों को लिए अंध विश्वास हो सकता है लेकिन संजय गांंधी पीजीआइ के न्यूरोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान कहते है कि यह हमे सचेत करते है कि सावधानी पूर्वक जाए । घर सुरक्षित वापस आए आप घर के लिए महत्व पूर्ण है। संस्थान के न्यूरोलाजी विभाग और शुभम सोती फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में रोड सेफ्टी वाकथान में प्रो. प्रधान ने कहा कि नींद बडा दुर्घटना का कारण है। कई बार झपकी आ जाती है उतनी ही देर में गाडी भिड़ जाती है। इस लिए सुबह चार -पांच बजे जब निकलना हो तो रात में आठ बजे तक सो जाए। 6 से 8 घंटे की नींद बहुत जरूरी है। जाम में वाहनो से निकलने वाले प्रदूषक की कई बार एलर्टनेस में कमी लाते है। सीवीटीएस विभाग के प्रमुख प्रो.निर्मल गुप्ता ने कहा कि लगत दिशा में चलने के कारण सबसे अधिक एक्सीडेंट देश में उत्तर प्रदेश में होता है। रोड और टाउन प्लानिंग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैै। बाईकरनी ग्रुप की प्राची जैन ने कहा कि यही तो जाना है सोच कर कई बार हेलमेट नहीं लगाते है लेकिन किसी को नहीं पता कहां एक्सीडेंट हो जाए। अपील किया जब भी किसी को बिना हेलमेट देखे तो बिना संकोच उसे टोके कई बार इसका असर पड़ता है। वाकहार्ट के क्षेतीय प्रबंधक अभिनेश शर्मा ने कहा कि हाथ-पैर में चोट तो ठीक हो जाती है लेकिन सिर पर लगी चोट की वजह से कई बार लोग कोमा में चले जाते है। कई बार मौत का कारण बनता है इस लिए सिर को सुरक्षित रखना जरूरी है। इस मौके पर फाउंडेशन के प्रमुख पीआरअो आशुतोष सोती ने कई लोगो के हेलमेट देकर हमेशा हेलमेट पहनने को प्ररेति किया। 1090 में तैनात भूप सिंह ने कहा कि हमेशा एक गाड़ी और दूसरी गाडी के बीच तीन गाडी के बार बर दूरी बना कर रखनी चाहिए क्योंकि आगे का वाहन कब ब्रेक ले कछ नहीं पता होता है।
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