मोटापा कम करें कम हो जाएगी किडनी परेशानी की आशंका
पेशाब रोकने से मूत्राशय होता है कमजोर, किडनी पर कुप्रभाव
पीजीआई में विश्व किडनी जागरूकता दिवस पर वाकथान एवं जागरूकता कार्यक्रम
मोटापा कम करने के साथ 60 से 70 फीसदी तक किडनी के परेशानी की आशंका कम हो जाती है। मोटापा उच्च रक्तचाप, डायबिटीज की आशंका को बढाता है यही किडनी की परेशानी की आशंका को बढ़ाता है। यह बात संजय गांधी पीजीआई के किडनी रोग विशेषज्ञ प्रो. धर्मेंद्र भदौरिया ने विश्व किडनी दिवस के मौके पर जागरूकता एवं वाकथान मे दिया। यूरोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख प्रो. एमएस अंसारी ने कहा कि पेशाब को नहीं रोकना चाहिए। महिलाएं और स्कूल जाने वाले बच्चे साफ वाशरूम न होने के कारण चार से पांच घंटे कई बार पेशाब रोके रखती है। मूत्राशय कमजोर होता है और किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ता है। नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. नारायण प्रसाद ने बताया कि किडनी खराब होने पर डायलिसिस और प्रत्यारोपण ही उपाय है । इस इलाज के दौरान संक्रमण और बार –बार भर्ती होना पड़ता है। इलाज काफी महंगा है इसलिए बचाव ही उपाय है। ब्लड प्रेशर 130-80 से अधिक और एचबीए1सी सात फीसदी से अधिक नहीं रहना चाहिए। गुर्दा रोग विशेषज्ञ प्रो. अनुपमा कौल ने कहा कि गर्भावस्था को दौरान किडनी साथ रक्त दाब पर खास ध्यान रखना चाहिए। यूरोलॉजिस्ट एवं किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ प्रो. संजय सुरेखा ने कहा कि ट्रांसप्लांट के बाद फालोअप पर रहना चाहिए। नेफ्रोलाजिस्ट के सलाह से दवाएं नियमित लेने से प्रत्यारोपित किडनी लंबे समय तक काम करती है। इस मौके पर डाय मानस रंजन पटेल,डा. रवि शंकर कुशवाहा ने बचाव के तरीके बताएं। इस मौके पर पांच सौ से अधिक किडनी की खराबी प्रभावित मरीजों को इलाज के तमाम पहलुओं पर जानकारी दी गयी। मेडिकल सोशल वर्कर राघवेंद्र सिंह, वैयक्तिक सहायक संतोष कुमार वर्मा, सफाई निरीक्षक रघुनाथ सिंह सहित अन्य लोगों ने मरीजों को हर स्तर पर सहयोग का संकल्प लिए।
*विश्व किडनी दिवस*
विश्व किडनी दिवस 14 मार्च को संपूर्ण विश्व में पर्व की तरह मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है "सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य: देखभाल और इष्टतम दवा अभ्यास तक समान पहुंच को आगे बढ़ाना"।
भारत में मधुमेह व उच्च रक्तचाप की बढ़ती घटनाओं के कारण क्रोनिक किडनी रोग की घटनाओं में 35% की वृद्धि हुई है। एक नए अनुमान से पता चलता है कि क्रानिक किडनी रोग से संबंधित मृत्यु दर 2040 तक मृत्यु का 5वां प्रमुख कारण होगी। सीकेडी की जटिलताओं को रोकने का सबसे अच्छा तरीका सीकेडी की प्रगति को रोकना है। उन्नत अनुसंधान ने हमें उन दवाओं की पहचान करने में मदद की है जो सीकेडी की प्रगति को रोकने में प्रभावी हैं, लेकिन ये दवाएं सीकेडी के शुरुआती चरणों में प्रभावी हैं।
नेफ्रोलॉजी विभाग ने दक्षिण एशिया क्षेत्र में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ किडनी फाउंडेशन के साथ संयुक्त रूप से इस पहल का आह्वान किया है। हम सभी सीकेडी के उच्च जोखिम वाले लोगों, 50 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग, मधुमेह रोगी, उच्च रक्तचाप, मोटापे से ग्रस्त रोगी, सीकेडी के पारिवारिक इतिहास वाले लोग, लंबे समय से धूम्रपान करने वाले और पथरी रोग से पीड़ित लोगो
को सुझाव देते हैं कि वे हर साल मूत्र की जांच और सीरम क्रिएटिनिन और ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर का आकलन करके सीकेडी के लिए खुद को जांचते रहें ।
नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी और रीनल प्रत्यारोपण विभाग की गतिविधियाँ:
*किडनी के स्वास्थ्य के लिए वॉकथॉन*
नेफ्रोलॉजी विभाग ने किडनी के स्वास्थ्य के लिए सुबह 6.30 बजे हॉबी सेंटर से एसजीपीजीआई गेट तक और उसके बाद ईएमआरटीसी के नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग तक वॉकथॉन आयोजित की । नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी संकाय ने हॉबी सेंटर, मुख्य द्वार और ईएमआरटीसी सेंटर में सभा को संबोधित किया। डॉ. अंसारी, एचओडी यूरोलॉजी ने पानी के सेवन के महत्व से अवगत कराया, डॉ. संजय सुरेखा ने कम नमक का सेवन, बहुत सारा पानी, खट्टे फल और हर दिन थोड़ा दूध के साथ गुर्दे की पथरी को रोकने के सुझाव दिए।
डॉ. अनुपमा कौल ने किडनी के स्वास्थ्य के लिए वजन कम करने के महत्व के बारे में सुझाव दिए।
डॉ. भदौरिया ने उपस्थित लोगों को सुरक्षित दवाओं के बारे में बताया। नेफ्रोलॉजी के प्रमुख और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के परिषद सदस्य प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए आम लोगों को कुछ लक्ष्य दिए हैं
1. मधुमेह रोगियों के लिए 7% से कम HBA1c,
2.हर एक व्यक्ति के लिए 130/80 से कम रक्तचाप,
3.25 से कम बीएमआई,
4.धूम्रपान व तंबाकू निषेध और कम नमक।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर धीमन ने अपने संदेश में कहा कि संस्थान में किडनी की देखभाल के लिए किसी को भी मना नहीं किया जाएगा।
मरीज के रिश्तेदारों और देखभाल करने वालों का संदेश:
सीकेडी एक दीर्घकालिक समस्या है और रोगी आजीवन इस बीमारी के साथ रहते हैं। कई रोगियों और परिचारकों ने भी अपनी भावनाओं को साझा किया और 50 वर्ष से अधिक आयु वाले उच्च जोखिम वाले लोगों, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, पथरी रोग और गुर्दे की बीमारियों के पारिवारिक इतिहास वाले व्यक्तियों के लिए गुर्दे की बीमारियों की समय पर जांच के लिए अपना सीधा संदेश दिया।
स्वयं मरीज़ों का संबोधन:
किडनी की बीमारियों के साथ कैसे जीना है, इस विषय पर रोगियों ने संदेश दिया और सभी का एक समान विचार था कि बीमारी के इलाज से रोकथाम बेहतर है। किडनी की बीमारियों से 3 से 4 दशकों से अधिक समय तक जीवित रहने वाले मरीजों ने वकालत की कि दीर्घकालिक सफलता के लिए दवा का पालन सबसे महत्वपूर्ण है।
डॉ. प्रसाद ने WKD के इस जागरूकता कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए के प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, नर्सों, कॉर्पोरेट स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, रोगियों, प्रशासकों, स्वास्थ्य-नीति विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों, नेफ्रोलॉजी से संबंधित संगठनों से हाथ मिलाने और इसमें महत्वपूर्ण योगदान देने की वकालत की। किडनी स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए सरकारी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जिससे रोगियों और स्वास्थ्य देखभाल बजट दोनों को बड़ा लाभ हो सकता है।
सीकेडी के लिए एक निरंतर ज्ञान का अभाव है, जो प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों, नर्सों, तकनीशियनों और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्माताओं के बीच स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के सभी स्तरों पर प्रदर्शित होता है। फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के बेलगाम प्रसार से यह और बढ़ गया है। इन प्लेटफार्मों पर अक्सर गैर-वैज्ञानिक सामग्री का व्यापक प्रसार हुआ, विशेष रूप से कई हानिकारक जड़ी-बूटियों, शरीर निर्माण के लिए कई एलर्जेन प्रोटीन जो वास्तव में वैज्ञानिक नहीं है अपितु महंगे व हानिकारक है। अल्पज्ञ जनता और मरीज़ों को वैज्ञानिक रूप से प्रामाणिक और मान्य जानकारी नहीं मिल पाती। यह भारत जैसे निम्न-मध्यम आय वाले देशों के लिए विशेष रूप से सच है जहां संसाधनों की मांग की तुलना में संसाधन सीमित हैं और लोगों ने गैर-प्रमाणित उपचारों को चुना जो उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं, कभी-कभी मृत्यु का कारण बनते हैं।
इस अवसर पर दो महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
सीकेडी का शीघ्र निदान
इष्टतम दवा अभ्यास यह सुनिश्चित करेगा कि ये दवाएं जो प्रगति को धीमा कर देती हैं, व्यापक आबादी तक पहुंचें।
सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य:
अपनी किडनी को हानिकारक दवाओं, दर्द निवारक दवाओं और एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक उपयोग से बचाएं, और प्रगति को धीमा करने के लिए उपयोगी दवाओं का उपयोग करें।
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