पीजीआई में इम्यूनो एलर्जी कॉन्क्लेव
इसनोफिल की जांच से चलेगा एलर्जी की आशंका का पता
बदलता मौसम और प्रदूषण एलर्जी का बड़ा कारण
बीस रुपए में होने वाली जांच इसनोफिल से एलर्जी के आशंका का पता लगता है लेकिन दूसरे कारणों से भी यह बढ़ा हो सकता है। 50 फीसदी मामलों में इसनोफिल बढ़े होने का मतलब है कि एलर्जी है जिसका मैनेजमेंट संभव है। एलर्जी के लक्षण नहीं है तो दूसरे कारणों से परजीवी का संक्रमण , रक्त विकार के कारण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इसनोफिल के साथ सीरम आईजीई का बढ़ा स्तर भी एलर्जी की पुष्टि करता है। यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई में आयोजित इम्यूनो एलर्जी कॉन्क्लेव में संस्थान के प्रो. विकास अग्रवाल और अपोलो मेडिक्स के डा. अनुपम वाखूल ने दी विशेषज्ञों ने दी। बताया कि दवा, धूल, बदलते मौसम, किसी को छूने सहित अन्य कारणों से फेफड़े, त्वचा, नाक सहित अन्य अंगों में एलर्जी हो सकती है। देखा गया है कि बदलता मौसम और प्रदूषण ( वायु कण, गैस) से लोग अधिक एलर्जी के शिकार होते हैं। किसी वस्तु से भी एलर्जी हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया से आए डा. प्रवीण हिसारिया ने बताया एलर्जी इम्यूनोथेरेपी आज कल प्रचलित हो रहा है । इसमें जिस वस्तु से एलर्जी होती है इस वस्तु को थोड़ी मात्रा समय अंतराल पर नाक, मुंह या इंजेक्शन के दावारा थोडी मात्रा में दिया जाता है जिससे व्यक्ति में वस्तु के प्रति टॉलरेंस पैदा हो जाता है। आयोजन सचिव डा. कुनाल ने बताया कि दवा के कारण होने वाली एल्रजी कई बार घातक होती है जिसके इलाज में इम्यूनोसप्रेसिव भी देने की जरूरत पड़ती है ।
कारण
हजारों एलर्जेन हैं जो एलर्जी का कारण बन सकते हैं, लेकिन सबसे आम में शामिल हैं:
-वायुजनित एलर्जी: धूल और पराग।
-पशु रोष: पशुओं की त्वचा से त्वचा कोशिकाओं जैसी सामग्री निकलती है। मानव रूसी के समान।
-खाद्य एलर्जन: शैल-मछली, डेयरी उत्पाद, नट और/या --बीज अंडे और मछली।
-एस्पिरिन और पेनिसिलिन।
-कीड़े के डंक: बरैया और मधुमक्खियों।
पौधे: घास और चुभने वाले बिच्छू।
पदार्थ: लेटेक्स।
यह है लक्षण
-त्वचा के चकत्ते
-लाल खुजली वाली आंखें
-खांसी
- सांस लेने में घरघराहट
-छींक आना
-दमे का अटैक
-पेट में दर्द और उल्टी
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