वर्ल्ड ल्यूपस डे आज
ल्यूपस ग्रस्त की किडनी अब नहीं देगी जवाब
नए रसायन किडनी को देंगे सुरक्षा कवच
ल्यूपस ( सिस्टमिक ल्यूपस एथ्रोमेटस) से ग्रस्त पचास फीसदी बड़ो और 60 से 65 फीसदी में बच्चों में किडनी प्रभावित होने की आशंका रहती है। इस परेशानी को डॉक्टरी भाषा में ल्यूपस नेफ्राइटिस कहते हैं। इस परेशानी का समय पर उपाय न होने पर किडनी पूरी तरह जवाब दे सकती है ऐसे में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट ही इलाज का एक उपाय बचता है । ल्यूपस के मरीजों के राहत भरी खबर है कि नई दवाएं किडनी को बचाने में सफल है। वर्ल्ड ल्यूपस डे( 10 मई) के मौके पर संजय गांधी पीजीआई के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी एंड रूमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. अमिता अग्रवाल के मुताबिक वोक्लोस्पोरिन एक ऐसा रसायन है जो टी सेल पर क्रियाशील होकर शरीर के इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करता है । यह रसायन के किडनी की परेशानी को काफी हद तक नियंत्रित करता है।किडनी की परेशानी बढ़ने से रोकता है। यह रसायन टेबलेट( गोली) के रूप में है जो मरीजों के लिए लेना आसान होता है। इसके अलावा इस रसायन के देने से दवा का स्तर नहीं देखना पड़ता है। टैक्रोलिमस, साइक्लोस्पोरिन दूसरी रसायन में मात्रा तय करने के लिए ड्रग लेवल देखना पड़ता है। दूसरे रसायन के मुकाबले यह अधिक कारगर साबित हो रहा है। इसी तरह एक और नया रसायन एनीफ्लूरोमैब रसायन है जो इंटरफेरान पर क्रियाशील हो कर बीमारी को बढ़ने से रोकता है। प्रो. अमिता ने बताया कि इस मौके पर विभाग इस बीमारी से प्रभावित मरीजों के लिए विशेष जागरूकता सीरीज शुरू कर रहा है जो पूरे सप्ताह चलेगा।
यह बरते सावधानी
- हर तीन महीने पर कराते रहे पेशाब में प्रोटीन की जांच
- रक्त चाप पर रखें नजर
- लक्षण दिखते ही विशेषज्ञ से ले सलाह
क्या है ल्यूपस
यह एक आटो इम्यून डिजीज है। शरीर प्रतिरक्षा तंत्र शरीर को दुश्मन मान कर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाने लगता है जिसके कारण शऱीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है। बीमारी का पता करने के लिए एंटी न्यूक्लियर एंटीबॉडी और डीएसडीएनए परीक्षण किया जाता है जिसकी सुविधा संस्थान में उपलब्ध है।
यह परेशानी तो ल्यूपस संभव
- धूप में निकलने या सामान्य स्थिति में लाल चकत्ते
- बाल गिरना
- बुखार
- जोड़ों में दर्द
- मुंह में छाले
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