सीबीएमआर का 17 वां स्थापना दिवस समारोह
प्रदेश के संस्थानों के शोध वैज्ञानिकों के खुला सीबीएमआर का दरवाजा
प्रदेश के वैज्ञानिकों को उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों पर शोध का मिलेगा मौका
फेफडे की बीमारी के लिए दो उपकरण हो रहा है तैयार
सेंटर फार बायोमेडिकल रिसर्च केंद्र(सीबीएमआर) शोध के लिए पूरे प्रदेश के संस्थानों के छात्रों और शोध वैज्ञानिकों के दरवाजा खोल दिया है। केंद्र के 17 वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह निदेशक प्रो.आरके धवन ने बताया कि केंद्र के पास शोध के उच्च गुणवत्ता और तकनीक वाली 25 से अधिक उपकरण है। पहले इन उपकरणों के जरिए केवल केंद्र से शोध विज्ञानी शोध करते थे । मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा एवं प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार के अनुमति के बाद केंद्र पूरे प्रदेश के लिए खोल दिया गया। शोध कर्ता को अपने संस्थान से निर्देश पत्र लेकर केंद्र आना होगा। यूजर चार्ज लेकर उन्हें उपकरणों के इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी। इससे प्रदेश के शोध वैज्ञानिकों को उच्च स्तरीय शोध करने का मौका मिलेगा। कई मालीक्यूल हम लोग बनाते है उस मालीक्यूल का दवा के रूप में कितना इस्तेमाल हो सकता है यह जानने के लिए केंद्र ने सीडीआरआई से समझौता किया है। सीडीआरआई कोई मालीक्यूल बनाने के कहता है तो हम लोग वह मालीक्यूल तैयार करेंगे जिससे नई दवाओं का विकास संभव होगा। फेफड़े की दो बीमारी का जल्दी पता लगाने और बीमारी की गंभीरता जनाने के लिए केंद्र दो उपकरण तैयार कर रहा है जो इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा। आईसीएमआर इन उपकरणों की दक्षता देखेगा जिसके बाद इसका इस्तेमाल मरीजों में किया जा सकेगा। केंद्र को संस्थान के रूप में विकसित किया जा रहा है जिसके लिए 6 नए विभाग की स्थापना की जा रही है।
पुराने ज्ञान को सहेजने की जरूरत
इस मौके पर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धति को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान से जोड़ने की जरूरत है। पुराने ज्ञान को बनाए रखने के लिए केंद्र को काम करना होगा। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने कहा कि केंद्र फंक्शनल एमआरआई तकनीक का विस्तार निजी एवं सरकारी संस्थान में करें।
आईआईटी कानपुर में अब इलाज
मुख्य अतिथि गंगवाल स्कूल ऑफ जिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी आईआईटी कानपुर के प्रमुख प्रो.संदीप वर्मा ने बताया कि 500 बेड का अस्पताल शुरू करने जा रहे है। पीजी की पढाई के साथ इलाज होगा।
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