रविवार, 8 मई 2022

 


 


सोलह साल बाद मिला कब्ज  और रक्तस्राव से राहत

 

 जंम से कम थी आंत की चाल और आंत में थी गांठ

 


 

 

 

नेपाल की रहने वाली सोलह वर्षीय रंजीता जब से होश संभाल कब्ज की परेशानी की शिकार थी। इसके साथ रक्तस्राव को भी परेशानी थी।  तमाम इलाज चला लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ। परिजन इनको लेकर संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में आए। इलाज की बाद रंजीता को राहत मिल गयी है। इस विशेष मामले को शनिवार को इंडियन मिलिट्री एंड फंक्शनल डिजीज एसोसिएशन के वार्षिक अधिवेशन में संस्थान के सहायक प्रोफेसर डा. आकाश माथुर ने कैप्सूल केस श्रृंखला में प्रस्तुत किया। बताया कि आंत की चाल में जन्मजात कमी के कारण इन्हें कब्ज की परेशानी रहती थी। जंम से ही इनके आंत में गैनलियान सेल की कमी थी जिसके कारण आंत की चाल कम थी यह कब्ज का कारणथा। आंत के एक हिस्से में मेकल डायवर्टिकुलम की परेशानी के कारण आंत में रक्तस्राव की परेशानी थी जिससे मल से खून भी आता था। दो परेशानी के कारण इलाज दो तरफा करना था जिसके लिए प्लानिंग किया गया। आंत की चाल बढ़ाने के लिए ऐसी दवाएं दी गयी जो गट ब्रेन एक्सिस पर क्रियाशील हो कर आंत की चाल को बढ़ाता है। इससे कब्ज की परेशानी में राहत मिला। रक्तस्राव भी दवा के माध्यम से रोका गया। डा. माथुर ने बताया कि इसके आगे के इलाज के लिए सर्जरी की प्लानिंग की गई है जिसमें आंत के जिस भाग में सेल कम है उस भाग को निकाल कर आत को आप को आपस में जोड़ दिया जाएगा। रक्तस्राव के परमानेंट इलाज के लिए भी सर्जरी उसी दौरान की जाएगी फिलहाल रंजीता को राहत मिल गयी है। रक्त स्राव के कारण हीमोग्लोबिन भी कम हो रहा था उसमें सुधार हुआ है। कब्ज की परेशानी कम होने के बाद काफी राहत मिली है। 

 

 

 

क्या है मेकल डायवर्टिकुलम  

 

 

 

    मेकेल का डायवर्टिकुलम एक जन्मजात (जन्म के समय मौजूद) छोटी आंत के निचले हिस्से में उभार या उभार होता है। इसकी वजह से रक्तस्राव की आशंका रहती है।

 

 क्या है कब्ज

 

 

 

हफ्ते में तीन बार कम मल विसर्जन के जाना। कडा मल होना कब्ज का लक्षण है।

 

 

 

 

 

 

पेट के भीतरी अंगों की चाल में गड़बड़ी के कारण हो सकता है डिस्पेप्सिया

मेदांता के पेट रोग विशेषज्ञ डा.  अभय वर्मा ने बताया कि फंक्शनल बावेल डिजीज में कब्ज. डिस्पेप्सिया  और आईबीएस तीन तरह की परेशानी होती है। 30 से 40 फीसदी लोगों में इसकी परेशानी रहती है । 20 से 25  फीसदी लोगों में डिस्पेप्सिया के साथ कब्ज की परेशानी तो इतने ही लोगों में तीनो परेशानी रहती है। डिस्पेप्सिया में पेट में भारीपनपेट में जलनगैस बनने की परेशानी होती है। यदि यह परेशानी 6 महीने से अधिक समय तक है यह डिस्पेप्सिया की परेशानी होती है।

 

 

कोरोना से उबरने के बाद पेट की परेशानी

 

प्रो.यूसी घोषाल और डा. आकाश माथुर ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने वाले लोग इस संक्रमण से ठीक होने के बाद पेट की उन परेशानी के गिरफ्त में आए जिसमें पेट के भीतरी अंगों की गति के कारण होती है। कोरोना से ठीक होने वाले 264 मरीजों पर शोध किया तो लगभग 10 फीसदी लोगों में लंबे समय फंक्शल डिजीज की परेशानी रही है। इसके कारण उल्टी, मिचली, डायरिया, कब्ज पेट में दर्द की परेशानी रही।

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