रविवार, 8 मई 2022

गर्भावस्था के दौरान थायराइड हार्मोन की कमी की 30 फीसदी में आशंका

 



गर्भावस्था के दौरान थायराइड हार्मोन की कमी की 30 फीसदी में आशंका

 हार्मोन की कमी और आयरन की कमी के बीच नहीं रिश्ता

हार्मोन की कमी से शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास हो सकता है बाधित

समय से पता चले परेशानी तो दवा से संभव है इलाज

कुमार संजय। लखनऊ

 

गर्भावस्था और हाइपोथायरायडिज्म के बीच रिश्ता गहरा होता जा रहा है। अभी तक माना जाता रहा है कि गर्भावस्था के दौरान हाइपोथायरायडिज्म की परेशानी की आशंका 4.8 से 11 फीसदी तक है लेकिन हाल के शोध ने साबित किया है इस परेशानी की आशंका 31 से 33 फीसदी तक हो सकती है। इस तथ्य का खुलासा  एसोसिएशन आफ फिजिशियन ऑफ इंडिया के शोध रिपोर्ट मे किया गया है। यह भी पता चला है कि  हाइपोथायरायडिज्म और आयरन की कमी( एनीमिया) के बीच कोई संबंध नहीं है। एनीमिया और हाइपोथायरायडिज्म दो अलग परेशानी है दोनो पर नजर रखने की जरूरत है।

 प्रिवलेंश ऑफ थायराइड डिजीज इन प्रिगनेंशी एंड इट्स रिलेशन टू आयरन डिफिशिएंसी विषय को लेकर हुए शोध में   491 गर्भवती महिलाओं पर शोध हुआ तो पता चला कि 31.77 फीसदी महिलाएं हाइपोथायरायडिज्म की शिकार थी इनमें टीएसएच का स्तर 2.5 से अधिक था और टी4 का स्तर कम  ( ओवर्ट हाइपोथायरायडिज्म) था। 1.42 थायरोटोक्सीकोसिस की परेशानी मिली। इन सभी महिलाओं में आयरन की कमी पता लगाने के लिए सीरम फेरिटिन का भी स्तर देखा गया । हाइपोथायरायडिज्म से ग्रस्त 38.46 में आयरन की कमी मिली जबकि 61.53 फीसदी में आयरन का स्तर सामान्य मिला। इससे साबित हुआ कि हाइपोथायरायडिज्म की परेशानी काफी अधिक है और इसका आयरन की कमी से कोई रिश्ता नहीं है।


हाइपोथायराइड के लक्षण

थकान- 35.6 फीसदी

बाल गिरना- 31.7

 ठंड लगना- 16.9

ड्राइ स्किन- 6.72

कब्ज- 2.65

शरीर का भार बढ़ना- 2.24

याददाश्त में कमी- 2.04

गले में गांठ( घेघा)- 6.41



क्या होता है हाइपोथायरायडिज्म

एसजीपीजीआई के एमआरएच विभाग की प्रो. इंदु लता साहू के मुताबिक थायराइड ग्रंथि से थायरायड हॉर्मोन के अपर्याप्त उत्पादन के कारण होता है। यह आयोडीन की कमी से या प्रसव के पश्चात् थायरायडिज्म के परिणामस्वरूप भी हो सकता है। टीएसएच के उच्च स्तर और टी4 के निम्न स्तर है तो  थायराइड की परेशानी है।  टीएसएच के बढ़े हुए स्तर मगर टी4 के सामान्य स्तर का मतलब यह हो सकता है कि भविष्य में  थायराइड होने का खतरा है।

 

थायराइड की परेशानी से यह होने की आशंका

प्रो.  इंदु लता कहती है कि थायराइड के स्तर का परीक्षण और इलाज गर्भाधान से पहले ही या गर्भावस्था में जितना जल्दी हो सके कर लेना चाहिए। गर्भावस्था की शुरुआत में इसका पता चलने और उचित दवाएं लेने पर शिशु के स्वस्थ होने की पूरी संभावना होती है।

 

थायराइड हार्मोन की कमी (हाइपोथायरायडिज्म) भ्रूण के शारीरिक और दिमागी विकास पर कुप्रभाव डाल सकता है। इससे शिशु का बौद्धिक स्तर (आईक्यू) कम हो सकता है।इसके अलावा गर्भपात, समय से पहले जन्म, प्री-एक्लेमप्सिया, मृत शिशु का जन्म (स्टिलबर्थ) की आशंका रहती है।

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