पीजीआई में चौथी टेक एस्पायर
कैंसर को राहत देगा इंटरवेंशन रेडियोलाजिकल पित्ताशय तकनीक पीटीबीडी
जिंदगी के अंतिम दिनों को सुकुन देने में कारगर साबित हो रही है पीटीबीडी
जिंदगी के अंतिम दिनों को सुकुन देने में कारगर साबित हो रही है पीटीबीडी
पित्ताशय कैंसर के ऐसे मरीज जिनमें कैंसर लिवर तक फैल चुका होता है इनमें बहुत इलाज तो संभव नहीं है लेकिन इनकी जिंदगी के अंतिम दिनों को राहत देने के लिए रेडियोलाजिकल इंटरवेंशन तकनीक प्री क्यूटेनियस ट्रांस हिपेटिक विलयरी ड्रेनेज ( पीटीबीटी) कारगर साबित हो रही है। इस तकनीक में रेडियो टेक्नो लाजिस्ट की अहम भूमिका है। संजय स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के रेडियोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित चौथे टेक एस्पायर मास्टर क्लास में रेडियोलॉजी विभाग की प्रो. रजनीकांत और टेक्नोलॉजिस्ट देवाशीष चक्रवर्ती ने बताया कि मरीज का सीरम क्रिएटिनिन, रक्त का थक्का जमने का समय, मरीज की पूरे डिटेल टेक्नोलॉजिस्ट पहले से तैयार करते है। पित्ताशय कैंसर के मरीजों में कैंसर लीवर तक कई बार फैल जाता है ऐसे में हैपेटिक डक्ट बंद हो जाते है । पीलिया बढ़ जाता है। भूख में कमी, शरीर में खुजली , बुखार , दर्द की परेशानी होती है। पीटीबीटी तकनीक के जरिए अल्ट्रासाउंड और डॉप्लर टेस्ट एक साथ करके पित्त की नली और रक्त वाहिकाओं को चिन्हित करते है । अल्ट्रासाउंड से देखते हुए गाइड वायर पित्त की नली में डालते है। पित्त की नली को डायलेटर से फुला कर कैथेटर के जरिए पित्त शरीर से बाहर निकाल देते है। पीलिया कम होने के बाद पित्त की नली में स्टंट लगा देते है जिससे पित्त छोटी आंत में चला जाता है। कैथेटर निकल जाता है। पीलिया की स्थिति में कोई भी इलाज संभव नहीं होता है। इस परेशानी को कम करने के बाद मरीज को रेडियोथेरेपी के लिए भेजा जाता है। इससे मरीज की परेशानी कम होती है । लाइफ भी बढ़ जाता है। आयोजक टेक्नोलॉजिस्ट सरोज वर्मा ने बताया कि 250 से अधिक टेक्नोलॉजिस्ट बिहार, नेपाल, झारखंड सहित अन्य प्रदेशों से जुडे।
अच्छी इमेज तो सही बीमारी का पता
प्रो. अर्चना गुप्ता ने बताया कि रेडियो इमेजिंग में टेक्नोलॉजिस्ट की अहम भूमिका है। इमेज अच्छी होगी तभी रेडियोलाजिस्ट अच्छी रिपोर्ट दे पाएगा। बीमारी का सही पता लगेगा। टेक्नोलॉजिस्ट को अपग्रेड करने के लिए इस सीएमई का आयोजन किया गया। टेक्नोलॉजिस्ट सरोज वर्मा के मुताबिक चेस्ट करने में काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।
गर्भवती में सीटी स्कैन से बरते विशेष एहतियात
प्रो. अर्चना ने बताया कि गर्भवती महिला यदि गर्भधारण के शुरू के चार महीने हुए है तो टेक्नोलॉजिस्ट को विशेष ध्यान रखना होता है । महिला के पेट को फुल कवर करना होता है जिससे रेडिएशन का प्रभाव गर्भस्थ पर न पडे।
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