बुधवार, 4 मई 2022

10 फीसदी में इलाज के दौरान चूक की आशंका

 सर्तकता से कम करें इलाज में चूक



10 फीसदी में इलाज के दौरान चूक की आशंका
इलाज के दौरान डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ से चूक हो जाती हैं। इससे चूक की कीमत मरीजों को जान गंवाकर चुकानी पड़ रही है। भारत में यह आंकड़ा करीब 52 लाख का है। जबकि लखनऊ में भी इलाज के दौरान गलतियों से 10 फीसदी मरीजों की जान जा रही है। इसमें सुधार लाने की जरूरत है। यह जानकारी संजय गांधी  पीजीआई अस्पताल प्रशासन के प्रमुख प्रो. राजेश हर्षवर्धन ने दी।
वह रविवार को इलाज के दौरान होने वाली गलतियों पर कैसे विराम लगाया जाए इस पर चर्चा कर रहे थे। पीजीआई के एचजी खुराना प्रेक्षागृह में कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। प्रो. राजेश हर्ष वर्धन ने कहाकि मरीजों का इलाज व देखभाल का फैसला लेते समय उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखने की जरूरत होती है। बाकायदा इसके लिए कानून भी बनाया गया है। यही नहीं डॉक्टर-पैरामेडिकल पेशेवरों की जिम्मेदारी का निर्धारण भी किया गया है। लिहाजा डॉक्टर इस कानून को ठीक से समझे और नियमों का पालन करे। उन्होंने कहा कि इलाज में चूक के लिए हर साल गलतियों का ऑडिट कराना चाहिए। जो गलतियां बार-बार हो रही हैं। उन्हें रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम करना चाहिए। उसके बारे में सभी को अवगत भी कराना चाहिए।
इलाज में चूक को कम करने की दिशा में भी प्रयास करने की जरूरत है। पीजीआई निदेशक प्रो. आरके धीमान ने कहा कि बौद्धिक संपदा हमारी राष्ट्रीय व राज्य अर्थव्यवस्थाओं में बहुत बड़ा योगदान देती है। डॉक्टरों के लिए उनके पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइड का प्रवर्तन उनके काम की सुरक्षा करता है।

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