पैकेज सिस्टम पीजीआइ में बना आयुष्मान योजना के लिए रोड़ा
आयुष्मान में इलाज के खर्च और पीजीआई के खर्च में अंतर
संजय गांधी पीजीआई में आयुष्मान योजना के तहत इलाज की
सुविधा में इलाज और सर्जरी के लिए सरकार का पैकेज सिस्टम आडे आ रहा है। संस्थान
प्रशासन इस योजना में संस्थान को शामिल करने के लिए सिमित का गठन किया हुआ है जो
कई पहलुअों पर चर्चा कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है। संस्थान में
एक्चुअल बिलिंग सिस्टम है यानि जितना खर्च होता उतना पैसा मरीज को देना होता है।
स्पष्ट किया कि थायरड सर्जरी में 24 हजार लगा जो उतना
पैसा देना होता है । आयुष्मान भारत में पैकेज सिस्टम के कहत 20 हजार है तो चार हजार कैसे मैनेज होगा। एेसे ही कई बीमारियों
के इलाज में पैसा कम है पैकेज सिस्टम के तहत जिसके कारण संस्थान को इस योजना में
शामिल होने में परेशानी हो रही है। प्रशासन का कहना है कि पैकेज के तहत तय पैसे के
साथ -साथ एक कोष में अतिरिक्त पैसा दिया जाए जिससे बाकी पैसा उस कोष से मरीज के
एकाउंट में ट्रांसफर किया जा सके। यह संभव नहीं है तो विधायक, पूर्व विधायक, पुलिस, पत्रकार , न्यायिक सेवा के
इलाज की निःशुल्क सुविधा जैसे संस्थान में है वैसा ही सिस्टम आयुष्मान के लिए
बनाया जाए इसके लिए अलग से कोष स्थापित कर उसमें पैसा रखा जाए । इस कोष से पैसा
मरीज के एकाउंट में ट्रांसफर होता रहे।
और बढ़ जाएगी भीड़
संस्थान ने पहले से कई लाख कर्मचारियों के इलाज का जिम्मा
ले रखा है जिसमें कई विभाग शामिल है । इसके साथ ही कई प्रदेशों के मरीज आाते है ।
इनके लिए ही बेड उपलब्ध नहीं होता है एेसे में आयुष्मान योजना में संस्थान के
शामिल होने पर भीड़ और बढेगी जिसके कारण सर्जरी की वेटिंग और बढेगी। अोपीडी में भी
भीड़ बढेगी। योजना में शामिल होने से पहले संसाधन बढाना होगा।
आयुष्मान योजना के विरोध में नहीं हूं लेकिन पैकेज सिस्टम
हमारे संस्थान में नहीं लागू है एक्चुअल बिलिंग सिस्टम है जिसमें उच्च गुणवत्ता
वाली दवा और सर्जिकल आइटम इस्तेमाल किया जाता है। पैकेज सिस्टम में एक फिक्श राशि
मिलती है जिसमें बिलिंग का अंतर कैसे पेमेंट होगा। बीच का रास्ता निकला रहे
है......निदेशक प्रो. राकेश कपूर
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