घुप्प अंधेरे से
आहिस्ता-आहिस्ता रोशनी में आई जिंदगी
हंसी-खुशी
सामान्य जीवन जी रहा था तो किसी ने शादी के बाद के कई ख्वाब संजोकर रखे थे। अचानक
उनकी जिंदगी में एचआईवी संक्रमण यानी एड्स ने दस्तक दे दी। एड्स की जानकारी मिलते
ही मानो जिंदगी में बिल्कुल अंधेरा हो गया। अब जिंदगी चार दिन की बची है, ऐसी सोच में दिन कटने लगे। जिन अपनों के साथ सुनहरे
जीवन को जीने का ख्वाब संजोया था, वह सब बिखरता हुआ दिखने लगा। ख्वाब के समंदर में आंसू, घुटन और तमाम ख्वाहिशों का गला घुटता दिख रहा था। कई
लोगों ने जिंदगी समाप्त करने की कोशिश की तो कई ने इसे संवारने की। ऐसे एचआईवी
संक्रमित लोगों ने जब एआरटी और आईसीटीसी सेंटर की ओर रुख किया तो उनमें जीवन जीने
की तमन्ना जाग उठी और आज वह हंसी-खुशी जीवन जी रहे हैं।
केस दो- राजधानी की ही एक 23 वर्ष की शादीशुदा लड़की को गर्भावस्था के दौरान जांच
होने पर पता चला कि वह एचआईवी संक्रमित है। इस बात का पता चलते ही लड़की ने जीवन को
समाप्त करने की ठानी। पर, घर पहुंची और
दो-तीन दिन तक गर्भ में बढ़ रहे बच्चे के बारे में सोचा। एआरटी सेंटर व निजी संस्था
के पास पहुंची। काउंसलिंग की गई। लड़की की सार्थकता को देखते हुए उसने जल्द ही ठान
लिया कि वह बच्चा जनेगी और उसे मुकाम दिलाएगी। इसके लिए वह जीवन में जो भी संघर्ष
होंगे उसे करेगी। आखिरकार उसने बेटी को जन्म दिया। हालांकि बच्ची भी एचआईवी
संक्रमित ही है। लड़की ने निजी संस्था में काम शुरू किया और आज वह बेटी संग बेहतर
जिंदगी जी रही है। .
केस एक- करीब तीन वर्ष पूर्व ऑपरेशन के दौरान लखनऊ की
एक शादीशुदा युवती (26) को पता चला कि
उसे एड्स है। पहले तो उसे विश्वास नहीं हुआ। ऐसे में उसने दो-तीन और जगह पर जांच
कराई। सभी जगह एचआईवी पॉजिटिव रिपोर्ट मिलने पर वह सहम गई। आखिरकार समाज से लड़ने
की हिम्मत खो चुकी इस युवती ने छत से कूदकर खुदकुशी की कोशिश की। पैर टूटा, शरीर में कई जगह चोट लगी। यही नहीं कुछ दिन बाद फिर
से खुद को धारदार हथियार से चोटिल कर लिया। पर, इस बार भी जान बच गई। आखिरकार पति को पूरा मामला पता चला। उसने युवती को
धिक्कारने या छोड़ने के बजाए उसका साथ दिया। वह पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंचा और
काउंसलिंग के बाद आज युवती खुलेमन से जीवन जी रही है। .
यह मत सोचें कि अब जीवन नहीं
बचा : एचआईवी संक्रमण के बारे में जानकारी होने पर लोग यह कतई न सोंचें की अब आगे
जीवन नहीं बचा है और जीने से कुछ नहीं होगा। ऐसा सोचने के बजाय लोग यह ठान लें कि
वह अब जीवन को और बेहतर तरीके से सबके साथ जिएंगे। तभी से उनके जीवन में आने वाली
सारी कठिनाइयां दूर हो जाएंगी। बस हिम्मत मत हारिए और जिंदगी का डटकर सामना करिए।
नियमित दवाओं का इस्तेमाल करें तो आप सेहतमंद जीवन जी सकते हैं।.
हारे नहीं, एड्स से करें सामना : ज्यादातर लोगों को लक्षण के आधार पर
लंबे समय बाद ही पता चला पाता है कि उन्हें एड्स है। कई लोगों को किसी प्रकार के
ऑपरेशन या गर्भवती महिलाओं को प्रसव से पहले होने वाली जांचों से पता चलता है कि
वह एचआईवी संक्रमित हैं। उससे पहले वह बेहतर तरीके से जीवन जी रहे होते हैं। ऐसे
लोगों को चाहिए कि वह ऐसा कतई न सोंचे कि उनकी जिंदगी समाप्त हो गई है। उन्हें आगे
बढ़कर एचआईवी का सामना और इलाज करना चाहिए, जो कि पूरी तरह से नि:शुल्क है।
कैसे फैलता है
एचआईवी
' एचआईवी संक्रमित
व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने पर .
' एचआईवी संक्रमित
खून चढ़ाने से .
' संक्रमित सुई के
प्रयोग से .
' एचआईवी संक्रमित
गर्भवती महिला
फैक्ट ....
. 'यूपी के एआरटी
सेंटरों में 1,38,786 लोग एचआईवी
पंजीकृत हैं।
' यूपी में एआरटी
के 38 सेंटर संचालित
हैं। .
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