प्रदेश के 10.4
फीसदी को कभी भी हो सकता है डायबटीज
प्री-डायबीटिक
स्टेज में ही दे सकते है डायबटीज को मात
डायबीटीज की वजह से
हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर, अल्सर और आंखों को
क्षति पहुंचने के रोग भी पैदा होते हैं
कुमार संजय । लखनऊ
तेजी से बढ़ रहे
हैं डायबीटीज के मरीज
प्रदेश के 10.4 फीसदी लोगों को कभी
भी डायबटीज हो सकता है। इस तथ्य का खुलासा हाल में ही उत्तर प्रदेश के 4244 लोगों पर शोध के बाद किया गया है। देखा गया कि 10.4 फीसदी लोग प्री
डायबटिक स्टेज में है। इस बात को इंटरनेशनल जर्नल अाफ रिसर्च इन मेडिकल साइंस ने
स्वीकार करते हुए कहा है कि इस स्थित में भी एहतियात बरत कर डायबटीज से बचा जा
सकता है। विशेषज्ञों ने देखा कि 8.03फीसदी लोग डायबटीज के गिरफ्त में है। पुरूषों के
मुकाबले महिलाएं अधिक डायबटीज के चपटे में है। देखा गया कि डायबटीज ग्रस्त लोगों
में से 9.91 फीसदी महिलाएं और 6.79 फीसदी पुरूष चपेट में हैं। डायबीटीज की वजह से हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर, अल्सर और आंखों को क्षति पहुंचने के रोग भी पैदा होते
हैं। संजय गांधी पीजीआई के इंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो.सुभाष यादव कहते है कि डायबीटीज होने से पहले हर मरीज प्री-डायबीटिक'स्टेज से गुजरता है। इस स्टेज पर दिनचर्या-खानपान में बदलाव नहीं
करते, जिस वजह से आखिर
में पूरी तरह डायबीटीज के शिकार हो जाते हैं। अगर प्री-डायबीटिक स्टेज पर ही
लक्षणों को पहचान लिया जाए।
डायबीटीज क्या है?
क्या है डायबटीज
जब हमारे
पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है, तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है। इस स्थिति को डायबीटीज कहा जाता
है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है, जो पाचक ग्रंथि में
बनता है। .यह भोजन को एनर्जी में बदलना होता है। शुगर की मात्रा कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से
एनर्जी बनाने में कठिनाई होने लगती है। उस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर
शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। 5/
ओवर ईटिंग से होती
है शुरूआत
डायबटीज की शुरुआत ओवर ईटिंग यानी जरूरत से ज्यादा खाने से होती है लेकिन
ओवर ईटिंग को आमतौर पर कोई गंभीरता से नहीं लेता। ज्यादा सोने, ज्यादा देर तक बैठे रहने, डेयरी प्रॉडक्ट का सेवन, मांस-मछली, मीठा ज्यादा इस्तेमाल करने और मोटापा बने रहने से शुगर होने की आशंका ज्यादा
होती है। शरीर की इंसुलिन निकालने की एक सीमा है। जब हम ज्यादा खाएंगे, तो ग्लूकोज बढ़ता जाएगा और इंसुलिन कम होता जाएगा।
लक्षण
खास लक्षण प्री
डायबटिक स्टेज पर नहीं दिखता है। फेमली हिस्ट्री, मोटापा, उम्र तीस से अधिक
है तो हर 6 महीने पर फास्टिंग
और खाने के दो घंटे बाद खून में रक्त की जांच कराने से इस स्टेज को पकडा जा सकता
है। कुछ लोगों में देखा गया है कि कंधों में दर्द रहता है और जल्दी थकान होने लगती है तो वह
प्री-डायबीटिक स्टेज पर हो सकता है। ऐसी स्थिति में एचबी 1सी टेस्ट कराया जाता है जिसमें ब्लड शुगर, फास्टिंग व बीपी शामिल रहता है।
ऐलोपैथ और आयुर्वेद
में अंतर
डाइट
संजय गांधी पीजीआई
की पोषण विशेषज्ञ अर्चना श्रीवास्तव और निरूपमा सिंह कहती है कि आलू, चावल, आम, केला, अंगूर, किशमिश, काजू, खजूर से परहेज करना चाहिए। 50 ग्राम मेथी और 30 ग्राम अलसी लें। उन्हें रोस्ट कर पाउडर बना लें। यह
पाउडर खाने से पहले आधा चम्मच लें। इससे शुगर धीरे-धीरे बॉडी में घुल जाएगी।
नाश्ता: एक दिन
मूंग और चना ले में साथ बटर मिल्क या ग्रीन-टी
लंच : 2 से 3 रोटी लें। शाम को फ्रूट ले यह ऐंटी-ऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं जो पैंक्रियाज को डैमेज होने से रोकते हैं।
डिनर : रात का खाना सामान्य से आधा कर दें।
लंच : 2 से 3 रोटी लें। शाम को फ्रूट ले यह ऐंटी-ऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं जो पैंक्रियाज को डैमेज होने से रोकते हैं।
डिनर : रात का खाना सामान्य से आधा कर दें।
वाक है जरूरी
सुबह, दोपहर या शाम में 30 से 40 मिनट तक ब्रिस्क (तेज कदमों से) वॉक करें। दिन में 10 से 20 बार मंडूक आसन करें। इससे पैंक्रियाज को मसाज मिलेगा।0
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