गर्भवती महिलाएं हो रही है मानसिक रोग का शिकार
मानिसक रोग के कारण गर्भस्थ शिशु के विकास पर कुप्रभाव
एंटीनेटल केयर में मेंटल हेल्थ चेकअप शामिल करने की सिफारिश
गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई तरह हारमोनल बदलाव के कारण मानसिक परेशानी की अाशंका बढ़ जाती है। विशेषज्ञों ने 160 गर्भवती महिलाअों पर 6 महीने तक शोध के बाद देखा है कि 25 से 60 फीसदी तक महिलाएं किस न किसी प्रकार की मानसिक परेशानी की शिकार होती है जिसके कारण उनक व्यक्तिगत जीवन तो प्रभावित होता ही है साथ में गर्भस्थ शिशु का विकास बाधित होता है। इस लिए विशेषज्ञों ने रीप्रोडेक्टिव चाइल्ड हेल्थ योजना में मेंटल हेल्थ स्क्रीनिक को शामिल करने पर जोर दिया है। विशेषज्ञों ने देखा शोध में शामिल 25.5 फीसदी महिलाएं डिप्रेशन की शिकार थी। 63 फीसदी महिलाएं एनेक्साइटी( डर, भय) की शिकार थी। 25 फीसदी महिलाएं तनाव की शिकार थी अच्छी बात यह रही है यह मानसिक परेशानियां अत्य़धिक गंभीर नहीं थी । 40 से 70 फीसदी तक सामान्य तरह की मानसिक परेशानी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि इसी स्थित में सही काउंसलिंग और इलाज न मिलने पर मानसिक परेशानी गंभीर हो सकती है। देखा गया कि लगभग पांच फीसदी में एनेक्साइटी गंभीर स्थित तक पहुंच गयी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक परेशानी का कारण केवल हारमोनल या फिजियोलाजिकल बदलाव ही नहीं है सामाजिक दबाव, डाक्टर के पास अाना -जान सहित कई तरह की परेशानी का सामना महिलाअों को करना पड़ता है। इस शोध को इंडियन जर्नल अाफ साइकेट्रिक ने स्वीकार किया। इस तथ्य को हिंद मेडिकल कालेज लखनऊ की डा. अादित्य प्रिया और गुरूतेग बहादुर मेडिकल कालेज दिल्ली से डा. संजय चतुर्वेदी, डा. संजय कुमार भसीन, डा. मनजीत सिंह भाटिया, डा. गीता राधा कृष्णन ने स्थापित किया है।
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