बुधवार, 26 दिसंबर 2018

कब्ज को भगाना है तो कमोड को कहें बॉय-बॉय


कब्ज को भगाना है तो कमोड को कहें बॉय-बॉय




 आपको कब्ज है तो अपने शौचालय में कमोड (विदेशी टायलेट सीट) की बजाए देशी इंडियन स्टाइल टायलेट सीट लगवाएं। क्योंकि जब आप इंडियन टायलेट सीट पर बैठते हैं तो पैर मोड़ते हैं और जांघ से पेट पर जोर पड़ता है। पेट की मसल को ज्यादा ताकत नहीं लगानी होती और आराम से स्पिंक्टर वॉल्व खुल जाता है। व्यक्ति आराम से शौच कर लेता है। गैस बनने की दिक्कत है और खट्टी डकार आती है तो टुकड़े में भोजन करें।
खाने से आधा घंटे पहले या तो पानी पी लें या फिर खाना खाने के करीब डेढ़ से पौने दो घंटे बाद। यह दिक्कत नहीं होगी। खाना टुकड़े में खाएं तो एसिडिटी नहीं होगी। यह सलाह एसजीपीजीआइ के गैस्ट्रो इंट्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. यूसी घोषाल ने बुधवार को दैनिक जागरण द्वारा आयोजित प्रश्न पहर कार्यक्रम में दी। उन्होंने लोगों की पेट व गैस की बीमारी से संबंधित सवालों के जवाब दिए। 



प्रश्न : मुझे गैस की दिक्कत है और पखाना करने के लिए प्रेशर नहीं बनता क्या करूं 
 उत्तर : देखिए आपकी उम्र 75 वर्ष है। पहला तो आप एक्टिव रहें ताकि आंत ढंग से काम करे। फिर जो कमोड टॉयलेट सीट का शौचालय में प्रयोग न करें। इसकी बजाए देशी टायलेट सीट का प्रयोग करें। 
प्रश्न : मुझे गैस के साथ डकार आती है, एसिडिटी रहती है और पेट भारी लगता है। क्या करूं
उत्तर : आपको डिस्पेप्सिया हो गया है यह करीब बीमारी पेट के रोगियों में से 20 प्रतिशत लोगों में होती है। आप टुकड़े में भोजन करें। खाना खाने के आधा घंटा पहले पानी पिए या फिर खाना खाने के डेढ़-पौने दो घंटे बाद। 
 प्रश्न : मेरी उम्र 30 वर्ष है, गैस बनती है और पखाना सख्त होता है, क्या करूं
उत्तर : देखिए आप जो खाना खाते हैं उसमें से जो नहीं पचता उसे आंत नीचे लाती है। जब आप सुबह-शाम दौड़ भाग या वॉक कम करते हैं तो आंत ढंग से नहीं चलती। ऐसे में सुबह या शाम तेज वॉक जरूर करें। पानी खूब पिए, ताकि लैटरीन पतली हो जाए। रात में दूध पीकर सोए तो भी लैटरीन साफ होगी। फिर भी आराम न हो तो ईसबगोल की भूसी पानी में डालकर प्रयोग करें और बेल का सेवन करें। 
प्रश्न : मुझे गैस खूब बनती है और पखाना ढंग से नहीं होता क्या करूं
उत्तर : देखिए जिसे गैस की दिक्कत है वह सर्दी के मौसम में बंद गोभी, फूल गोभी व मूली आदि जो हाई फोडमैप डाइट हैं उसे न खाएं। बल्कि लो फोडमैप डाइट लें। रोटी खाने में कम कर दें और चावल थोड़ा बढ़ा लें। 


प्रश्न : सर मुझे डकार आती है, बहुत दिक्कत होती है क्या करूं
उत्तर : पेट में तरल पदार्थ या फिर भोजन की जगह होती है, हवा के लिए नहीं। आप किसी न किसी तरह हवा भी पी रहे हैं। ऐसा तब होता है जब मनुष्य टेंशन में होता है और मुंह बंद करके बार-बार सांस लेता है। खाना खाने में जल्दबाजी करता है और पानी पीते समय गिलास में ढंग से मुंह नहीं लगाता। ऐसे में हवा भी पेट के भीतर चली जाती है। इसके लिए डायफ्रेमेटिक एक्सरसाइज यानी कपालभाति करें। 

प्रश्न : मेरे पेट में हल्का दर्द होता है और पेशाब भी ढंग से नहीं होती।
उत्तर : देखिए आपको इरिटेबल बॉबल सिन्ड्रोम हो गया है। ठंड में ज्यादा दिक्कत बढ़ती है। आप लो फोडमैप डाइट लें। रोटी खाने में कम कर दें और थोड़ा चावल बढ़ा लें। 
प्रश्न : मेरे गैस बनती है और सीने में जलन होती रहती है, क्या करूं 
उत्तर : आपको गैस्ट्रो ईसोफिजियल रिफ्लैक्स बीमारी हो गई है। पेट में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होता है। पेट के अंदर झिल्ली एल्किलिन होती है जो इसे बाहर आने से रोकती है। यह इसे खाने की नली ईसोफेगस में नहीं जाने देती। मगर जब इस नली व पेट के बीच का वाल्ब कमजोर हो जाता है तो एसिड इसमें पहुंचता है जो पेट के ऊपर चढ़ जाता है। ऐसे में भरपेट खाना न खाएं, क्योंकि इससे एसिड ज्यादा बनता है। खाने में नीबू व अचार का सेवन भी बंद कर दें। 
प्रश्न : मुझे गैस की दिक्कत रहती है और खाना खाते ही यह छाती पर चढ़ जाती है। क्या करूं
उत्तर : आप खाना टुकड़े में खाना शुरू कर दें। जब आप किसी बैग में ज्यादा सामान भरेंगे तो दिक्कत होगी, वैसे ही पेट में होती है। टुकड़े में भोजन करने से गैस कम बनती है। आप स्टूल की जांच करवाएं कहीं पेट में कीड़ा तो नहीं। 
प्रश्न : मेरा पेट साफ नहीं होता और पखाना करते समय दर्द होता है। 
उत्तर : आपको एलनफिशर हो गया है। इसमें मल मार्ग में जख्म हो जाता है। आप गरम पानी से इसकी सिंकाई करें। टब में हल्का गर्म पानी लेकर उसमें बैठ जाएं। पखाना करके आएं तो दोबारा उसमें बैठें। इससे जख्म भरेगा। पानी खूब पिए और मिर्च व मसालेदार चीजों का सेवन कम करें। 
प्रश्न : मेरे पित्त की थैली में पथरी है और मैं गर्भवती भी हूं? दर्द बहुत है क्या करूं

उत्तर : पित्त की थैली में पथरी रहना ठीक नहीं। आप इसका तुरंत आपरेशन करवाएं। इसके लिए अच्छी स्त्री रोग विशेषज्ञ व सर्जन से मिलें। 
प्रश्न : मुझे खाने के तुरंत बाद पखाना लगता है, क्या करूं
उत्तर :अपने स्टूल की रुटीन जांच करवा लें। आपके पेट में जियाडिया कीड़ा हो सकता है। पेट में इसके होने से इस तरह की दिक्कत होती है। 
प्रश्न : मेरे छाती में अचानक गैस चढ़ती है और पसीना आने के साथ दर्द होने लगता है। क्या करूं
उत्तर : हो सकता है यह पेट की समस्या न हो। क्योंकि आपका ब्लड प्रेशर बढ़ता है। यह हृदय की समस्या हो सकती है। हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें। 
खाना खाने के आधा घंटा पहले या दो घंटे बाद पिए पानी 
क्योंकि पेट का बैग ज्यादा खाने से भर जाता है। फिर जब आप पानी व खाना साथ-साथ खाते-पीते हैं तो दिक्कत होती है। पानी पीने के बाद वह पेशाब के माध्यम से पंद्रह से 30 मिनट में निकलता है और खाना डेढ़ से पौने दो घंटे में पचता है। ऐसे में एक साथ दोनों का सेवन करने से अच्छा है कि आप अंतराल बनाएं।
टुकड़े में करें भोजन नहीं बनेगी गैस 
हमेशा दिन भर में एक साथ भोजन न करें बल्कि टुकड़े में भोजन करें तो अच्छा होगा। इससे गैस नहीं बनती। खाना भी आराम से पच जाता है। 
गैस बने तो रोटी कम कर दें और चावल बढ़ा लें 
गैस बनने की दिक्कत है तो आप अपने भोजन में रोटी को कम कर दें और चावल की मात्रा बढ़ा लें। क्योंकि चावल लो फोडमैप डाइट की श्रेणी में आता है। इससे गैस नहीं बनती। 
पेट व गैस के रोगी इन बातों का रखें ख्याल 
·         संतुलित भोजन करें, इसमें 60 प्रतिशत 50 से 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट 30 प्रतिशत तक प्रोटीन व 15 से 20 प्रतिशत तक फैट होना चाहिए। 
·         शाकाहारी भोजन करें, मांसाहारी का सेवन कम करें। 
·         रोज व्यायाम जरूर करें
·         मोटापे पर नियंत्रण रखें
·         धूमपान न करें। पान मसाला, तंबाकू व अल्कोहल का सेवन पेट के लिए अच्छा नहीं होता। 
यह हैं लो फोडमैप भोज्य पदार्थ 
चावल, गाजर, संतरा, अंगूर, खीरा, भुट्टा, टमाटर, ब्लैक टी, बैगन, नींबू, ग्रीन बीन्स आदि। 
यह है हाईफोडमैप भोज्य पदार्थ 
गेंहू, प्याज, लहसुन, भिंडी, मशरूम, पत्ता गोभी, फूल गोभी, मटर, सेब, तरबूज, दूध व उससे बने पदार्थ, राई, बेक्ड बीन, केन में पैक्ड फ्रूट आदि
यह वेबसाइट पेट रोगियों के लिए मददगार 
प्रोफेसर डॉ. यूसी घोषाल ने बताया कि उन्होंने www.spreadhealth.in पर पेट के रोगियों को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। क्या खाना चाहिए और कैसी जीवन शैली अपनानी चाहिए। इसके बारे में पूरी जानकारी वीडियो सहित दे रखी है। कोई भी इस वेबसाइट से मदद ले सकता है। 


निदेशक के मनाने के बाद भी पीजीआई कर्मचारी हड़ताल पर अड़े- एम्स के समान भत्ते को लेकर आंदोलन

निदेशक के मनाने के बाद भी  पीजीआई कर्मचारी हड़ताल पर अड़े
एम्स के समान भत्ते को लेकर आंदोलन

 संजय गांधी पीजीआई के कर्मचारियों द्वारा प्रस्तावित कार्य बहिष्कार और हड़ताल को निदेशक द्वारा एक  हफ्ते टालने के मुद्दे पर कर्मचारी कतई तैयार नही हैं। एम्स के समान भत्ते का भुगतान और नियमावली के संशोधन हेतु कर्मचारी नेता आन्दोलन का मूड बना चुके हैं। नेताओं का कहना है कि एक जनवरी से प्रस्तावित कार्य बहिष्कार समेत अन्य आन्दोलनों में कोई फेरबदल नही किया जायेगा। आन्दोलन के लिए कर्मचारी द्वारा बनायी गई कोर कमेटी ने बुधवार को आन्दोलन का कार्यक्रम जारी कर दिया है। 

पीजीआई कर्मियों का आन्दोलन आज से 

गुरुवार को कोर कमेटी के पदाधिकारी कर्मचारियों के नेतृत्व में 27 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक संस्थान के जिम्मेदार अधिकारयों से वार्ता और उनका घेराव करेंगे। नये साल में एक जनवरी से तीन जनवरी के मध्य संस्थान में कार्य बहिष्कार हेतु जागरुकता कार्यक्रम। चार से छह जनवरी तक इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कार संस्थान में समस्त कार्यों का बहिष्कार होगा। सात जनवरी से पूरी तरह से हड़ताल होगी। संस्थान के कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार संस्थान के स्थापना से मिल रहे एम्स के समान भत्ते न देकर प्रदेश सरकार के अनुसार देना चाह रही है। जो बिल्कुल सरासर गलत है। इससे कर्मचारियों में बड़ा आक्रोश है। संस्थान के समस्त कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर हड़ताल करेंगे। इस दौरान  संस्थान में भर्ती मरीजों, ओपीडी समेत अन्य सभी सेवायें प्रभावित होंगी। इसके लिए शासन -प्रशासन जिम्मेदार होगा।  

बनी कोर कमेटी

कोर कमेटी में डीके सिंह, सरोज वर्मा, सतीश मिश्रा, राम कुमार सिन्हा,रेखा मिश्रा, सीएल वर्मा, केके तिवारी, एनपी श्रीवास्तव, तुलझी झा, धर्मेश कुमार, सावित्री सिंह, सुनीता सिंह, सीमा शुक्ला, सुजान, महिपाल, अमर सिंह व सुनील यादव का नाम शामिल है।

मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

पीजीआई ने खोजा स्टेरायड की कार्य क्षमता बढाने का नुस्खा - डायबटीज की दवा स्टेरायड के साथ आटो इम्यून डिजीज में कारगर

पीजीआई ने खोजा स्टेरायड की कार्य क्षमता बढाने का नुस्खा


डायबटीज की दवा स्टेरायड के साथ आटो इम्यून डिजीज में कारगर
कंबीनेशन में स्टेरायड देने से नहीं बढाना पडेगा डोज
शोध के आइराकान -2018 में बेस्ट पेपर एवार्ड
कुमार संजय। लखनऊ

स्टेरायड के कुभाव को कम करने के साथ ही इसकी दक्षता को बढाने का नुस्खा संजय गांधी पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग के विभागों ने खोज लिया है। प्रयोगशाला में आटो इम्यून डिजीज से ग्रस्त मरीज के खून से  मोनो साइट न्यूक्लियर सेल अलग कर नए नुस्खे का प्रभाव देखा तो स्टेरायड के साथ डायबटीज में दी जाने वाली दवा मेटाफारिमन देने पर सेल से पी ग्लाइको प्रोटीन का स्तर कम हुअा । इंफलामेट्री साइटोकाइन का स्तर भी कम हुअा । इससे साबित हुआ कि कंबीनेशन में स्टेरायड देने से स्टेरायड की कार्य क्षमता बढ जाती है। बीमारी पर नियंत्रण के लिए स्टेरायड का डोज नहीं बढाना पडेगा। इस तरह का यह उत्तर भारत का पहला शोध है।  इस शोध को हाल में असम में आायोजित इडियन एसोसिएशन अाफ रूमैटोलाजी ( आइराकान-2018) में बेस्ट पेपर एवार्ड मिला। शोध दल के प्रमुख प्रो.विकास अग्रवाल, डा. संदीप और डा. मोहित राय ने बताया कि आटो इम्यून डिजीज में इलाज और बीमारी के नियंत्रण के लिए स्टेरायड दिया जाता है। कई बाद दवा से रिस्पांस न मिलने पर दवा का डो़ज बढाते जाते है। स्टेरायड की मात्र अदिक देने पर उससे कुप्रभाव पड़ता है जिसमें डायबटीज, उच्च रक्त चाप, मोतिया बिंद, शरीर का भार बढने सहित कई परेशानी होती है। स्टेरायज का डोज न बढाना पडे इसके लिए हम ने  का शोध प्लान किया । हम लोगों ने लैब में मरीजों का खास लेकर नए कंबीनेशन का शोध किया। प्रो. विकास ने बताया कि शुरूअाती शोध काफी उत्साहजनक साहित हुअा है।  लैब में पुष्टि के बाद अब कुछ मरीजों पर इस कंबीनेशन का प्रभाव देखेंगे जा रहे हैं। 

क्या आटो इम्यून डिजीज
शरीर को बीमारी से बचाने के लिए शरीर में एंटीबाडी बनती है जो दुश्मन को पहचान कर उसे नष्ट करती है। कई लोगों में एंटीबाडी शरीर के अंगों को ही दुश्मन मान कर उसके खिलाफ कम करने लगती है जिससे वह अंग खराब होने लगता है। इस बीमारी में एसएलई( ल्यूपस) पाली मायोसाइिटस, वेस्कुलाइिटस, मल्टी कनेक्टिव टिशू डिजीज, रूमटायड अर्थराइिटस सहित पचास से अदिक बीमारियां है। इनमें से कई बीमारी में स्टेरायड दिया जाता है।  तीन से पांच फीसदी लोग किसी न किसी आटो इम्यून डिजीज के गिरफ्त में आते हैं।  

गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

गोरखपुर मेडिकल कालेज बना प्रदेश का पहला मेडिकल कालेज एनएबीएल

मेडिकल कालेज गोरखपुर  से पीजीआइ रिफर मरीजों को नहीं करानी पड़ेगी सामान्य जांच 
 
पीजीआइ में बन जाएगी प्राइमरी डायग्नोसिस 
गोरखपुर मेडिकल कालेज बना प्रदेश का पहला मेडिकल कालेज 
एनएबीएल के वैश्विक स्तर की मिलती है मरीजों को जांच रिपोर्ट


सबसे पिछड़ा माने जाने वाले बाबा राधाव दास मेडिकल कालेज गोरखपुर प्रदेश का कहना मेडिकल बन गया है जहां की खून की जांच की लैब एनएबीएल( नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड आफ टेस्टिंग लैबोरेटरी)  का प्रणाम पत्र मिला है। संजय गांधी पीजीआई में गोरखपुर से तमाम मरीज रिफर हो कर आते है । अब वहां की जांच रिपोर्ट होने पर संस्थान में मान्य होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि वहां की जांच रिपोर्ट होने पर प्राइमरी जांच के आधार पर बीमारी का अनुमान लगा कर आगे की जांच प्लान की जाएगी।  एनएबीएल उसी लैब को प्रमाण पत्र देता है lजहां पर परीक्षण के सभी मानक पूरे होते है। परीक्षण रिपोर्ट की गुणवत्ता नेशनल लेवल की होती है। प्रमाण पत्र देने से पहले बोर्ड के सदस्य कई मानकों पर मौके पर पहुंच कर मानकों का परीक्षण करते हैं । इसमें लैब में काम करने लैब टेक्नीशियन की योग्यता।  मशीन की गुणवत्ता। जांच रिपोर्ट का क्वालिटी सहित कई मानकों को परखते हैं। इससे पहले किंग जार्ज मेडिकल विवि को एनएबीएल का प्रमाण पत्र मिला । किंग जार्ज विवि है जबकि बीआऱडी सरकारी मेडिकल कालेज है। बोर्ड ने एमसी-3035 के जरिए बताया है कि यह प्रमाण पत्र 25 नबंवर 2020 तक के लिए मान्य होगा। एनएबीएल के लिए संजय गांधी पीजीआइ सहित कई संस्थान लगातार प्रयास रत है।  मानक में सैपल कलेक्शन, स्टोरेज, उपकरण, मानव संसाधन , वेस्ट मैनेजमेंट, हाइजिन सहित कई मानक पर परखा जाता है।  

134 देशों में मान्य होगी जांच रिपोर्ट

 एनएबीएल की मान्यता मिलने से मरीजों को दोबारा जांच नहीं करानी पड़ेगी।इससे मरीज आर्थिक, मानसिक व शारीरिक परेशानी से भी बच सकेंगे। पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री लेबोरेटरीज को नेशनल बोर्ड से एक्रीडिएशन कराने के बाद मिलने से मरीजों को वैश्विक स्तर की जांच रिपोर्ट मिलेगी। 

बुधवार, 19 दिसंबर 2018

पैकेज सिस्टम पीजीआइ में बना आयुष्मान योजना के लिए रोड़ा


पैकेज सिस्टम पीजीआइ में बना आयुष्मान योजना के लिए रोड़ा


आयुष्मान में इलाज के खर्च और पीजीआई के खर्च में अंतर 



संजय गांधी पीजीआई में आयुष्मान योजना के तहत इलाज की सुविधा में इलाज और सर्जरी के लिए सरकार का पैकेज सिस्टम आडे आ रहा है। संस्थान प्रशासन इस योजना में संस्थान को शामिल करने के लिए सिमित का गठन किया हुआ है जो कई पहलुअों पर चर्चा कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है। संस्थान में एक्चुअल बिलिंग सिस्टम है यानि जितना खर्च होता उतना पैसा मरीज को देना होता है। स्पष्ट किया कि थायरड सर्जरी में 24 हजार लगा जो उतना पैसा देना होता है । आयुष्मान भारत में पैकेज सिस्टम के कहत 20 हजार है तो चार हजार कैसे मैनेज होगा। एेसे ही कई बीमारियों के इलाज में पैसा कम है पैकेज सिस्टम के तहत जिसके कारण संस्थान को इस योजना में शामिल होने में परेशानी हो रही है। प्रशासन का कहना है कि पैकेज के तहत तय पैसे के साथ -साथ एक कोष में अतिरिक्त पैसा दिया जाए जिससे बाकी पैसा उस कोष से मरीज के एकाउंट में ट्रांसफर किया जा सके। यह संभव नहीं है तो विधायक, पूर्व विधायक, पुलिस, पत्रकार , न्यायिक सेवा के इलाज की निःशुल्क सुविधा जैसे संस्थान में है वैसा ही सिस्टम आयुष्मान के लिए बनाया जाए इसके लिए अलग से कोष स्थापित कर उसमें पैसा रखा जाए । इस कोष से पैसा मरीज के एकाउंट में ट्रांसफर होता रहे। 

और बढ़ जाएगी भीड़

संस्थान ने पहले से कई लाख कर्मचारियों के इलाज का जिम्मा ले रखा है जिसमें कई विभाग शामिल है । इसके साथ ही कई प्रदेशों के मरीज आाते है । इनके लिए ही बेड उपलब्ध नहीं होता है एेसे में आयुष्मान योजना में संस्थान के शामिल होने पर भीड़ और बढेगी जिसके कारण सर्जरी की वेटिंग और बढेगी। अोपीडी में भी भीड़ बढेगी। योजना में शामिल होने से पहले संसाधन बढाना होगा।   

आयुष्मान योजना के विरोध में नहीं हूं लेकिन पैकेज सिस्टम हमारे संस्थान में नहीं लागू है एक्चुअल बिलिंग सिस्टम है जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली दवा और सर्जिकल आइटम इस्तेमाल किया जाता है। पैकेज सिस्टम में एक फिक्श राशि मिलती है जिसमें बिलिंग का अंतर कैसे पेमेंट होगा। बीच का रास्ता निकला रहे है......निदेशक प्रो. राकेश कपूर