रविवार, 26 नवंबर 2023

मधुमेह के कारण 15 फीसदी होते है डायबिटिक फुट अल्सर के शिकार

 




 मधुमेह के कारण 15 फीसदी होते है डायबिटिक फुट अल्सर के शिकार

डायबिटिक फुट अल्सर के शिकार 20 फीसदी को खोना पड़ता है अंग

  महंगा है इलाज इस लिए डायबिटीज पर नियंत्रण के साथ पैर पर रखें नजर

डायबिटिक फुट मैनेजमेंट संगोष्ठी आज 




डायबिटिक फुट अल्सर(डीएफयू) एक खुला घाव है, जो मधुमेह से ग्रस्त 15 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है। आमतौर पर पैर के निचले हिस्से में होता है। 25 फीसदी मधुमेह रोगियों को अपने जीवनकाल में स समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 50 फीसदी संक्रमित हो जाते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। 20 फीसदी में अंग काटने की आवश्यकता होती है। यह विच्छेदन 30-60 वर्ष की आयु में अधिक आम है। आम तौर पर परिवार में केवल कमाने वाले सदस्य होते हैं और विच्छेदन के कारण उनकी नौकरी छूट सकती है। संजय गांधी पीजीआई के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के डायबिटिक फुट एक्सपर्ट प्रो. ज्ञान चंद ने बताया कि डीएफयू देखभाल के लिए भारत सबसे महंगा देश है। अंग विच्छेदन शारीरिक रूप से वे उचित व्यायाम करने में सक्षम नहीं होते हैं । 50 फीसदी डीएफयू रोगी जिनका अंग एक बार कट जाता है, उन्हें अगले 2 वर्षों के भीतर पुनः अंग विच्छेदन कराना पड़ता है। इसलिए उनकी जल्दी मौत हो सकती है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में मधुमेह के कारण निचले अंग कटे हुए 50 फीसदी लोग अंग-विच्छेदन के बाद तीन साल के भीतर मर जाते हैं। जागरूकता और शीघ्र उपचार बडे नुकसान से बच सकते हैं।


डायबटिक मरीज करते है पैर की उपेक्षा


मधुमेह रोगियों के उपचार में सामान्यतया पैर की उपेक्षा की जाती है । चिकित्सक भी इस समस्या के प्रबंधन में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, इसलिए हम इस समस्या की बेहतर देखभाल के लिए युवा डॉक्टरों को प्रशिक्षित करना चाहते हैं और मधुमेह रोगियों के बीच जागरूकता बढ़ाना की जरूरत है। इसी उद्देश्य से एंडोक्राइन सर्जरी विभाग 25 नवंबर 2023 को डायबिटिक फुट मैनेजमेंट पर एक दिवसीय सीएमई का आयोजन करने जा रहा है। मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थोपेडिक सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, एंडोक्रिनोलॉजी और एंडोक्राइन सर्जरी सहित अन्य विशिष्टताओं के युवा डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। दिल्ली राष्ट्रीय घाव देखभाल परियोजना के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. अशोक दामिर, हुबली कर्नाटक से डॉ. सुनील कारी, वरिष्ठ सलाहकार मधुमेह पैर सर्जन, मधुमेह अंग बचाव विभाग के एचओडी, डॉ. सुरेश पुरोहित मधुमेह देखभाल चिकित्सक, हाइपरबेरिक मेडिसिन मुंबई व अन्य विशेषज्ञ डायबिटिक फुट के प्रबंधन पर जानकारी देंगे। 


इतना है डायबटिक फुट के इलाज में खर्च


  न्यूरोपैथी अल्सर (एम्बुलेटरी देखभाल)- 4666

 संक्रमित न्यूरोपैथी पैर (एम्बुलेटरी देखभाल)-13750,

 उन्नत मधुमेह पैर (बचाव, अंग विच्छेदन, विच्छेदन के बाद बचाव),-90000 

न्यूरोइस्केमिक पैर (बाईपास)-800

00




पैर की होगी बाई पास सर्जरी सामान्य होगा अल्सर में रक्त प्रवाह

 


पीजीआई में डायबिटिक फुट अल्सर पर सेमिनार


पैर की होगी बाई पास सर्जरी सामान्य होगा अल्सर में रक्त प्रवाह   


 एंजियोप्लास्टी और डिब्रीमेंट से ठीक होगा पैर का घाव


अंग विच्छेदन की से होगा बचाव संभव


 


एडवांस आर्टिरियल ब्लॉकेज के कारण होने वाले डायबिटिक फुट अल्सर का इलाज पैर बाईपास सर्जरी से संभव है। इसमें रक्त प्रवाह लिए अवरुद्ध धमनी के चारों ओर शरीर के दूसरे अंग से नस लेकर रक्त रोपित किया जाता है जिससे रक्त प्रवाह का नया मार्ग बनाया जाता है। पैर में रक्त का प्रवाह सामान्य हो जाता है। अल्सर में रक्त प्रवाह सामान्य होने के बाद घाव जल्दी भरता है। अंग विच्छेदन की आशंका खत्म हो जाती है। संजय गांधी पीजीआई में डायबिटिक फुट अल्सर पर आयोजित सेमिनार में एंडोक्राइन सर्जन एवं डायबिटिक फुट एक्सपर्ट प्रो. ज्ञान चंद ने बताया कि मधुमेह के मरीजों में लोअर एक्सट्रीमिटी आर्टरी डिज़ीज़ की आशंका रहती है। यह ऐसी स्थिति जिसमें पैरों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। अल्सर को ठीक करने के लिए आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाता है जिससे अल्सर जल्दी नहीं ठीक होता है।




पैर की भी होती है एंजियोप्लास्टी


 हुबली कर्नाटक से डायबिटीक फुट सर्जन, मधुमेह अंग बचाव विभाग के एचओडी


डॉ. सुनील कारी ने बताया कि लोअर एक्सट्रीमिटी आर्टीरियल डिज़ीज़ में रक्त प्रवाह को बढ़ाने के लिए एथेरेक्टॉमी की जाती है। इसमें रक्त में वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और अन्य सामग्रियों से आई रुकावट को खोला जाता है। दिल की तरह बैलून एंजियोप्लास्टी कर के स्टेंट यानी एक धातु की जाली वाली ट्यूब डाली जाती है, जिससे रक्त वाहिका में रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है।



 


 


डीब्रीमेंट से भी ठीक होता है पैर का अल्सर


 


 मंबई के हाइपरबेरिक मेडिसिन एवं डायबिटिक फुट विशेषज्ञ डॉ. सुरेश पुरोहित ने बताया कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी (एचबीओटी)से भी धाव जल्दी भरता है। ऐसे संक्रमणों को ठीक करने में किया जाता है जिनमें ऊतकों को ऑक्सीजन की कमी होती है। औसत से 1.5 से 3 गुना अधिक वायु दबाव के स्तर में शुद्ध ऑक्सीजन दिया जाता है। ऊतकों की मरम्मत और शरीर के सामान्य कामकाज को बहाल करने के लिए रक्त को पर्याप्त ऑक्सीजन से की जरूरत पूरी की जाती है। दवा से ठीक नहीं होता तो डिब्रीमेंट करते है जिसमें अल्सर से मृत या संक्रमित त्वचा और ऊतक को साफ किया जाता है। साफ करने के बाद घाव को कीटाणुनाशक घोल से धोते हैं। हफ्तों या महीनों के दौरान एक से अधिक बार डिब्रीमेंट किया जा सकता है। 



यह परेशानी तो ले सलाह


 


-प्रभावित क्षेत्र पर त्वचा का काला पड़ना।


-गर्म या ठंडा महसूस करने की क्षमता कम होना।


-प्रभावित क्षेत्र का सुन्न होना।


- अल्सर के आसपास दर्द


-पैरों में झुनझुनी


 


यदि नहीं कराया इलाज तो यह होगी परेशानी


-तंत्रिका और रक्त वाहिका की क्षति के कारण त्वचा और हड्डी में संक्रमण हो सकता है


- किडनी और दिल की बीमारी , मल्टी ऑर्गन फेल्योर


-गैंग्रीन


- पैरों की मांसपेशियों हड्डियों में कमजोरी


- विच्छेदन यानि संक्रमण को फैलने से रोकने के 

लिए सर्जन को पैर काटना होगा


बुधवार, 22 नवंबर 2023

More than 15 infections will be detected in a single sample at a time - First center to start multiplex PCR

 


Workshop and CME on Transplant Associated Infection




More than 15 infections will be detected in a single sample at a time


First center to start multiplex PCR


 There is a possibility of infection in 50 to 80 percent after organ transplant.


Virus, fungus, bacteria and parasites are the enemies of transplant people.


 




Now it has become possible to find out what kind of infection a patient has and which bacteria, virus, fungus or parasite he has. Sanjay Gandhi PGI is going to start multiplex PCR. This test will detect more than 15 infectious agents at once from a single sample. There will be no need to test the patient separately. Once infection is detected, treatment will begin quickly. The patient will get a lot of relief. This testing will start this month. Head of the department Prof. Rungmei SK Merck said that the risk of infection after kidney and liver transplant is 50 to 80 percent. If the infection is detected at the right time, they can get a long and successful life by eliminating the infection with medicines. Among these, the possibility of viral fungal infection is highest. After this, there is a possibility of bacterial and parasitic infection. Prof. of Era Medical College in the CME and workshop organized by the department on Transplant Associated Infection. Vinita Khare, Prof. of SGPGI. Chinmoy Shahu and Dr. Ashima said that immunosuppressive drugs are used in transplant patients so that the body does not produce antibodies to the transplanted organ and the body accepts the organ. The immune system remains weak due to immunosuppressive. There may be a deficiency of neutrophils due to which there is a higher risk of viral and fungal infections.




If you have this problem then seek advice immediately


Pro. Merck said that if symptoms of infection include fever, weakness and feeling tired or loss of appetite, one should immediately contact their transplant specialist. The doctor should also think about infection. It has been observed that there is a possibility of TB infection in people who have undergone transplant. By finding out the cause of infection at the right time and with proper treatment, they can be saved to a great extent.







This is the enemy of transplanted people.


 

virus


-Herpes group (CMV, EBV, HHV6, 7, 8, HSV, VZV)


-Hepatitis viruses (HAV, HBV, HCV, HEV)


-Retroviruses (HIV, HTLV-1 and 2)


- West Nile (WNV), lymphocytic choriomeningitis virus, rabies


 


 bacteria


-Gram-positive and Gram-negative bacteria (Staphylococcus spp., Pseudomonas spp., Enterobacteriaceae, antimicrobial-resistant organisms), Legionella spp.


-Mycobacteria (tuberculosis and non-tuberculosis)


-Nocardia spp


fungus


 


-Candida spp.


-Aspergillus spp.


-Cryptococcus spp.


- Pseudosporium, agent of mucormycosis, pheohyphomycosis)


 


parasite


-Toxoplasma gondii


-Trypanosoma cruzi


-Strongyloides stercoralis


-Leishmania spp.


- Balamuthia spp.

virus

एक बार में एक ही नमूने लगेगा 15 से अधिक संक्रमण का पता - मल्टीप्लेक्स पीसीआऱ शुरू करने वाला पहला केंद्र

 

ट्रांसप्लांट एसोसिएटेड इंफेक्शन पर वर्कशाप एवं सीएमई 


एक बार में एक ही नमूने  लगेगा 15 से अधिक संक्रमण का पता

मल्टीप्लेक्स पीसीआऱ शुरू करने वाला पहला केंद्र

 अंग प्रत्यारोपण के बाद 50 से 80 फीसदी में होती है संक्रमण की आशंका

वायरस, फंगस, बैक्टीरिया और परजीवी है ट्रांसप्लांट कराए लोगों के दुश्मन

 

 

अब किसी मरीज में किस तरह का और किस बैक्टीरिया या वायरस, फंगस या परवीजी का संक्रमण है एक बार पता लगाना संभव हो गया है। संजय गांधी पीजीआई मल्टीप्लेक्स पीसीआर शुरू करने जा रहा है। इस परीक्षण से एक बार में ही 15 से अधिक संक्रामक का पता एक ही नमूने से एक बार में लगेगा।  मरीज का अलग –अलग परीक्षण नहीं करना पड़ेगा। एक बार संक्रामक का पता लगने से इलाज जल्दी शुरू होगा। मरीज को काफी राहत भरा होगा। इसी माह यह परीक्षण शुरू हो जाएगा।  विभाग की प्रमुख प्रो. रूंगमी एस के मर्क ने बताया कि किडनी  और लिवर ट्रांसप्लांट के बाद संक्रमण की आशंका  50 से 80 फीसदी की रहती है। संक्रमण का पता सही समय पर लग जाए तो दवाओं से संक्रमण को खत्म कर इन्हें लंबी और सफल जिंदगी मिल सकती है। इनमें वायरल फंगल संक्रमण की आशंका सबसे अधिक होती है। इसके बाद बैक्टीरियल और पैरासाइट के संक्रमण की आशंका रहती है। विभाग द्वारा ट्रांसप्लांट एसोसिएटेड इंफेक्शन पर आयोजित सीएमई एवं वर्कशाप में एरा मेडिकल कालेज की प्रो. विनीता खरे, एसजीपीजीआई के प्रो. चिन्मय शाहू और डा. आशिमा ने बताया कि ट्रांसप्लांट के मरीजों में इम्यूनोसप्रेसिव चलता है जिससे प्रत्यारोपित अंग के शरीर एंटीबॉडी न बने और शरीर अंग को स्वीकार करे। इण्यूनोसप्रेसिव की वजह से इण्यून सिस्मटम कमजोर रहता है। न्यूट्रोफिल की कमी हो सकती है जिसके कारण वायरल और फंगल इंफेक्शन की आशंका अधिक रहती है। 


यह परेशानी तो तुरंत ले सलाह

प्रो. मर्क ने कहा कि संक्रमण के लक्षण बुखार, कमजोरी और थकान महसूस कम भूख की परेशानी होने पर तुरंत अपने ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।  डॉक्टर को भी संक्रमण के बारे में सोचना चाहिए । देखा गया है कि ट्रांसप्लांट कार चुके लोगों में टीबी संक्रमण की भी आशंका रहती है।   सही समय पर संक्रमण के कारण का पता लगा कर सही इलाज से काफी हद तक इन्हें बचाया जा सकता है।



यह है ट्रांसप्लांट कराए लोगों के दुश्मन

 

वायरस

-हरपीस समूह (सीएमवीईबीवीएचएचवी678एचएसवीवीजेडवी)

-हेपेटाइटिस वायरस (एचएवीएचबीवीएचसीवीएचईवी)

-रेट्रोवायरस (एचआईवीएचटीएलवी-1 और 2)

- वेस्ट नाइल (डब्ल्यूएनवी) लिम्फोसाइटिक कोरियोमेनिनजाइटिस वायरसरेबीज

 

 जीवाणु

-ग्राम-पॉजिटिव और ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया ( स्टैफिलोकोकस एसपीपी.स्यूडोमोनास एसपीपी.एंटरोबैक्टीरियासीरोगाणुरोधी-प्रतिरोधी जीव)लीजिओनेला एसपीपी।

-माइकोबैक्टीरिया (क्षय रोग और गैर तपेदिक)

-नोकार्डिया एसपीपी

फंगस

 

-कैंडिडा एसपीपी.

-एस्परगिलस एसपीपी.

-क्रिप्टोकोकस एसपीपी.

 सेडोस्पोरियम , म्यूकोर्मिकोसिस के एजेंटफियोहाइफोमाइकोसिस)

 

परजीवी

-टोकसोपलसमा गोंदी

-ट्रिपैनोसोमा क्रूज़ी

-स्ट्रांगाइलोइड्स स्टेरकोरेलिस

-लीशमैनिया एसपीपी।

- बालामुथिया एसपीपी

सोमवार, 20 नवंबर 2023

Liver cancer surgery done with laparoscope for the first time in PGI - First controlled jaundice and then got relief from liver cancer.















 Liver cancer surgery done with laparoscope for the first time in PGI


First controlled jaundice and then got relief from liver cancer.



 Due to blockage in the bile duct, the jaundice marker bilirubin had reached 24.


 Jaundice was controlled by opening Bile Duct by  tube .



27-year-old Kripa Sindhu, a teacher by profession and resident of Gorakhpur, suffered from severe jaundice. Serum bilirubin reached 24. Many problems including fever and vomiting started. Showed at many places but did not get relief from anywhere. The problems of pain, jaundice and fever increased. Sanjay Gandhi PGI reached here after getting tired, Prof. in the Gastro Surgery Department. Contacted Ashok Kumar sec. Blood test and CT scan revealed that there was cancer in the liver associated with the biliary system on the left side, which is called cholangiocarcinoma in medical language. Due to increasing jaundice and infection, bilirubin had increased to 24. Pro. Ashok was the first to remove the blockage in the bile duct by inserting a tube into the bile duct using PTBD (Bile duct through liver) technique. This normalized bilirubin. After controlling the infection, he underwent surgery. By laparoscopy technique, the left side segment of the liver along with the tumor was removed (left hepatectomy). After 12 hours of complex laparoscopic surgery, the tumor was successfully removed and the intestine was connected to the bile duct through a small incision in the abdomen. Laparoscopic major liver resection surgery has been performed for the first time in the institute. After the surgery, the patient improved rapidly and he had to stay in the ICU for observation only for a day.



Cirrhosis and changes in liver cause problems


  It was a very challenging operation because there was biliary cirrhosis and change in the size of the liver. The jaundice of the first patient was corrected. Improved the patient's fitness through nutrition support.


 


 


Only one unit of blood was needed


There are many metabolic changes that occur during liver removal surgery. Which have to be repaired carefully. Due to the laparoscopic method, there was little to no change during the operation. There was no need for any blood transfusion during the operation, only one unit of blood was transfused after the surgery.


 


 


diet to be taken in three days


Started dieting just 3 days after surgery. Regarding the surgery experience, Kripa Sindhu said that it did not feel like she had any complicated surgery. Feeling fit.


This team executed


Gastro Surgery - Prof. Ashok Kumar Second, Assistant Prof. Somnath, Dr. Divya Jain, Dr. Ankit, Dr. Satvik, Anesthesia- Dr. Divya Srivastava, Dr. Sanchi, Lab Technologist Anil Verma  Nursing Sushila, Kanchan, Abha




Liver cancer occurs in 9.3 cases per 1 lakh




The incidence rate of liver and intrahepatic bile duct cancer is 9.3 per 100,000 men and women per year. The mortality rate is 6.6 per 100,000 men and women per year. The cost of treatment in an institute like PGI is Rs 50 to 60 thousand.





पीजीआई में पहली बार हुई लिवर कैंसर की लेप्रोस्कोप से सर्जरी - पहले पीलिया नियंत्रित किया फिर दिलाया लिवर कैंसर से निजात

 



पीजीआई में पहली बार हुई  लिवर कैंसर की लेप्रोस्कोप से  सर्जरी

पहले पीलिया नियंत्रित किया फिर दिलाया लिवर कैंसर से निजात


 पित्त नली में रुकावट के कारण पीलिया मार्कर बिलीरूबिन पहुंच गया था 24 

 पित्त नली में नली डालकर खोला रास्ता जिससे नियंत्रित किया पीलिया 


गोरखपुर के रहने वाले पेशे से शिक्षक 27  वर्षीय कृपा सिंधु पीलिया की गंभीर  परेशानी हुई। सीरम बिलीरूबिन 24 पहुंच गया । बुखार, उल्टी सहित कई परेशानी होने लगी। कई जगह दिखाया लेकिन कही से राहत नहीं मिली। दर्दपीलिया और बुखार की समस्या बढ़ती गई। संजय गांधी पीजीआई थक हार कर पहुंचे यहां पर गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में प्रो. अशोक कुमार सेकेंड से संपर्क किया। ब्लड जांच तथा सीटी स्कैन में पता चला कि बाई तरफ के पित्त प्रणाली से जुड़े लीवर में कैंसर जिसे डॉक्टरी भाषा में कोलोनजियो कार्सिनोमा कहते हैं।  बढ़ते पीलिया और  संक्रमण के कारण बिलीरुबिन 24 तक हो गया था । प्रो. अशोक ने पहले  पीटीबीडी (यकृत के माध्यम से पित्त नली में नलिकाएं) तकनीक से बाइल डक्ट में ट्यूब डालकर  पित्त नली की रुकावट को दूर किया । इससे  बिलीरुबिन को नॉर्मल हुआ। संक्रमण नियंत्रण के बाद उन्हें सर्जरी की गयी।  लेप्रोस्कोपी तकनीक से ट्यूमर के साथ लीवर के बाई तरफ के सेगमेंट (लेफ्ट हिपेटेक्टमी) को निकाल दिया। 12 घंटे की जटिल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकल दिया गया और पेट में एक छोटा सा चीरा लगाकर आंत को पित्त नली से जोड़ दिया गया।संस्थान में पहली बार  लेप्रोस्कोपिक मेजर लिवर रिसेक्शन सर्जरी गई है। सर्जरी के बाद मरीज में सुधार तेजी से हुआ और उन्हें सिर्फ एक दिन के लिए उन्हें ऑब्जर्वेशन के लिए आईसीयू में रहना पड़ा।

 

 

सिरोसिस और लिवर में बदलाव ने खड़ी की परेशानी

  बेहद चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन था क्योंकि  बिलियरी  सिरोसिस और लीवर के आकार में बदलाव आ गया था। पहले मरीज के पीलिया को सही किया गया। न्यूट्रिशन सपोर्ट के जरिए पेशंट की   फिटनेस को ठीक किया।  

 

 

केवल एक यूनिट ब्लड की पड़ी जरूरत

लिवर निकालने सर्जरी में बहुत सारे मेटाबोलिक बदलाव होते हैं। जिनको सावधानी से ठीक करना पड़ता है। लेप्रोस्कोपिक विधि के कारण ऑपरेशन के दौरान बदलाव न के बराबर ह्आ। ऑपरेशन के दौरान कोई भी ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं पड़ी सिर्फ सर्जरी के बाद  एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया।

 

 

तीन दिन में लेने आहार

सर्जरी के सिर्फ 3 दिन बाद आहार लेने लगे।  सर्जरी के अनुभव के बारे में कृपा सिंधु ने कहा कि ऐसा महसूस नहीं हुआ कि उनकी कोई जटिल सर्जरी हुई है। फिट महसूस कर रहे हैं। 

इस टीम ने दिया अंजाम

गैस्ट्रो सर्जरी - प्रो. अशोक कुमार सेकेंड, सहायक प्रो. सोमनाथ, डा.

 दिव्या जैन, डा. अंकित, डा. सात्विक, एनेस्थीसिया- डा. दिव्या

 श्रीवास्तव, डा. सांची, लैब टेक्नोलाजिस्ट अनिल वर्मा.  नर्सिंग  सुशीला, कंचन, आभा


प्रति एक लाख में 9.3 में होता है लिवर कैंसर


लीवर और इंट्राहेपेटिक पित्त नली कैंसर के  मामलों की दर प्रति वर्ष प्रति एक लाख पुरुषों और महिलाओं पर 9.3 है। मृत्यु दर प्रति वर्ष प्रति एक लाख पुरुषों और महिलाओं पर 6.6 है। इलाज का खर्च पीजीआई जैसे संस्थान में 50 से 60 हजार आता है। 

 

शनिवार, 18 नवंबर 2023

सर्जरी और इंप्लांट से दोबारा बन सकता है स्तन

 




सर्जरी और इंप्लांट से दोबारा बन सकता है स्तन


स्तन कैंसर के 50 फीसदी मामलों में निकलता है पूरा स्तन


यूपी 15 फीसदी से अधिक महिलाएं स्तन कैंसर से ग्रस्त


 


 


उत्तर प्रदेश में 15.12 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर से ग्रस्त है। विकसित देशों में 50-60 वर्ष की औसत उम्र में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा होता है, जबकि अपने यहां अब 30 से 50 वर्ष की औसत उम्र में महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हो रही है। संजय गाँधी पीजीआई में आयोजित इंटरनेशनल ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन एंड एस्थेटिक सर्जरी ( ब्रास कान 2023) में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो. अंकुर भटनागर ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के मामले में स्तन की सर्जरी होती है। 50 से 60 फीसदी मामलों में पूरे स्तन को निकालना पड़ता है। कैंसर ठीक होने के बाद स्तन न होने पर महिलाएं मानसिक परेशानी की शिकार होती है। स्तन पुनर्निर्माण किया जा सकता है। इसे डाक्टरी भाषा में मास्टेक्टॉमी या लुम्पेक्टोमी कहते हैं। स्तन पुनर्निर्माण की कई तकनीकें हैं। सिलिकॉन या सलाइन स्तन को दोबारा बनाने में करते हैं। शरीर के निचले हिस्से के पेट के ऊतक के एक फ्लैप का उपयोग करती हैं के जरिए भी दोबारा स्तन का निर्माण करते हैं। तत्काल पुनर्निर्माण भी हो सकता है। ह महीनों या वर्षों बाद पुनर्निर्माण हो सकता है। नया स्तन बनाने के लिए शरीर के वसा, त्वचा, रक्त वाहिकाओं और मांसपेशियों का इस्तेमाल किया जाता है। इस ऊतक को फ्लैप कहते हैं। शरीर में एक फ्लैप (पेडिकल्ड फ्लैप) घुमाते हैं। इस तरह फ्लैप अपनी रक्त आपूर्ति को बरकरार रखता है या फ्लैप को उसकी रक्त आपूर्ति (मुक्त फ्लैप) से अलग कर सकते हैं और इसे आपकी छाती में रक्त वाहिकाओं से जोड़ते हैं। इसके अलावा छाती की मांसपेशी के नीचे इम्प्लांट भी लगाया जाता है। ऊतक विस्तारक के साथ प्रत्यारोपण त्वचा के नीचे एक विस्तारक रखता है। प्रति सप्ताह लगभग एक बार एक्सपैंडर को सेलाइन से भरते हैं। त्वचा धीरे-धीरे फैलती (फैलती) है। जब त्वचा इंप्लांट को ढकने के लिए पर्याप्त रूप से फैल जाती है जब इम्प्लांट लगाते हैं।


 


 


 


जागरूकता की कमी  


 ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरूकता की कमी है। अभी भी महिलाएं ब्रेस्ट में होने वाली बदलाव या परेशानियों को लेकर बोलने से झिझकती है। इसकी वजह से 50-70 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर की जांच एडवांस स्टेज में आने के बाद होती है। इलाज में अधिक देरी की वजह से रोग बहुत बढ़ चुका होता है और कैंसर के फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है। यदि ब्रेस्‍ट कैंसर से असामयिक मृत्यु को कम करना है तो यह जरूरी है कि ब्रेस्‍ट कैंसर की जांच प्रारंभिक स्थिति में जल्दी और सही हो, और सही इलाज मिले।


 


यह है कारण


अधिक उम्र में पहला बच्चा होना, नियमित रूप से स्तनपान नहीं कराना, वजन ज्यादा बढ़ना आदि ब्रेस्ट कैंसर के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा अनुवांशिक रूप से भी स्तन कैंसर की बीमारी हो सकती है। जबकि गर्भाशय कैंसर 30 से 35 साल की उम्र की महिलाओं में यह सर्वाधिक होने वाला कैंसर है।

छवि मित्तल और महिमा चौधरी ने ब्रेस्ट री कंस्ट्रक्शन के लिए किया जागरूक

 





ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी के बाद हाथ में नहीं रहेगा सूजन


 


एसजीपीजीआई के प्लास्टिक सर्जन प्रो अंकुर भटनागर ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में होने वाली सर्जरी के दौरान कांख से लिम्फनोड निकाल दिए जाते है जिससे 20 फीसदी महिलाओं में हाथ में सूजन की परेशानी होती है। हाथ काम नहीं कर पाता है। इस परेशानी के इलाज के लिए लिम्फोवीनस एनेस्टोमोसिस करते है। इस तकनीक में हाथ में बचे लिम्फैटिक वेन को खोज कर वेन से जोड़ देते है जिससे लिम्फ द्रव रक्त प्रवाह में चला जाता है। लिम्फैटिक वेन खोजने के लिए आईसीजी डाई इंजेक्ट कर आईसीजी स्कैनर से देखते है । हाई रेज्युलेशन माइक्रोस्कोप से देखते हुए लिम्फैटिक वेन को मुख्य रक्त वाहिका ( वेन ) से जोड़ देते है।


भारत में दो फीसदी ब्रेस्ट री कंस्ट्रक्शन


 ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन एंड एस्थेटिक सर्जरी एसोसिएशन के अध्यक्ष  एवं जयपुर मेडिकल कालेज के   प्रो. प्रदीप गोयल एवं संरक्षक एवं लंदन के प्रो. भगवत माथुर ने कहा कि भारत में दो फीसदी  महिलाएं ब्रेस्ट री कांस्ट्रेक्शन कराती है। इसमें खर्च 50 हजार के आस-पास सरकारी अस्पताल में आता है।  उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि कैंसर के इलाज के हर स्तर पर सरकार मदद के लिए तैयार है। कैंसर संस्थान में काफी काम हो रहा है।    




 छवि मित्तल और महिमा चौधरी ने ब्रेस्ट री कंस्ट्रक्शन के लिए किया जागरूक


 


स्तन कैंसर के इलाज के लिए कई बार स्तन निकाला जाता है। इससे महिलाओं के आत्मविश्वास में कमी आती है। सामाजिक और मानसिक परेशानी की शिकार होती है। ऐसे में महिलाओं को दोबारा स्तन बनवाने के लिए आगे आना चाहिए। फिल्म अभिनेत्री महिमा चौधरी और छवि मित्तल शनिवार को संजय गांधी पीजीआई में आयोजित इंटरनेशनल ब्रेस्ट री-कंस्ट्रक्शन एंड एस्थेटिक सर्जरी ( ब्रास कान 2023)में बताया कि पांच साल पहले मुझे स्तन कैंसर हुआ।   मैं काफी परेशान थी।  मेरे दो छोटे बच्चे उनके भविष्य को लेकर चिंतित थी ।  कैंसर भी ठीक हुआ । इस दौरान पूरा स्तन निकाल दिया गया। हमने ब्रेस्ट री कंस्ट्रक्शन सर्जरी करायी।  पूरी तरह सामान्य महिला की तरह जिंदगी जी रही हूं। आठ में एक औरत को कैंसर हो चुका है या होगा। ब्रेस्ट कैंसर का इलाज है ।  शुरुआत में इलाज हो ठीक रहता है। कैंसर ठीक हो गया तो सोचते है कि कैंसर ठीक तो हो गया लेकिन री कंस्ट्रक्शन पर ध्यान नहीं देते है। इससे ट्रामा और स्कार मिला वह दूर हो जाता है। घर के मर्द महिलाओं को प्रोत्साहित करें,  क्यों कि महिलाओं संकोची होती है वह चाहती है घर पर भार न बने। इस मामले में जागरूकता की काफी कमी है। पुरुष के सिर के बाल गिर जाते है तो वह लगवाते है हम लोग दोबारा स्तन क्यों नहीं बनवा सकते हैं। इससे मानसिक और सामाजिक ट्रामा दूर होता है। छवि मित्तल ने कहा कि कैंसर के बाद की लाइफ काफी हद तक री कंस्ट्रक्शन पर निर्भर करती है। मुझको भी चार साल पहले स्तन कैंसर हुआ था जिसके इलाज के बाद दोबारा स्तन का री कंस्ट्रक्शन कराया।

शनिवार, 4 नवंबर 2023

दिल ही नहीं दिमाग की भी होती है बाईपास सर्जरी

 



बेसकान-2023


दिमाग की भी होती है बाईपास सर्जरी


स्कल बेस के धमनी में ट्यूमर की सर्जरी में दिमाग नहीं होगा प्रभावित


  


दिल की बाईपास सर्जरी के बारे में कई बार सुना होगा लेकिन ब्रेन की भी बाई पास सर्जरी होती है। संजय गांधी पीजीआई में आयोजित स्कल बेस सर्जरी सोसाइटी ऑफ इंडिया(बेसकान-2023) के वार्षिक अधिवेशन संजय गांधी पीजीआई के न्यूरो सर्जन प्रो. अरुण श्रीवास्तव और एम्स भुवनेश्वर के न्यूरो सर्जरी प्रो. आरएन साहू ने बताया कि स्कल बेस में धमनी में ट्यूमर या ट्यूमर में धमनी के होने पर ट्यूमर की सर्जरी में काफी रिस्क रहता है। दिमाग में रक्त प्रवाह कम होने या बंद होने से दिमाग को क्षति हो सकता है । सर्जरी के दौरान कई बार ट्यूमर का कुछ हिस्सा छोड़ना पड़ता है। इस परेशानी से बचने और बचाने के लिए गले पास धमनी से एक नस दिमाग में जोड़ देते है जिससे रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है। इसके बाद ट्यूमर को धमनी सहित निकाल देते है। इस तकनीक वेस्कुल बाई पास सर्जरी कहते हैं। यह तकनीक संजय गांधी पीजीआई में स्थापित है । प्रो. साहू ने बताया कि पहले मैं यहां पर संकाय सदस्य था जिसे यहां से सीखने के बाद एम्स भुवनेश्वर में कर रहा हूं। स्कल बेस 10 फीसदी से अधिक ट्यूमर धमनी में होते है।


बाक्स


अब दिमागी सात तरह के ट्यूमर को बिना खोपडी निकालना संभव हो गया है। यह संभव हुआ है इंडोस्कोपिक न्यूरो सर्जरी के जरिए। इस पहले दिमाग के तलहटी(स्कल बेस) के ट्यूमर को निकालने को लिए पूरी खोपड़ी खोलनी पड़ती थी , अब इस नई तकनीक से नाक के जरिए दिमाग के निचले हिस्से में पहुंच तक ट्यूमर को निकाला जा सकता है। इससे मरीज जल्दी रिकवर हो कर जाता है।

हरि विष्णु का रूप माना गए है आचार्य

 




आशियाना सेक्टर के में लक्ष्मण दास महाराज द्वारा आयोजित भागवत कथा में अपर्णा यादव और पूर्व विधायक गुड्डू त्रिपाठी  शामिल हुए । अपर्णा यादव ने कहा कि  भगवान श्री कृष्णा भी यदुवंशी थे,  मैं यदुवंश की बहू । मेरे लिए बड़ी सौभाग्य की बात है कि कथा में शामिल होने का मौका मिला। कृष्ण का बहुत वैभव है।    भगवान ने हमको दृष्टि दी है श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से गीता के माध्यम से वह आज पूरे समस्त संसार में जो है लोग एक्सेप्ट कर रहे हैं।  इसमें महाराज जी का बहुत बड़ा योगदान है और भी जो लोग कथा वाचक है मैं तो कहूंगी श्री हरि विष्णु का रूप माना गया है हमारे विष्णु सहस्त्रनाम में विष्णु सतनाम में भी कहा गया है कि व्यास गद्दी पर जो बैठा होता है वह साक्षात भगवान श्री हरि विष्णु के समान होता है पीता हूं छुप गए कृष्ण मुरारी श्री कृष्णा भजन भी गया। गुड्डू त्रिपाठी ने कहा की

भक्ति से  समाज की सेवा को बल मिलता है। 

 दुर्गेश पांडे और संजय द्विवेदी,

पप्पू शुक्ला सहित अन्य लोगो विशेष रूप से उपस्थित रहे।