शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

रूस ने दिया भारत को खाद में झटका

 




रूस की कंपनियों ने भारत को फर्टिलाइजर पर डिस्काउंट देना बंद कर दिया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाइट ग्लोबल सप्लाई के कारण रूसी कंपनियों ने डीएपी जैसे फर्टलाइजर पर छूट देना बंद कर दिया है। अब वे मार्केट प्राइस पर भारत को फर्टिलाइजर बेच रही हैं। पिछले साल रूस भारत के लिए फर्टिलाइजर का सबसे बड़ा सप्लायर बनकर उभरा था। रूस के इस कदम से भारत के लिए फर्टिलाइजर का आयात महंगा हो सकता है और इससे सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ जाएगा। दुनियाभर में फर्टिलाइजर की कीमत में तेजी आई है। चीन दुनिया में इसका सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है और वह दूसरे देशों में बिक्री में कटौती करने की कोशिश कर रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी सप्लायर्स के साथ बातचीत से जुड़े इंडस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि अब कोई डिस्काउंट नहीं मिल रहा है। रूस की कंपनियां मार्केट प्राइस पर फर्टिलाइजर दे रही हैं। 31 मार्च को खत्म फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में रूस से भारत का फर्टिलाइजर इम्पोर्ट 246 परसेंट बढ़कर 43.5 लाख टन रहा। इसकी वजह यह है कि रूस ने डीएपी, यूरिया और एनपीके फर्टिलाइजर्स पर भारत को डिस्काउंट दिया। इससे पहले तक भारत चीन, मिस्र, जॉर्डन और यूएई से फर्टिलाइजर मंगाता था।


कितनी पहुंच गई कीमत

रूसी कंपनियां पहले डीएपी पर प्रति टन 80 डॉलर तक छूट दे रही थीं। लेकिन अब पांच डॉलर का भी डिस्काउंट नहीं मिल रहा है। रूसी डीएपी की कीमत अभी 570 डॉलर प्रति टन है जो दूसरे एशियाई देशों के बराबर है। दुनिया में फर्टिलाइजर की कीमत में पिछले दो महीने में काफी तेजी आई है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए विंटर सीजन के लिए स्टॉक बनाना मुश्किल पड़ रहा है। इस दौरान गेहूं की फसल के लिए उर्वरक की मांग बढ़ जाती है। जुलाई में यूरिया की कीमत करीब 300 डॉलर प्रति टन थी जो अब 400 डॉलर पहुंच गई। इसी तरह जुलाई में डीएपी की कीमत भी 440 डॉलर प्रति टन थी। मुंबई की एक कंपनी के अधिकारी ने कहा कि कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले ग्लोबल फर्टिलाइजर की कीमतें बढ़ रही हैं। सरकार के पास सब्सिडी बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं है।

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