सोमवार, 29 मई 2023

प्रदेश से हर साल निकल रही है 31 हजार ट्रेंड नर्सेज उत्तराखंड की तर्ज पर हो प्रदेश में नर्सेज की तैनाती

 

प्रदेश से हर साल निकल रही है 31 हजार ट्रेंड नर्सेज 

उत्तराखंड की तर्ज पर हो प्रदेश में नर्सेज की तैनाती

आल इंडिया रजिस्टर्ड नर्सेज फेडरेशन ने मुख्यमंत्री के भेजा ज्ञापन

 

उत्तराखंड की तरह प्रदेश में नर्सेज की नियुक्ति की मांग आल इंडिया रजिस्टर्ड नर्सेज फेडरेशन ने की है। इस संबंध में मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, प्रमुख सचिव चिकित्सा, अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी को ज्ञापन भेजा है।  उत्तराखंड में नर्सेज की तैनाती के लिए प्रदेश के मूल निवासी होना अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ वर्षवार मेरिट के आधार पर करने का फैसला लिया है। फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग वर्मा ने उत्तराखंड के तरह प्रदेश में व्यवस्था लागू करने की जरूरत है। प्रदेश के लाखों रजिस्टर्ड नर्सेज बेरोजगार है। एक पद से लिए एक हजार से अधिक आवेदन आ रहे है। वर्षवार मेडिकल फैकल्टी की मेरिट के आधार पर सलेक्शन प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता रहती है। हाल में ही स्टेट मेडिकल कॉलेजों , सेफैई संस्थान, लोहिया संस्थान और पीजीआई में नर्सेज की तैनाती हुई लेकिन इसमें प्रदेश के लोगों को कोई प्राथमिकता नहीं दी गयी। कुछ राज्यों में दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों के केवल पांच फीसदी सीट रिजर्व रहती है। दूसरे प्रदेश से चयनित नर्सेज को जब उनके प्रदेश में मौका मिलता तो यहां से नौकरी छोड़ कर चली जाती है । 11 फरवरी 2016 के आदेश में साफ लिखा है माध्यमिक शिक्षा परिषद से इंटर पास  होने के साथ स्टेट मेडिकल फैकल्टी से जीएनएम आवश्यक योग्यता है लेकिन विज्ञापन में प्रदेश से इंटर पास नहीं अनिवार्य किया जाता है।

 

नर्सेज की कमी को लेकर फैलाया जा रहा है भ्रम

 

नर्सेज  की कमी बता कर रोज कॉलेज निजी और सरकारी क्षेत्र में खुल रहे है लेकिन रोजगार के नाम पर केवल शोषण है। उत्तर प्रदेश में एक लाख पांच 263 से अधिक नर्स पंजीकृत है । हर साल उत्तर प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज से लगभग 18483 जीएनएम और 13120 बीएससी  नर्सेज ट्रेंड होकर निकलती है। इस तरह से साल में 31603 नर्जेस निकल रही है।   साल-दर –साल संख्या बढ़ती जा रही है ।  इस पेशे में 90 फीसदी लड़कियां है जिनका शोषण हो रहा है। नर्सिंग काउंसिल आफ इंडिया के अनुसार निजी एवं सरकारी को मिला कर 382 नर्सिग कॉलेज हैं। 90 फीसदी निजी कॉलेज हैं।  कमाई का अच्छा व्यापार है।

 

मानक के अनुसार हो तैनाती तो एक भी नहीं रहेगी बेरोजगार

   ट्रेंड नर्सेज की कमी होती तो आउटसोर्सिंग पर काम करने के लिए नर्सेज कैसे मिलती। मानक के अनुसार प्रदेश में 500 की संख्या पर एक नर्स की तैनाती होनी चाहिए इस तरह चार लाख नर्स की तैनाती होनी चाहिए लेकिन मानक के अनुसार तैनाती न कर ट्रेंड नर्सेज को शोषण के लिए छोड़ दिया गया।  

 

 

 



 


 

 

 

शुक्रवार, 26 मई 2023

लेजर से पहली बार पीजीआई ने हुई पायलोनिडल सिस्ट की सर्जरी- मल द्वार के ऊपर और रीढ़ की हड्डी के निचले अंतिम हिस्से में फोड़ा

 लेजर से पहली बार पीजीआई ने हुई पायलोनिडल सिस्ट की सर्जरी

सामान्य सर्जरी से बार –बार होता रहता है फोड़ा

दोबारा फोड़े की आशंका लगभग खत्म



रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से और मलद्वार से ऊपर बार –बार फोड़े से परेशान 16 वर्षीय राजेश का कैरियर प्रभावित हो रहा था। बार-बार फोड़े के इलाज के लिए सर्जरी कराने और सर्जरी के बाद दवाएं लेना पड़ता था इस परेशानी से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गयी है। संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने लेजर टेक्निक आफ पायलोनिडल तकनीक से सर्जरी कर दोबारा फोड़े की आशंका को लगभग खत्म कर दिया है। विभाग के प्रमुख एवं सर्जन प्रो. राजीव अग्रवाल का कहना है कि इस तकनीक से पायलोनिडल की सर्जरी पहली बार संस्थान में हुई है। दावा किया कि प्रदेश में कोई भी संस्थान इस तकनीक से सर्जरी नहीं कर रहा है। प्रो. राजीव ने बताया कि सबसे पहले लेजर बीम से फोड़े की सतह को साफ करते है फिर अंदर जहां से फोड़े का ओरजिन होता है वहां पर लेजर बीम डाल कर पूरे सेल को जला देते है इससे खराब मांसपेशियां नष्ट हो जाती है।इस प्रोसीजर में  सामान्य एनेस्थीसिया दी जाती है। फोड़ा( सिस्ट) से बाल निकालते है।  एक से अधिक छिद्र हैंतो प्रत्येक को साफ कर दिया जाता है।पायलोनिडल साइनस को साफ करने और बंद करने के इस तरीके से पारंपरिक सर्जिकल उपचारों की तुलना में बेहतर दीर्घकालिक परिणाम मिलते हैं।लेजर उपचार के बाद पिलोनिडल सिस्ट की दोबारा होने की आशंका  2.9 प्रतिशत से भी कम है। लेजर उपचार में पारंपरिक उपचारों की तुलना में कम रिकवरी समय की आवश्यकता होती हैऔर पोस्ट-ऑपरेटिव दर्द और अस्पताल में रहने दोनों कम हो जाते हैं।

पायलोनियल सिस्ट की इससे बढ़ती है आशंका

 

-व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास जैसे कि मुंहासेफोड़ेकार्बनकल्सफॉलिकुलाइटिस और सिबेसियस सिस्ट

- क्षेत्र में बड़ी मात्रा में बाल

- टेलबोन चोट

- घुड़सवारीसाइकिल चलाना

- देर तक बैठे रहना

- मोटापा

 

लक्षण

• रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से और मलद्वार के ऊपर  दर्द सूजनजो आपके टेलबोन के ठीक ऊपर का क्षेत्र है

• उस जगह से दुर्गंध या मवाद निकलना

 

 

 

 

यह है बचाव के तरीके

- क्षेत्र को साफ और सूखा रखें।

- सख्त सतहों पर लंबे समय तक बैठने से बचें।

 क्षेत्र से बाल हटा दें।

 

गुरुवार, 18 मई 2023

आल इंडिया नर्सेज फेडरेशन का सम्मान समारोह अपने भाव को छिपा कर मरीजों की सेवा करती है नर्सेज

 





आल इंडिया नर्सेज फेडरेशन का सम्मान समारोह

 

अपने भाव को छिपा कर मरीजों की सेवा करती है नर्सेज

देश की पहली नर्स काशी बाई के बारे में बताने की जरूरत

ममता और अपनत्व का स्वरूप है नर्स

  

प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री एवं विधान परिषद सदस्य अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि नर्सेज ममता एवं अपनत्व के साथ भाव रखती है। मरीज के बीमारी की  विकट परिस्थिति में भी मरीज के सामने ऐसा भाव नहीं प्रकट नहीं होने देती कि जिससे मरीज को परेशानी हो वह हमेशा संयम के साथ मरीज को कष्ट से बाहर निकालने का काम करती है। नर्सेज ही मरीज के पीड़ा पर मरहम अपनत्व के साथ लगाती है। देश की पहली नर्स काशी बाई के नमन करते हुए कहा कि इतिहास ने इन्हें भुला दिया ऐसे लोगों के बारे में जानने और बताने की जरूरत है।काशी बाई के नाम  पर विशेष रूप में स्मृति चिन्ह दिया जाए। अनूप गुप्ता संजय गांधी पीजीआई में ऑल इंडिया नर्सेज फेडरेशन के नर्स सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए कहा कि एक हो कर देश को आगे बढ़ाए।  अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने कहा कि कई काम लोग जीवन यापन के लिए कर रहे है लेकिन नर्सेज सेवा के लिए काम कर रही है। किसी परिवार में कोई एक बीमार पड़ जाए तो साल-दो साल में पूरा घर परेशान हो जाता है लेकिन नर्सेज पूरा जीवन सेवा करती रहती कभी परेशान नहीं होती है। विधान परिषद सदस्य राम चंद्र प्रधान ने कहा कि नर्सेज की सेवा भाव के कारण वह बहुत ही सम्मानीय है। समाज को भी उनका सम्मान करना चाहिए। निदेशक प्रो.आरके धीमन ने कहा कि कोरोना काल में नर्सेज की सेवा के कारण हमारे अस्पताल में मृत्यु दर सबसे कम रही है। पूरे प्रदेश के गंभीर कोविड मरीजों की सेवा में संस्थान सफल नर्सेज के कारण रहा। जीवन बचाने में नर्सेज की अहम भूमिका है। पीजीआई में मुख्य नर्सिंग ऑफिसर ऊषा टेकरी ने कहा कि ईश्वर देख रहा है इस बात को  ध्यान में रख कर काम करें। ईश्वर से डरें । ईश्वर के नजर में अच्छा काम करने वाले बहुत ऊचाई पर जाते हैं।   फेडरेशन के संरक्षक डा. अजय सिंह ने कहा कि नर्सेज की हर परेशानी हम लोग साथ है। फडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरज गुप्ता, महामंत्री मनीष मिश्रा एवं प्रदेश के अध्यक्ष अनुराग वर्मा ,टयूटर प्रदेश अध्य़क्ष ट्यूटर सीपी तिवारी महामंत्री कसिस रिजवी ने इपनी बात ऱखी। समारोह में पूरे एवं प्रदेश नर्सेज शामिल हुए ।

यह हुए सम्मानित

डा.अजय कुमार सिंह, सूरज कुमार गुप्ता, डा.सीमा सिंह अनुराग वर्मा और दीप्ति वर्मा , सुधा सिंह , डा. संतोष शिंदे, डा. रुचिरा, पुष्पा सिंह, अनुप्रिया,  चंद्रिका,साधना मिश्रा, अंजलि राय,  नीलिमा दीक्षित पूजा रावत, मयंक सिंह, शिवम यादव, गौरव कुमार, दीपक कुमार, सीमा पालीवाल , आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डा.पीके गुप्ता सहित अन्य लोगों निदेशक प्रो.आरके धीमन, विधान परिषद सदस्य अनूप कुमार गुप्ता ने सम्मानित किया।   

प्रदेश के चार कोनों में बनेंगे ‘ऑर्गन डोनेशन रिट्राइवल सेंटर्स’ तैनात किए जाएंगे ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर

 


प्रदेश के चार कोनों में बनेंगे ऑर्गन डोनेशन रिट्राइवल सेंटर्स

तैनात किए जाएंगे ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर

पीजीआई में नेफ्रोलाजी एवं रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर के स्थापना दिवस पर  कैडेवर डोनेशन पर सीएमई 

 

 

संजय गांधी पीजीआई के नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग स्थापना दिवस पर कैडेवर डोनेशन पर आयोजित सीएमई में विभाग के प्रमुख प्रो. नरायन प्रसाद ने बताया कि ऑर्गन डोनेशन रिट्राइवल सेंटर्स(अंग दान पुनप्राप्ति केंद्र ) स्थापित किए जाएंजहां पर प्रशिक्षित ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर(प्रत्यारोपण समन्वयक) तैनात हो। ताकि आसपास के सभी अस्पतालों में अंग दान करने की इच्छा रखने वाले ब्रेन डेड मरीजों के परिवारीजनों की काउंसिलिंग की जा सके। ऐसा प्रस्ताव तैयार कर उत्तर प्रदेश सरकार को दिया जाएगा। सीएमई में तमिलनाडु के विशेषज्ञ डॉ. सुनील श्रॉफतेलंगाना की डॉ. स्वानलताकोलकाता की डॉ. अर्पिता और गुजरात के डॉ. विवेक कुटे प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमारप्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा,  एडीजीपी अनुपमा कुलश्रेष्ठएसजीपीजीआई निदेशक प्रो.आर के धीमन व केजीएमयू के प्रो.एस एन शंखवार मौजूद रहें। इसके अलावा प्रो. धर्मेंद्र भदौरियाप्रो. अनुपमा कौलप्रो. मानस रंजन पटेल एवं प्रो.रविशंकर, अपोलो के प्रो. अमित गुप्ता, मेदांता के प्रो. आरके शर्मा सहित अन्य लोगों ने विचार ऱखा।  

कार्याशाला आयोजन एवं नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो.प्रसाद ने बताया कि प्रत्यारोपण की संख्या बढ़ाने के लिए   जागरूकता के साथ ही प्रदेश को चार जोन(पूर्वांचलपश्चिमांचलअवध और बुंदेलखंड) में बांटना होगा। इन चार जोन में संसाधन युक्त सक्षम अस्पताल को चयनित कर उसे ऑर्गन डोनेशन रिट्राइवल सेंटर्स (अंग दान केन्द्र)के रूप में विकसित किया जाएगा। मरीज को ब्रेन डेड घोषित करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के साथ काउंसिलिंग के लिए अंग प्रत्यारोपण समन्वयक तैनात किए जाएंगे। ब्रेन डेड मरीज की सूचना मिलते ही ब्रेन डेड टीम के साथ ही को-ऑर्डिनेटर टीम पहुंच करमृतक के परिवारजनों से सहमति प्राप्त करअंग निकाल करअंग प्रत्यारोपण करने वाले सेंटर तक भेजना का कार्य करेगी। इस प्रकार प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण की संख्या बढ़ने के साथ ही विभिन्न अंगों के जरूरतमंदों की सूची भी कम होगी।   निदेशक प्रो आरके धीमान पीजीआई चंडीगढ़ से लिवर  प्रत्यारोपण कार्यक्रम के बारे में बताया । राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के निदेशक डॉ कृष्ण कुमार और चंडीगढ़ के क्षेत्रीय नोडल अधिकारी डॉ विपिन कौशल ने नीति दस्तावेज तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

 

संसाधन बढ़ने के साथ बढेगा कैडेवर डोनेशन

 

 

स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख प्रो. राजेश हर्ष वर्धन का कहना है कि गुजरात में 1350 बेड का ट्रांसप्लांट अस्पताल है। जिसकी वजह से लाइव किडनी प्रत्यारोपण कराने वालों की प्रतीक्षा सूची नहीं है। उत्तर प्रदेश में राज्य मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण कार्यक्रम 2020 में पीजीआई ने शुरू किया है। कार्यशाला में मिलने वाले सुझावों का एक प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि तेलंगाना इसलिए आगे है क्योंकि वहां पर राष्ट्रीय ऑर्गन एवं टिश्यू डोनेशन कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही राज्य मानव अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू हो चुका था।

शुक्रवार, 12 मई 2023

सीबीएमआर का 17 वां स्थापना दिवस समारोह प्रदेश के संस्थानों के शोध वैज्ञानिकों के खुला सीबीएमआर का दरवाजा

 




सीबीएमआर का 17 वां स्थापना दिवस समारोह

प्रदेश के संस्थानों के शोध वैज्ञानिकों के खुला सीबीएमआर का दरवाजा

प्रदेश के वैज्ञानिकों को उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों पर शोध का मिलेगा मौका

फेफडे की बीमारी के लिए दो उपकरण हो रहा है तैयार

सेंटर फार बायोमेडिकल रिसर्च केंद्र(सीबीएमआर) शोध के लिए पूरे प्रदेश के संस्थानों के छात्रों और शोध वैज्ञानिकों के दरवाजा खोल दिया है। केंद्र के 17 वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह  निदेशक प्रो.आरके धवन ने बताया कि केंद्र के पास शोध के उच्च गुणवत्ता और तकनीक वाली 25 से अधिक उपकरण है। पहले इन उपकरणों के जरिए केवल केंद्र से शोध विज्ञानी शोध करते थे । मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा एवं प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार के अनुमति के बाद केंद्र पूरे प्रदेश के लिए खोल दिया गया। शोध कर्ता को अपने संस्थान से निर्देश पत्र लेकर केंद्र आना होगा। यूजर चार्ज लेकर उन्हें उपकरणों के इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी। इससे प्रदेश के शोध वैज्ञानिकों को उच्च स्तरीय शोध करने का मौका मिलेगा। कई मालीक्यूल हम लोग बनाते है उस मालीक्यूल का दवा के रूप में कितना इस्तेमाल हो सकता है यह जानने के लिए केंद्र ने सीडीआरआई से समझौता किया है। सीडीआरआई कोई मालीक्यूल बनाने के कहता है तो हम लोग वह मालीक्यूल तैयार करेंगे जिससे नई दवाओं का विकास संभव होगा। फेफड़े की दो बीमारी का जल्दी पता लगाने और बीमारी की गंभीरता जनाने के लिए केंद्र दो उपकरण तैयार कर रहा है जो इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा। आईसीएमआर इन उपकरणों की दक्षता देखेगा जिसके बाद इसका इस्तेमाल मरीजों में किया जा सकेगा। केंद्र को संस्थान के रूप में विकसित किया जा रहा है जिसके लिए 6 नए विभाग की स्थापना की जा रही है।


पुराने ज्ञान को सहेजने की जरूरत


 इस मौके पर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धति को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान से जोड़ने की जरूरत है। पुराने ज्ञान को बनाए रखने के लिए केंद्र को काम करना होगा। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने कहा कि केंद्र फंक्शनल एमआरआई तकनीक का विस्तार निजी एवं सरकारी संस्थान में करें। 

आईआईटी कानपुर में अब इलाज

मुख्य अतिथि गंगवाल स्कूल ऑफ जिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी आईआईटी कानपुर के प्रमुख प्रो.संदीप वर्मा ने बताया कि 500 बेड का अस्पताल शुरू करने जा रहे है। पीजी की पढाई के साथ इलाज होगा। 


सीखने की प्रक्रिया नर्सेज रखें जारी नर्सेज चिकित्सा संस्थान की रीढ़




सीखने की प्रक्रिया नर्सेज रखें जारी

नर्सेज चिकित्सा संस्थान की रीढ़


सीखने की प्रक्रिया को जीवन का हिस्सा बनाएं। चिकित्सा

 विज्ञान में कुछ न कुछ नया होता रहता है जिसके बारे में नर्सेज

 को जानकारी होनी चाहिए। नई तकनीक सीखने की ललक होने

 से खुद में आत्मविश्वास बढ़ता है और मरीजों को फायदा होता

 है।संजय गांधी पीजीआई में  विश्व नर्सिंग दिवस के मौके पर

 आयोजित समारोह में  निदेशक प्रो आरके धीमान ने कहा कि

 नर्सेज से मरीज का समाना होता जो लंबे समय तक रहता है।

 नर्सेज का व्यवहार यदि मरीज के प्रति अच्छा है । बात करने का

तरीका अपनत्व भरा है तो मरीज को विश्वास हो जाता है कि हम

 अच्छी जगह आ गए । अब हम जल्दी ठीक हो जाएंगे। नर्सेज

 चिकित्सा एवं किसी भी अस्पताल की रीढ़  है। मुख्य चिकित्सा

 अधीक्षक प्रो. संजय धीराज ने कहा कि नर्सेज इलाज में अहम

 भूमिका निभाती है।  मिलकर काम करना चाहिए। अस्पताल

 प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश हर्षवर्धन ने कहा कि सभी

 नर्सेज को मिल कर एक कोष बनाना चाहिए जिससे वह

 बीएससी नर्सिग में टाप करने वाले छात्र को सम्मानित करें।

 मुख्य नर्सिंग आफीसर लिज्माम कालिब सोलंकी ने कहा कि ड्रेस

 पहने के बाद मनोबल बढ़ जाता है। इस ड्रेस का सम्मान बना रहे

इसके लिए हर नर्सेज को सजग रहना चाहिए। इस मौके पर

 अंजलि राय और नीलिमा दीक्षित ने नृत्य प्रस्तुत किया। कर्मचारी संगठन की महामंत्री सावित्री सिंह, 

कर्मचारी संघ के पूर्व महामंत्री धर्मेश कुमार, आउट नर्सेज की

 नेता साधना, मलखान सहित तमाम लोगों ने अपनी बात रखी।   

इस मौके पर हुई यह सम्मानित

-     रचना मिश्रा न्यूरोसर्जरी

-     - नीमा पंत कार्डियोलाजी

-     एसपी राय नेफ्रोलाजी

-     महेश चंद्र गुप्ता पिडियाट्रिक गैस्ट्रो

-     नीलम श्रीवास्तव सीवीटीए,

-     जैन जीजू न्यूरो सर्जरी

-     रामनरेश यादव हिमैटोलाजी

-     -रीतुजा सिंह न्यूरोलाजी  

एक फीसदी ब्रेन डेड के शिकार परिजन अंगदान करें 440 को मिल जाएगी किडनी

 




एक फीसदी ब्रेन डेड के शिकार परिजन अंगदान करें 440 को मिल जाएगी किडनी

अंग जलाए नहीं अंगों से दें सकते है किसी को जीवन

कैडेवर ऑर्गन डोनेशन पर सीएमई


 

प्रदेश में ब्रेन डेड के शिकार होने वाले केवल एक फीसदी लोगों के परिवार के लोग यदि अंगदान करा दे तो 440 लोगों को किडनी मिल जाएगी। 220 लोगों को लिवर मिल जाएगा। इनकी जिंदगी बच जाएगी। ब्रेन डेड शिकार होने वाले लोगों को परिजनों को इसके लिए आगे की जरूरत है। इनके परिजन का अंग जल कर नष्ट हो जाएगा या गल जाएगा लेकिन किसी के शरीर में अंग जिंदा रहेगा। कैडेवरिक आर्गन डोनेशन को लेकर संजय गांधी पीजीआई सीएमई का आयोजन 13 एवं 14 मई को नेफ्रोलॉजी विभाग कर रहा है । विभाग के प्रमुख प्रो. नारायण प्रसाद , प्रो. धर्मेंद्र भदौरिया, प्रो. अनुपमा कौल, प्रो. मानस रंजन पटेल एवं प्रो. रविशंकर ने सीएमई के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 3341 किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है जिसमें 43 कैडेवरिक ट्रांसप्लांट शामिल है। हमारे पास संसाधन है दो किडनी भी मिल जाए तो हम करने में सक्षम है। स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख अस्पताल प्रशासन के विभाग के प्रो. राजेश हर्ष वर्धन के साथ मिल कर हम लोग ब्रेन डेड लोगों के परिवार को अंगदान के प्रेरित करेंगे। हाई रिस्क किडनी डिजीज वाले लोगों में कैडेवर किडनी की अधिक जरूरत पड़ती है। तमाम ऐसे लोग है जिनके परिवार में कोई किडनी देने वाला नहीं। दोबारा किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है। सीएमई में न्यूरो सर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट, आईसीयू विशेषज्ञों के आलावा आर्गन डोनेशन कोआर्डीनेटर को बुलाया गया है जिससे इस अभियान को आगे बढ़ाया जा सके।

ब्रेन डेड घोषित करने के लिए हर अस्पताल में बने कमेटी

प्रो. नरायन प्रसाद ने कहा कि हर अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित करने के लिए कमेटी होना चाहिए। संस्थान में कमेटी है जिसमें न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन, आईसीयू विशेषज्ञ शामिल होते है। कमेटी जब ब्रेन डेड घोषित कर दे तो उसके बाद काउंसलिंग कर परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित करने की जरूरत है।

 

ब्लड ग्रुप भिन्नता वाले लोगों में मंहगा

किडनी दाता और किडनी लेने वाले लोगों को ब्लड ग्रुप में भिन्नता होने पर किडनी ट्रांसप्लांट संभव है। हम लोग 164 लोगों में कर चुके है लेकिन इनमें ट्रांसप्लांट का खर्च 6 से 7 लाख आता है जबकि सामान्य यानि एक ही ब्लड ग्रुप के लोगों में खर्च 2 से 2.5 लाख आता है। कलेवर ट्रांसप्लांट भी एक ही ब्लड ग्रुप के लोगों में होता है जिससे यह महंगा नहीं पड़ता है। 

बुधवार, 10 मई 2023

lupus patients that new drugs are successful in saving the kidney.

 world lupus day today







New chemicals will give protection shield to kidney


Kumar Sanjay. Lucknow


Fifty percent of adults and 60 to 65 percent of children with lupus (systemic lupus atheromatous) are likely to have kidney disease. This problem is called lupus nephritis in medical language. If there is no timely solution to this problem, the kidney can respond completely, in which case dialysis and kidney transplant are the only ways of treatment. There is good news for lupus patients that new drugs are successful in saving the kidney. On the occasion of World Lupus Day (May 10), Sanjay Gandhi PGI Head of Department of Clinical Immunology and Rheumatology, Prof. Amita Agarwal, Voclosporin is a chemical that controls the body's immune system by acting on T cells. This chemical controls kidney problems to a great extent. Prevents kidney problems from increasing. This chemical is in tablet form which is easy for patients to take. Apart from this, the level of the medicine does not have to be seen by giving this chemical. Tacrolimus, cyclosporine and other chemicals have to see the drug level to decide the quantity. It is proving to be more effective than other chemicals. Similarly, another new chemical is anifluromab chemical which prevents the disease from progressing by acting on interferon. Pro. Amita told that on this occasion, the department is starting a special awareness series for the patients affected by this disease, which will run for the whole week.


 


be careful


Checking for protein in urine every three months


- Keep an eye on blood pressure


Consult a specialist as soon as symptoms appear


 


 what is lupus


 


It is an auto immune disease. The body's immune system starts making antibodies against the body considering it as an enemy, due to which any part of the body can be affected. Anti nuclear antibody and dsDNA tests are done to diagnose the disease, the facility of which is available in the institute.


this problem then lupus possible


 


Rash on exposure to sunlight or in normal condition


 


- hair fall


 


-      Fever


 


-      Joint pain


 


-mouth ulcer

ल्यूपस ग्रस्त की किडनी अब नहीं देगी जवाब नए रसायन किडनी को देंगे सुरक्षा कवच

 




वर्ल्ड ल्यूपस डे आज

ल्यूपस ग्रस्त की किडनी अब नहीं देगी जवाब

नए रसायन किडनी को देंगे सुरक्षा कवच

ल्यूपस ( सिस्टमिक ल्यूपस एथ्रोमेटस) से ग्रस्त पचास फीसदी बड़ो और 60 से 65 फीसदी में बच्चों में किडनी प्रभावित होने की आशंका रहती है। इस परेशानी को डॉक्टरी भाषा में ल्यूपस नेफ्राइटिस कहते हैं। इस परेशानी का  समय पर उपाय न होने पर किडनी पूरी तरह जवाब दे सकती है ऐसे में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट ही इलाज का एक उपाय बचता है । ल्यूपस के मरीजों के  राहत भरी खबर है कि नई दवाएं किडनी को बचाने में सफल है। वर्ल्ड ल्यूपस डे( 10 मई) के मौके पर संजय गांधी पीजीआई के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी एंड रूमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. अमिता अग्रवाल के मुताबिक वोक्लोस्पोरिन एक ऐसा रसायन है जो टी सेल पर क्रियाशील होकर शरीर के इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करता है । यह रसायन के किडनी की परेशानी को काफी हद तक नियंत्रित करता है।किडनी की परेशानी बढ़ने से रोकता है। यह रसायन टेबलेट( गोली) के रूप में है जो मरीजों के लिए लेना आसान होता है। इसके अलावा इस रसायन के देने से दवा का स्तर नहीं देखना पड़ता है। टैक्रोलिमस, साइक्लोस्पोरिन दूसरी रसायन में मात्रा तय करने के लिए ड्रग लेवल देखना पड़ता है। दूसरे रसायन के मुकाबले यह अधिक कारगर साबित हो रहा है। इसी तरह एक और नया रसायन एनीफ्लूरोमैब रसायन है जो इंटरफेरान पर क्रियाशील हो कर बीमारी को बढ़ने से रोकता है। प्रो. अमिता ने बताया कि इस मौके पर विभाग इस बीमारी से प्रभावित मरीजों के लिए विशेष  जागरूकता सीरीज शुरू कर रहा है जो पूरे सप्ताह चलेगा।   

 

यह बरते सावधानी

-     हर तीन महीने पर कराते रहे पेशाब में प्रोटीन की जांच

-     रक्त चाप पर रखें नजर

-     लक्षण दिखते ही विशेषज्ञ से ले सलाह

 

 क्या है ल्यूपस

 

यह एक आटो इम्यून डिजीज है। शरीर प्रतिरक्षा तंत्र शरीर को दुश्मन मान कर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाने लगता है जिसके कारण शऱीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है। बीमारी का पता करने के लिए एंटी न्यूक्लियर एंटीबॉडी और डीएसडीएनए परीक्षण किया जाता है जिसकी सुविधा संस्थान में उपलब्ध है।

यह परेशानी तो ल्यूपस संभव

 

-      धूप में निकलने या सामान्य स्थिति में लाल चकत्ते

 

-      बाल गिरना

 

-      बुखार

 

-      जोड़ों में दर्द

 

-      मुंह में छाले