दिल ही नहीं पैर की होगी बाई पास सर्जरी बचेगा पैर
50 फीसदी डायबिटिक फुट के कारण होते है भर्ती
पीजीआइ ने स्थापित किया डायबिटिक फुट के इन्फ्रा इन गुवाइनल बाईपास तकनीक
बचे रहेंगे मरीज़ों के पैर नहीं आएगी कटने की नौबत
कुमार संजय। लखनऊ
डायबिटीज की वजह से पैरों में होने वाले घाव का इलाज अब आसान हो गया है। इसे बाईपास सर्जरी के जरिए ठीक किया जा सकेगा। संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने पैर की बाईपास सर्जरी तकनीक स्थापित कर ली है। प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो राजीव अग्रवाल के मुताबिक मधुमेह की वजह से पैरों में होने वाला घाव बढ़ता रहता है। रक्त की कोशिकाओं में थक्के जमा हो जाते हैं और ये कोशिकाएं ब्लॉक हो जाती हैं। इस अवस्था मे पैरों में रक्त का प्रवाह अत्यन्त कम हो जाता है और इसी कारण से उंगलियों अथवा पैर में गैंग्रीन भी हो जाती है। इसे डॉक्टरी भाषा में डायबिटिक फुट है। डायबिटीज मरीजों में पैर काटने तक की नौबत आ जाती है। बताया कि अनियंत्रित डायबिटीज के कारण पैरों की प्रधान रक्त वाहिकाएं या तो संकुचित हो चुकीं हैं या वसा के थक्के के कारण कई स्थानों पर ब्लॉक होने पर प्लास्टिक सर्जरी विभाग में नई तकनीक से ऑपरेशन किया जाता है। इस ऑपरेशन को इन्फ्रा इनगुइनल बाईपास कहते हैं। जिससे कि शरीर की ही स्वस्थ रक्त वाहिका का प्रयोग करके, ब्लाक वाली वाहिका को बाईपास किया जाता है। यह ऑपरेशन हृदय के बाईपास जैसा हीं है, बस अंतर इतना ही है कि जो बाईपास हृदय रोग में किया जाता है, उसी तरह का बाईपास मधुमेह से ग्रसित पैरों के संकुचित वाहिकाओं को बाईपास करने में किया जाता है । पिछले 6 माह में करीब 10 रोगियों में इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ऑपरेशन किया गया।
50 फीसदी डायबिटिक फुट के कारण होते है भर्ती
250 डायबिटिक मरीजों में से पांच से सात फीसदी मरीजों के पैर में घाव की आशंका रहती है जिसका सही समय पर इलाज न होने पर पैर को काटना पड़ जाता है। देखा गया है कि हर तीस सेकेंड में एक डायबटिक मरीज का पैर काटा जाता है । 50 फीसदी डायबिटिक मरीज पैर में घाव के कारण भर्ती होते है। डायबिटिक मरीज के पैर में घाव होने की आशंका सामान्य के मुकाबले 15 गुना अधिक होती है। बताया कि एक पैर कटने के बाद दूसरे पैर में घाव की आशंका काफी बढ़ जाती है क्योंकि दूसरे पैर पर प्रेशर बढ़ जाता है साथ दिल की बीमारी भी आशंका बढ़ जाती है। इस लिए पैर को कटने से बचाने के लिए पहले से एहतियात जरूरी है।
क्या है खासियत
यह आपरेशन अत्यन्त जटिल एवं हाइ मैग्नीफिकेशन में माइक्रोस्कोप के द्वारा किया जाता है। इसमें पैर कि हीं रक्त वाहिका से माइक्रो सर्जरी के द्वारा एक खास विधी से जोड़ा जाता है। इस आपरेशन में पाँच से दस घंटे का समय लग सकता ळे तथा रोग के अनुरूप लम्बी रक्त वाहिनीयों का प्रयोग किया जाता हैं, जो कि एक से डेढ़ फिट तक लम्बी भी हो सकती हैं।
क्या है डायबिटीज फूड
डायबिटीज का असर रेटिना,गुर्दे,रक्त कि नलियां,तंत्रिकाएं एवं पैर पर पड़ता है। मधुमेह के कारण रोगीयों में पैरों में घाव जल्दी हो जाते हैं। छोटी सी चोट लगने के बाद भी घाव भरने में अधिक समय लगता है। कई बार ऐसे घाव ठीक हीं नही होते हैं । इन्हें डायबिटीक फुट अल्सर कहा जाता है। सही प्रकार से इलाज न मिलने पड़ एक छोटा सा भी ऐसा घाव बढ़ते-बढ़ते पूरे पैर को भी प्रभावित कर लेता है।
क्या है लक्षण
मधुमेह में सबसे पहले पैरों के रंग में बदलाव आता है, और फिर सुजन और दर्द से रोग का आरंभ होता है। इस अवस्था में अगर चलते हुए, नाखुन काटते हुए या किसी अन्य कारण से पैर में छोटी सी चोट भी लगती है, तो यह आसानी से ठीक नही होती है और जल्दी हीं बड़ा रूप ले लेती है। यदि पैर का कोई हिस्सा संकुचित हो जाए, लंबे समय तक घाव ना भरे कालापन हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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