गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

रेमडेसिविर के फीछे मत भागें यह राम बाण नहीं.......

 




रेमडेसिवीर कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए कितना प्रभावी  है

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में ही कहा है कि  मरीज के गंभीर लक्षणों या जानलेवा परिस्थितियों पर रेमडेसिवीर का कोई असर नहीं दिखा है। रेमडेसिवीर कोई जादुई दवा नहीं है और ना ही ये कोई ऐसी दवा है जो मृत्यु दर को कम कर सकती है । इसके भी साइड इफेक्ट हैं।

 लीवर के एंजाइम्स का बढ़ा स्तरएलर्जिक रिएक्शनब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में बदलावऑक्सीजन ब्लड का घटा हुआ स्तरबुखारसांस लेने में दिक्कतहोठोंआंखों के आसपास सूजन। ब्लड शुगर भी बढ़ा हुआ दिखा है। फार्मा बेस्ड स्टडी में कहा गया है कि रेमडेसिवीर कोविड-19 रिकवरी टाइम को पांच दिन तक घटा देता है। तीमारदार यह सोच कर परेशान न हों कि मिल जाता तो मेरा परिजन बच जाता या ठीक हो जाएगा। इसकी कोई गारंटी नहीं कि यह देने से वह ठीक हो जाएगा।   

 

 

 

-क्या सबको रेमडेसिवीर इंजेक्शन की जरूरत है?

 

 

 

नहीं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि रेमडेसिवीर सिर्फ उसे ही लगाया जाएजो अस्पताल संक्रमण के गंभीर स्थिति में भर्ती हो और हाई  ऑक्सीजन सपोर्ट ले रहा हो। जो लोग घर पर आइसोलेशन में हैंउन्हें इस इंजेक्शन की कोई आवश्यकता नहीं है। हमारे पास कोई और एंटीवायरल दवा नहीं है इसलिए हम रेमडेसिवीर का इस्तेमाल बहुत ही कम फीसदी लोगों में कर रहे हैं।  रेमडेसिवीर को किसी रेगुलर एंटीबायोटिक  की तरह नहीं लिया जा सकता। रेमडेसिवीर का घर पर मौजूद मरीज पर इस्तेमाल करने का सवाल ही नहीं उठता। केमिस्ट शॉप्स पर इसके लिए लाइन लगाने का कोई मतलब ही नहीं है। समझ नहीं आ रहा कि डॉक्टर भी धड़ल्ले से क्यों इस इंजेक्शन को प्रिस्क्राइब कर रहे हैं। यह केवल वायरस को बढ़ने से रोकता है जब एआरडीएस हो गया तो इस दवा से कोई खास फायदा होने की संभावना नहीं है।  

 

 

 

--रेमडेसिवीर दवा नहीं मिल रही है तो क्या विकल्प हो सकता है

 

 

 

कोरोना संक्रमित मरीजें में एआरडीएस( एक्यूट रेस्पीरेटरी ड्रिसट्रेस सिंड्रोम) रोकना और बढने से रोकना ही जरूरी है। इसके डेक्सामेथासोन सहित अन्य स्टेरायड है तो काफी कारगर साबित होती है। नान कोविड मरीजों में इस दवा का प्रभाव हजारों मरीजों में देखा गया है। इसके भी साइड इफेक्ट है इसलिए डॉक्टर निगरानी में देने की जरूरत है। इस समय डॉक्टर से सलाह नहीं मिल पा रही है तो 8 मिली ग्राम एक बार देने में कोई हर्ज नहीं खास तौर जब ऑक्सीजन का स्तर 90 से कम हो। यदि डायबिटीज है तो चार चार मिली ग्राम दो बार बांट कर दिया जा सकता है। इसका फायदा इंट्रावेनस देने में परिणाम ठीक देखे गए है।     

 

 

 

 

 

 

 

 

 

- रेमडेसिवीर का संकट अचानक कैसे खड़ा हो गया?

 

 

 

दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच डेली केस की संख्या 30 हजार से भी कम रह गई थी। फरवरी में भारत में कोरोना वायरस के नए केसेज घटकर कुछ हजार रह गए थे। ऐसा लग रहा था कि महामारी खत्म होने के कगार पर है। इसके पहले से ही नए केस घटने लगे थेतब दिसंबर से ही दवा कंपनियों ने रेमडेसिवीर का उत्पादन घटा दिया था।

 

 

 

 

 

क्या है रेमडेसिवीर

 

 

 

 

 

रेमडेसिवीर एक एंटी-वायरल दवा हैजो कथित तौर पर वायरस के बढ़ने को रोकती है। 2009 में अमेरिका के गिलीड साइंसेज ने हेपेटाइटिस सी का इलाज करने के लिए इसे बनाया था। 2014 तक इस पर रिसर्च चला और तब इबोला के इलाज में इसका इस्तेमाल हुआ। रेमडेसिवीर का इस्तेमाल उसके बाद कोरोना वायरस फैमिली के मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम  के इलाज में किया गया।

 

 

 

 

 

क्या लाइफ सेविंग दवा है

 

 

 

भारत सरकार ने भी कहा है कि यह इंजेक्शन लाइफ सेविंग दवा में शामिल नहीं है। इसे घर पर देना भी नहीं है। फिर भी पिछले हफ्ते केंद्र ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कीमत 3500 रुपए तय की। यह भी कहा कि अप्रैल के आखिर तक उत्पादन दोगुना हो जाएगा। इसके लिए 6 और कंपनियों को इसके उत्पादन की मंजूरी दे दी गई है।

 

 

 

भारत में रेमडेसिवीर कितनी कंपनियां बना रही हैं?

 

 

 

भारत में 7 दवा कंपनियां इस समय रेमडेसिवीर बना रही हैं। इनमें हिटेरो ड्रग्सजायडस कैडिलासन फार्मा और सिप्ला भी शामिल हैं। गिलीड से इन्होंने लाइसेंसिंग एग्रीमेंट किए हुए हैं। इन कंपनियों की कुल उत्पादन क्षमता 39 लाख शीशी हर महीने बनाने की है। जायडस ने मार्च में 100 मिग्रा शीशी की कीमत 2,800 रुपए से घटाकर 899 रुपए कर दी।

 

 

-संक्रमित के बुखार आने पर क्या करें

 

-पहले हफ्ते में बुखार, सिर दर्द अधिक परेशान करता है। लोगों की शिकायत है कि बुखार नहीं उतर रहा है तो बुखार आने का इंतजार न करें हर 6 घंटे में बुखार लेते रहे है। चार घंटे पर भी रिपीट की जा सकती है यदि बुखार नहीं उतर रहा है। कोल्ड स्पंजिंग भी करते रहे।

 

एक तय समय पर ही खाएं दवा

 हल्के कोरोना संक्रमण में  इवरमेक्टिन, डाक्सीसाइक्लीन है सहित अन्य दवाएं दी जाती है। ध्यान देना है कि  दवा एक फिक्स पर ही लेना है। जैसे सात सुबह आज इवरमेक्टिन लिया तो अगले दिन सुबह सात बजे ही लेना है। दो बार लेनी है कोई दवा तो सुबह और शाम में 12 घंटे का अंतर होना चाहिए। इसके अलावा जिंक, विटामिन सी आदि भी एक फिक्स समय पर ही लें। टहलते भी रहे जिससे खून न थक्का न जमने पाए।

फेफड़ों का व्यायाम जरूरी

 

फेफड़े फुलाने की व्यायाम करें जिसमे शंख बजाना , गहरी सांस लेना और छोड़ना काफी कारगर है। इसके अलावा खूब पानी पीये।  दो से तीन लीटर पानी पीएं। दिन में चार भार भांप स नमक पानी का गरारा जरूर करें।

80 फीसदी में माइल्ड होता है संक्रमण

 

    80 फीसदी लोगों में माइल्ड कोरोना संक्रमण देखा गया इस लिए बहुत घबडाएं नहीं। यदि सांस फूले एक मिनट 20 से 24 बार हो जाए , ऑक्सीजन की मात्रा 92 से 94 आए तब किसी डॉक्टर से सलाह लें।  इस वर्ग के लाखों लोग पूरे विश्व में घर पर ही ठीक हो रहे हैं। 

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