शनिवार, 3 अप्रैल 2021

आटिज्म नवर्स सिस्टम से जुड़ी है परेशानी- परिवार में पहले से आटिज्म तो हो जाएं सजग

 



विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस आज ( दो अप्रैल)

आटिज्म नवर्स सिस्टम से जुड़ी है परेशानी

परिवार में पहले से आटिज्म तो हो जाएं सजग

गर्भावस्था के दौरान कुपोषण शिशु के लिए पड़ सकता है भारी

 


ऑटिज्म एक न्यूरल डेवलपमेंट डिसऑर्डर है। ऑटिज्म के शिकार बच्चों का व्यवहार सामान्य बच्चों की तुलना में अलग होता है। इसका दवा से इलाज संभव नहीं है। बच्चे को इस काबिल बनाया जा सकता है कि वह अपने कामों को खुद कर सके और यह भी उसके ऑटिज्म के प्रकार पर निर्भर करता है कि उसको किस तरह की थेरेपी की जरूरत है । विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस दो अप्रैल के मौके पर संजय गांधी पीजीआइ न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. रुचिका टंडन कहती है गर्भावस्था के दौरान मां का कुपोषण बडा कारण है। इसके कारण शिशु का वजन सामान्य से कम होता है जिसके कारण न्यूरल डिवलेपमेंट प्रभावित हो सकता है।  देर से विवाह भी एक कारण हो सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, गर्भावस्था के दौरान कुछ खाए दवाएं  भी कारण है। इस लिए गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए।  प्रो. रूचिका का कहना गहै कि  इसके अलावा अगर परिवार में ऐसे सदस्य पहले से हों तब भी ऑटिज्मग्रस्त बच्चे हो सकते है। कभी कभी देखने में आता है कि बच्चा एकदम सामान्य होता है लेकिन अचानक तेज बुखार आ जाने से उसके बाद उसके व्यवहार या फिर शारीरिक और मानसिक क्रियाओं में बदलाव आ जाता है । तेज बुखार की स्थिति में मष्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है इससे भी बच्चा आटिज्म का शिकार हो सकता है।

 

दो प्रकार होता है आटिज्म

१. अति सक्रिय -- इसमें बच्चे जरूरत से अधिक शोर करने वाले उठापटक करने वाले चीखने और चिल्लाने वाले हो सकते हें .

२ .अति निष्क्रिय - इसमें बच्चे खामोश प्रवृत्ति के होते हें वे बात सुन लेते हें तब भी कोई रूचि नहीं दिखाते हें या फिर आप उनसे कोई बात कहें तो आपके कहने के कई मिनट बाद वे उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते

लड़कों में अधिक होती है आटिज्म की परेशानी

ऑटिज्म लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में पांच गुना होती है। आंकड़ों के मुताबिक डेढ़ सौ में एक बच्चे में ऑटिज्म के लक्षण पाए जाते हैं।

बच्चों के लक्षण :

-बच्चा अपनी ही धुन में मस्त रहेव्यवहार में अंतरबातों को बार-बार दोहरानासामने बैठे व्यक्ति से नजरें चुरानाबात करने पर मुंह घुमा कर बात करनास्कूल में दोस्त नहीं बनानाअकेले रहनाबुलाने पर बच्चे कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं करते हें या अनसुना कर देना,

ऐसा करे तो सावधान

बच्चा एक साल की उम्र तक आवाज या अर्थपूर्ण इशारे न करें१६ माह की आयु तक कोई शब्द न बोल पाए,नाम पुकारने पर ध्यान न दे और साथ ही बच्चे के भाषा के प्रयोग व सामाजिक व्यवहार में कमी दिखे तो इसे सामान्य मामला नहीं समझना चाहिए क्यों कि यह मानसिक तौर से बच्चों को होने वाली ऑटिज्म बीमारी हो सकती है।

 

 

 

अभिभावकों के लिए :

- इसका सुनिश्चित इलाज भी नहीं है बस आपके बच्चे को अपने कार्यों के लिए जो वे खुद नहीं कर सकते हें आत्मनिर्भर होने लायक बनाने के लिए प्रशिक्षण और थेरेपी दी जा सकती

-अलग अलग बच्चों में ऑटिज्म की डिग्री अलग अलग होती हैअत: इसके लिए उनके आत्मनिर्भर होने में कुछ समय लग सकता है

-अगर किसी का भी बच्चा इस तरह से ऑटिज्म का शिकार है तो उसके लिए हताश न हों बल्कि उसके लिए बेहतर प्रयास करें कि वह बच्चा पूरे जीवन औरों पर निर्भर न होकर अपने कामों के लिए आत्मनिर्भर हो सके तभी आपका दायित्व पूर्ण होता

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