सोमवार, 1 अप्रैल 2019

पीजीआई करेगा एसिड ऱिफलेक्स के लिए आर्मस तकनीक

इंडियन एसोसिएशन आफ गैस्ट्रोइंट्रोलाजी का अधिवेशन
 
पीजीआई करेगा एसिड ऱिफलेक्स के लिए आर्मस तकनीक
लंबे समय तक प्रोटान पंप इनहैबिटर लेने से होती है कई परेेशानी



सीने में जलन, खट्टी डकार के इलाज के लिए संजय गांधी पीजीआई आर्मस( एंटी रिफलेक्स म्यूकोजल रीसक्सऩ)  तकनीक से इलाज 
करेगा।   संस्थान के गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग द्वारा इंडियन एसोसिएशन आफ गैस्ट्रोइंट्रोलाजी के वार्षिक अधिवेशन में प्रो.समीर मोहिंद्रा और प्रो. अभय वर्मा ने बताया कि   खाने की नली के निचले हिस्से में वाल्व होता है जो खाने के समय नीचे की तरफ खुलता है।  कई बार वाल्व में स्थित स्फिंटर में कमी आने पर पेट में दबाव पड़ने पर वह ऊपर की ओर खुल जाता है जिससे पेट का एसिड खाने की नली में आ जाता है। इससे खाने की नली में जलन होती है। कई बार खाने की नली में घाव हो जाता है। इस स्थित में मरीज प्रोटान पंप इनहैबिटर दवाएं दी जाती है। इस दवा का लंबे समय सेवन करने से छोटी आंत में बैक्टीरिया का ग्रोथ होने लगता है। इससे व्यक्ति को डायरिया , पेट में भारी पन और ह्डडी की कमजोरी की परेशानी होती है। इस परेशानी का आर्मस तकनीक से इलाज कर दवा पर निर्भरता कम की जा सकती है। इस तकनीक में स्फिंटर पास स्थित म्यूकोजा के तीन हिस्से को काट कर निकाल दिया जाता है जो फिर अपने आप बढ़ता है।  इससे स्फिंटर टाइट हो जाता है। आराम तलब लाइफ स्टाइल, तलीय भोजन के कारण दस से बीस लोगों में एसिड रिफलेक्स की परेशानी देखने को मिल रही है। 

इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड से जल्दी पकड़ में अाएगी पेट की बीमारी

संजय गांधी पीजीआई के प्रो.प्रवीर राय ने इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड शुरू किया । इस तकनीक में इंडोस्कोप के निचले हिस्से में अल्ट्रासाउंड का प्रोब लगाकर पेट में डालते जिससे पेट के अंदर के अंगो की बनावट का सही पता लगता है। हल्की सी भी बनावट में बदलाव का का पता लग जाता है। बताया कि सीने में गिल्टी होने पर पहले मरीज को टीबी की दवा खिलायी जाती रही है लेकिन इस तकनीक से तीन सौ मरीजों में अल्ट्रासाउंड कर बताया कि यह टीबी नहीं बल्कि दूसरी परेशानी है। इस परेशानी का पता लगाने के लिए पहले सीटी स्कैन कराया जाता रहा है जिसमें सही पता नहीं लगता है। इस तकनीक से 40 फीसदी से अधिक लोगों में शुरूआती दौर में पित्ताशय कैंसर, प्रैक्रिय़ाज कैंसर, क्रानिक पैक्रिएटाइिटस , पित्ताशय में छोटी पथरी का पता लगाने में कामयाबी हासिल की है। 

पीलिया खत्म करने बाद ही कैंसर की सर्जरी
 
पेट में कैंसर( पित्ताशय, पित्त की नली, एम्पूला) में कैंसर होने पर पीलिया की परेशानी हो जाती है। पीलिया कथ्म करने के बाद ही सर्जरी संभव है। गैस्ट्रो सर्जन प्रो. आनंद प्रकाश के मुताबिक पीलिया के साथ सर्जरी करने पर इंफेक्शन और रक्त स्राव की आशंका बढ जाती है। पीलिया खत्म करने के लिए पहले गैस्ट्रो इंट्रोलाजिस्ट इंडोस्कोप से रूकावट को दूर करते है जिसे पित्त आंत में चला जाता है पीलिया खत्म हो जाता है। 


कितना होना चाहिए वजन यह फार्मूला

पोट रोग विशेषज्ञ प्रो. जी चौधरी ने बताया कि जितनी आपकी लंबाई सेमी है उसमें से सौ कम करने बाद जो बचता है उतना ही वजन शरीर का होना चाहिए। इससे अधिक है  तो फैटी लिवर डिजीज, डायबटीज, उच्च रक्त चाप सहित कई परेशानी की आशंका बढ़ जाती है। वजन कम करने के लिए व्यायाम जरूरी है इस मामले 150 देश के बीच रैकिंग में भारत 144 स्थान पर है। 

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