पीजीआइ में एनआईसी-2019
एंजियोप्लास्टी के दौरान ही तय हो जाएगी सफलता
प्रक्रिया के दौरान ही देखते है स्टंट की पोजिसनिंग
जागरण संवाददाता। लखनऊ
अब एंजियोप्लास्टी के दौरान ही सफलता का पता लग जाएगा। स्टंट यदि सही नहीं लगा है तो उसी उसे ठीक कर सफलता की दर को बढाना संभव होगा। संजय गांधी पीजीआइ में इंटरवेंशन कार्डियोलाजिस्ट( एआईसी-2019) के अधिवेशन में सफलता की दर बताने वाले तकनीक पर जानकारी दी गयी है। संस्थान के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सुदीप कुमार के मुताबिक आप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी( असीटी) और इंट्रा वेस्कुलर अल्ट्रासाउंड के जरिए स्टंट लगाने के दौरान देख लेते है कि स्टंट की सही जगह पर सही फैलाव में लगा कि नहीं यदि नहीं लगा है तो अधिक प्रेशर तक स्टंट की पोजिसनिंग ठीक की जाती है। सही पोजिसनिंग होने पर रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है। यह तकनीक हम लोगों संस्थान में स्थापित कर ली है। प्रो.सुदीप के मुताबिक इंटरवेंशन तकनीक एंजियोप्लास्टी स्थापित होने के बाद हृदय रोग से ग्रस्त मरीजों की जिंदगी बढी है। यह तकनीक काफी सेफ भी है।
क्रानिक स्टेबिल एंजाइन के 50 फीसदी लोगों में ईसीजी आता है नार्मल
50 फीसदी मरीज क्रानिक सेटेबिल एंजाइना के मरीजों में ईसीजी नार्मल आता है। दर्द के समय ईसीजी करने पर ईसीजी के टी वेव और एसडी सिगमेंट में बदलाव मिलता है। अब सबसे बडी परेशानी यह है कि दर्द के समय तुरंत ईसीजी कैसे संभव हो । यह संभव नहीं है ऐसे में इस परेशानी से ग्रस्त लोगों में टीएमटी, न्यूक्लियर स्कैन या स्ट्रेस इको जांच कर दिल के बीमारी पुष्टि करनी चाहिए। प्रो.सुदीप कुमार ने बताया कि इनमें वैसे तो कोई परेशानी नहीं होती लेकिन जब वह दो से तीन किमी चलते है या हैवी काम करते है तो दर्द होता है। कई बार ईसीजी जांच भी कराते है लेकिन इनका ईसीजी भी सामान्य आता है। कई बार डाक्टर भी सब नार्मल मान कर भेज देते है । आगे परेशानी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और स्थित गंभीर हो जाती है।
कैसे पहचानें की दिल फिट है!
एनआईसी के आयोजक संस्थान के कार्डियोलाजिस्ट प्रो. सत्येंद्र तिवारी के मुताबिक रोजाना 3 से 4 किमी तेज कदमों से चल सकते हैं और ऐसा करते हुए आपकी सांस नहीं उखड़ती या सीने में दर्द नहीं होता तो मान सकते हैं कि आपका दिल सेहतमंद है। अगर दिल के मरीज हैं और दो मंजिल सीढ़ियां चढ़ने या 2 किमी पैदल चलने के बाद सांस नहीं फूलता तो सामान्य लोगों की तरह एक्सरसाइज कर सकते हैं, वरना डॉक्टर से पूछकर एक्सरसाइज करें।
दिल की बीमारी से बचाव के लिए टेस्ट
40 साल की उम्र में ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करा लें। अगर रिस्क फैक्टर (फैमिली हिस्ट्री, स्मोकिंग, शराब पीना आदि) हैं तो 25 साल से ही टेस्ट कराएं। अगर सब कुछ ठीक निकलता है तो 2 साल में एक बार टेस्ट करा लें। अगर समस्या लगती है तो डॉक्टर ईसीजी और इको कराने के लिए कहते हैं
एनआईसी के आयोजक संस्थान के कार्डियोलाजिस्ट प्रो. सत्येंद्र तिवारी के मुताबिक रोजाना 3 से 4 किमी तेज कदमों से चल सकते हैं और ऐसा करते हुए आपकी सांस नहीं उखड़ती या सीने में दर्द नहीं होता तो मान सकते हैं कि आपका दिल सेहतमंद है। अगर दिल के मरीज हैं और दो मंजिल सीढ़ियां चढ़ने या 2 किमी पैदल चलने के बाद सांस नहीं फूलता तो सामान्य लोगों की तरह एक्सरसाइज कर सकते हैं, वरना डॉक्टर से पूछकर एक्सरसाइज करें।
दिल की बीमारी से बचाव के लिए टेस्ट
40 साल की उम्र में ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करा लें। अगर रिस्क फैक्टर (फैमिली हिस्ट्री, स्मोकिंग, शराब पीना आदि) हैं तो 25 साल से ही टेस्ट कराएं। अगर सब कुछ ठीक निकलता है तो 2 साल में एक बार टेस्ट करा लें। अगर समस्या लगती है तो डॉक्टर ईसीजी और इको कराने के लिए कहते हैं
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