एनआईसी-2019
बाई पास के 10 फीसदी मामले में अब एंजियोप्लास्टी से संभव होगा इलाज
बाई पास एंजियोप्लास्टी के मुकाबले अधिक रिस्क
अब लेफ्ट मेन आर्टरी( मुख्य रक्त वाहिका) में रूकावट होने पर भी बाई पास सर्जरी की जरूरत कम हो सकती है। मुख्य रक्त वाहिका में रूकावट के 10 से 15 फीसदी मामलों में एंजियोप्लास्टी संभव हो गयी है। इसी तरह इंटरवेंशन तकनीक विकसित होती रही तो इन मामलों में सर्जरी की जरूरत और कम हो सकती है। संजय गांधी पीजीआइ में आयोजिक नेशनल इंटरवेंशन काउंसिल( एनआईसी-2019) के अधिवेशन में इस तकनीक पर चर्चा हुई। संस्थान के कार्डियोलाजिस्ट प्रो. सुदीप कुमार के मुताबिक नए स्टंट और बाई फरकेशन तकनीक के कारण बाई पास सर्जरी से कुछ मामलों में बचाना संभव हो गयी है। इंटरवेंशन तकनीक बाई पास सर्जरी के मुकाबले काफी सुरक्षित है। बताया कि मुख्य रक्ता वाहिका के मुहाने पर रूकावट है तो एंजियोप्लास्टी संभव है। इस रक्त वाहिका में रूकावट होने पर एंजियोप्लास्टी नहीं की जाती थी क्योंकि जरा से चूक होने पर मौत तक की आशंका रहती है। बाई पास एंजियोप्लास्टी के मुकाबले अधिक रिस्क रहता है।
एशियन विवेकानंद हार्ट सेंटर मुरादाबाद के कार्डियोलाजिस्ट एवं पीजीआइ के एल्यूमिनाई डा. राज कपूर के मुताबिक कई बार मेन आर्टरी के साथ उससे निकलने वाली शाखा में रूकावट होती है ऐसे में यदि शाखा वाली नस लंबी है तो उसमें स्टंट लगा कर खोलने की जरूरत होती है।
पिछले साल से 13 फीसदी अधिक एंजियोप्लास्टी
प्रो.सत्येंद्र तिवारी के मुताबिक 2018 में देश में 5.75 लाख लोगों में एंजियोप्लास्टी हुई जो पिछले साल से 13 फीसदी अधिक है। 60 फीसदी लोगों को हार्ट एटैक के बाद हुई । मरीजों की संख्या के मुकाबले यह संख्या कम है इसके पीछे जागरूकता की कमी, समय से अस्पताल न पहुंच पाना और पैसे की कमी कारण हो सकता है। एंडियोप्लास्टी को पहले से बेहतर करने के लिए कई तकनीक आ गयी है। एक से अधिक धमनियों में रूकावट के मामलों में भी एंजियोप्लास्टी होने लगी है।
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