शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

पीजीआई विश्व का पहला संस्थान जिसने स्थापित किया बायो मार्कर जो करेगा बैक्टीरियल इंफेक्शन का खुलासा

पीजीआई विश्व का पहला संस्थान जिसने स्थापित किया बायो मार्कर जो करेगा बैक्टीरियल इंफेक्शन का खुलासा


इंफेक्शन के 6 से 7 घंटे बाद हो जाएगा बैक्टीरियल इंफेक्शन का खुलासा
प्रो-कैल्शीटोनिन ही था एक मात्र जांच जिसमें 30 से 40 फीसदी में नहीं लगता है इंफेक्शन का सही पता

कुमार संजय। लखनऊ

संजय गांधी पीजीआई विश्व का पहला संस्थान है जिसने एेसा बायो मार्कर स्थापित किया है जो इंफेक्शन के कारण का खुलासा दो घंटे में कर देगा। मुख्य शोध कर्ता क्लीनिकल इण्यूनोलाजी विभाग के प्रो. विकास अग्रवाल के इस खोझ को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। प्रो. विकास ने बताया कि बुखार होने के कई कारण होते है जिसमें बैक्टीरिया, वायरस और आटो इम्यून डिजीजी मुख्य कारण है। इंफेक्शन का कारण पता कर जल्दी इलाज शुरू करने से जल्दी आराम मिलता है। बैक्टीरियल इंफेक्शन पता करने के लिए सीडी 64 मार्कर स्थापित किया है। इस मार्कर का सौ से अधिक मरीजों पर परीक्षण के बाद आम मरीजों के लिए जल्दी उपलब्ध होगा। संस्थान की इंवेसटीगेशन कमेटी  ने इसे पास कर दिया है। जांच का शुल्क लगभग 6 सौ तय किया है। प्रो.विकास अग्रवाल के मुताबिक यह जांच फ्लो साइटोमेटरी तकनीक से की जाती है जिसमें केवल दो घंटे का समय लगता है। बुखार होने का बैक्टीरियल कारण होने पर तुरंत एंटीबायोटिक शुरू कर गंभीरता को बढने से रोक सकते हैं। पहले केवल प्रो-कैल्सीटोनिन ही जांच विकल्प था जिससे 30 से 40 फीसदी में सटीक जानकारी नहीं मिल पाती थी। सीडी 64 बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर 90 से 100 फीसदी न्यूट्रोफिल में एक्सप्रेशन होता है।

वेस्कुलाइिटस और एसएलई में भी जांच है कारगर
प्रो.विकास के मुताबिक वेस्कुलाइिटस और एसएलई होने पर बुखार मुख्य लक्षण है । यह आटो इम्यून डिजीज है जिसमें इलाज के लिए इम्यूनो सप्रेसिव दवाएं दी जाती है। कई बार इलाज के बाद भी दोबारा बुखार होता है। तब बुखार का कारण बीमारी है या इंफेक्शन पता करना कठिन होता है। एेसे में सीडी 64 जांच से पुष्टि की जाती है।  इसी अाधार लाइन आफ ट्रीटमेंट तय किया जाता है। इस बीमारी में इस मार्कर की  उपयोगिता के लिए शोध किया जिसे जर्नल आफ क्लीनिकल इम्यूनोलाजी में स्वीकार किया है। शोध में डा. सजल अजमानी, हर्षित  सिंह, सौऱभ चतुर्वेदी, डा. मोहित कुमार राय, डा. अविनाश  जैन, डा. डीपी मिश्रा, प्रो, विकास अग्रवाल और प्रो.अारएन मिश्रा शामिल रहे।  

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