मंगलवार, 13 नवंबर 2018

बिना सिर खोले चलेगा पता कैसा है ब्रेन ट्यूमर

बिना सिर खोले चलेगा पता कैसा है ब्रेन ट्यूमर


पीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग ने स्थापित की स्टीरियो टेक्सी तकनीक

उत्तर भारत का तीसरा संस्थान जहां स्थापित हुई तकनीक

कुमार संजय । लखनऊ

आप संजय गांधी पीजीआई में बिना सिर खोल बताएगा ब्रेन ट्यूमर किस तरह का है।
इसके लिए संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग ने स्टीरियोटैक्सी तक ने का स्थापित किया है इस तकनीक के जरिए दिमाग के अंदर जाकर  ट्यूमर  के अंदर से निडिल बायोप्सी की जाती है। अभी तक ओपन सर्जरी कर दी ट्यूमर को निकालने के बाद जांच के लिए भेजा जाता था जिससे पता चलता था कि ट्यूमर कैंसर युक्त है या नहीं।  विभाग के प्रमुख प्रो. संजय बिहारी, प्रो. अरुण श्रीवास्तव, प्रो कुंतल दास, प्रो. वेद प्रकाश ने बताया कि इस तकनीक में पहले सीटी स्कैन कराया जाता है । सिर पर खास मैटेरियल से  बने फ्रेम को फिट करके सीटी स्कैन कराया जाता है।  फिर दोनो इमेज को विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए आपस में फ्यूज किया जाता है। स्टीरियो टेक्सी की खासियत होती है कि वह ट्यूमर का नेवीगेशन करता है।  कैसे और किस रास्ते पहुंचा जाए यह पता लगता है। यह तकनीक स्थापित करने वाले उत्तर भारत का तीसरा संस्थान बन गया है।  


नेवीगेशन से मिलती है ट्यूमर तक पहुंचने की सटीक जानकारी

प्रोफेसर कुंतल दास ने बताया कि कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर काफी हद तक टयूमर तक पहुंचने की मदद करता है।  कंप्यूटर पर ही सारी एक्सरसाइज करने के बाद मरीज को लोकल एनएसथीसिया देकर बायोप्सी निडिल से ट्यूमर की बायोप्सी ली जाती है। बायोप्सी दो तरफ से लेते हैं जिससे ट्यूमर का कोई कोना नहीं छूटता है।  बायोप्सी को हिस्टोपैथोलॉजी विभाग में जांच के लिए भेज दिया जाता है।  बायोप्सी लेने के बाद उसमें हवा पुष कर दिया जाता है फिर सीटी स्कैन कराया जाता है । सीटी स्कैन में हवा दिखता है इससे कंफर्म हो जाता है कि बायोप्सी सफल रही।

कई मामलों में बच जाएगी सर्जरी
 विशेषज्ञों ने बताया कि कई बार ट्मर होने पर र सर्जरी की जरूरत नहीं होती है । यही ट्यूमर दिमाग के भीतर हिस्से में है तो सर्जरी संभव नहीं होती।  इसके अलावा टयूमर छोटा है और कोई दिमाग पर प्रेशर नहीं डाला है तो इसकी भी सर्जरी जरूरत नहीं होती इस तरह इस तकनीक से अनावश्यक सर्जरी से मरीजों को बचा जा सकता है

  

ब्रेन ट्यूमर लगता है लेकिन होता ट्यूमर

कई बार सीटी स्कैन और एमआरआई में टयूमर जैसा दिखता है लेकिन ट्यूमर नहीं होता 20 से 40 वर्ष की उम्र के 40 से 50 फ़ीसदी लोगों में जो ट्यूमर दिखता है वह ट्यूमर नहीं होता बल्कि टीवी और न्यूरोसिस्टिसरकोसिस के कारण वह ट्यूमर जैसा दिखता है।  इस जांच से यह पता लग जाता है कि ट्यूमर नहीं है और बिना वजह सर्जरी से बच जाता है इस परेशानी में दवा से इलाज संभव होता है

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