सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

गर्भवस्था के दौरान फिजियोथिरेपी से कम होती है 40 फीसदी सीजेरियन की आशंका



पीजीाई में क्लीनिकल स्किल अपडेट आन फिजियोथिरेपी टेक्निक्स पर सीएमई
गर्भवस्था के दौरान फिजियोथिरेपी से कम होती है 40 फीसदी सीजेरियन की आशंका
 
प्रसव के बाद नहीं बैडोल रहेगा फिजिक 



सुरक्षित प्रसव और गर्भावस्था के कारण शरीर की बनावट में बदलाव रोकने में फिजियोथिरेपी कारगर साबित हो रही है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में तमाम रसायनिक बदलाव होते है जिसके कारण शरीर के बनावट में भी बदलाव अाता है। पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। कमर पर दबाव बढ़ जाता है। इससे गर्भावस्था के दौरान और बाद में परेशानी होती है। इस अवस्था में फिजियोथिरेपी लेकर तमाम परेशानियों से बचा सकता है। संजय गांधी पीजीआई में क्लीनिकल स्किल अपडेट आन फिजियोथिरेपी टेक्निक पर अायोजित सीएमई में डा. सूरज कुमार ने  बताया कि गर्भावस्था के दौरा फिजियोथिरेपी लेने से सर्जरी  की आशंका 30 से 40 फीसदी तक कम हो जाती  है। प्रसव के बाद गर्भावस्था के पहले का फिजिक भी पाया जा सकता है। महिलाएं कई बार फिजिक में खराबी के कारण परेशान रहती है।शुरूआती तीन महीनो में व्यायाम से न सिर्फ गर्भवती महिला बल्कि शिशु के शरीर में भी रक्त और ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है।  मांसपेशियों में कसाव आता है और महिला की प्रतिरोधक क्षमता व शारीरिक ऊर्जा में बढ़ोत्तरी होती है।गर्भवती महिला  कमर दर्द की तकलीफ से बच सकती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का वजन बढ़जाता है जिसे फिजियोथेरेपी  को बढ़ने से रोक सकती हैं।डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को अतिरिक्त चर्बी घटाने और वजन नियंत्रण करने में मदद मिलती है। 

फिजियोथिरेपी से 50 फीसदी बीमारी से निजात

 सीएमई का उद्घाटन अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश हर्ष वर्धन, कार्डियक सर्जन प्रो.एसके अग्रवाल, निश्चेतना विभाग के प्रो. देवेंद्र गुप्ता  और एमएस डा.एके भट्ट, एमएस डा.एके भट्ट ने करते हुए कहा  कि फिजियोथिरेपी के जरिए 40 से 50 फीसदी परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।  कहा कि तंत्रिका तंत्र की कमजोरी, अास्टियो अर्थराइिटस सहित कई परेशानी जिसमें दवा काम नहीं करती उसमें यह विधा काफी कारगर सबित हो रही है।  

वेंटीलेटर पर कम दिन रहेगा मरीज
डा. बृजेश त्रिपाटी, डा. संदीप शर्मा और डा. राजेंद्र कुमार ने बताया कि आईसीयू में वेंटीलेटर पर रहने वाले मरीजों में सही तरीके से फिजियोथिरेपी देकर निमोनिया, निमोनिक पैच, लंग कोलेप्स सहित तमाम परेशानियों को कम किया जा सकता है। देखा गया है कि सही तरीके से फिजियोथिरेपी देने से वेंटीलेटर पर रहने का सामय 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है। फेफडे में संक्रमित स्राव होता है जिसे इस तकनीक से स्राव को फेफडे से निकाल कर ट्रेकिया में लाते जहां से सक्शन कर स्राव को बाहर निकाल देते है इससे फेफडे में संक्रमण की आशंका कम हो जाती है। कहा कि हर आईसीयू में फिजियोथिरेपी विशेषज्ञ की तैनाती होनी चाहिए। 


मिलता है कब्ज और सिर दर्द से छुटकारा

डा. संतोष उपाध्याय ने बताया कि फिजियोथिरेपी की भूमिका शरीर  के जो़ड़ो तक ही सिमित नहीं है। पेट आदि जहां जोड़ नहीं है उसकी फिजियोथिरेपी कर शरीर के भीतरी अंगो को मोबलाइज कर कब्ज, अपच, भूख न लगना, शरीर में दर्द और सिर दर्द की परेशानी दूर की जा सकती है। सिर दर्द के 40 फीसदी मामलों में पेट की परेशानी कारण साबित होती है। इस तकनीक को विसरल मैनुपुलेशन कहते हैं।   
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें