शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

तो अब प्रतिभा भरेगी हौसले की उडान

...तो अब प्रतिभा भरेगी हौसले की उडान

दस साल भटकने के बाद मिला जिंदगी जीने का हौसला
पीजीआई के प्रो.विकास अग्रवाल के नुस्खे से मिली राहत 
कुमार संजय । लखनऊ
कोई जहर दे दे मर जाऊं।  एेसे जीने से क्या फायदा। मत कराअों कोई दवा जो होगा देखा जाएगा।  6 महीने पहले  कौशांबी जिले के ईशु पुरारा गांव की रहने वाली  23 वर्षीया प्रतिभा यही कहा करती थी । अब जीने की चाह है। घर -परिवार के लिए कुछ करना चहती हैं। संजय गांधी पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलाजिस्ट प्रो. विकास अग्रवाल और प्रो. दुर्गा प्रसन्ना की मेहनत रंग लायी । प्रतिभा की परेशानी कम हो गयी जिससे हौसले को पंख लग गए। प्रतिभा के लिए दस कदम चलना भी संभव नहीं था। सांस फूलने  लगती लेकिन अब वह दो से तीन किमी पैदल चल सकती है। एमए की पढाई की लिए वह कालेज जा रही है। प्रतिभा ने बताया कि 2006 में उसके हाथ-पैर की ऊंगलियों में घाव हो जाता था। मवाद नहीं पड़ता लेकिन पक जाता था । इसके बाद धीरे-धीरे सांस भी फूलने लगी। इलाहाबाद में तमाम सरकारी , निजि डाक्टरो ने इलाज किया लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं। स्थिति इतनी बिगड़ जाती थी हर महीने चार से पांच दिन के लिए भर्ती होना पड़ता था। दस साल इलाज के दर-दर भटकते रहे। इसी बीच एक डाक्टर साहब ने कानपुर भेजा वहां पर भी इलाज हुअा लेकिन कोई फायदा नहीं हुअा। जनवरी 2017 में कानपुर के डाक्टर साहब ने पीजीआई भेजा जहां पर यह डाक्टर साहब बीमारी को पकड़ कर इलाज शुरू किया। इलाज के बारे में बताया कि यह उनका खोजा हुअा इलाज है सहमति हो तो इलाज का नस्खा दें। हमने हां कर दिया । इलाज शुरू हुअा इलाज के दो महीने बाद से राहत मिलने लगी। अब बिल्कुल फिट सी हो गयी हूं। 

अार्थिक तंगी के कारण गयी थी टूट
प्रतिभा ने बताया कि हम दो बहन और तीन भाई है। पिता बेरोजगार है। माता अागन बाडी कार्यकत्री है। खेती भी नहीं है एेसे में हर महीने में15 से 20 हजार खर्च करना बडा कठिन था। केवल एक भाई जो सिपाही है वहीं पूरा घर चलाता है। मुझे लगता था कि मेरे कारण पूरा घर परेशान है। सिपाही का वेतन भी कम होता है एेसे में हमारा इलाज. बाकी भाई बहनो की पढाई बडी मुश्किल से काम चल रहा है। 

नहीं था विश्व में आईएलडी विथ स्कैलोडर्मा का इलाज 

प्रो. विकास अग्रवाल के मुताबिक प्रतिभा को  फेफडे की खास तरह की बीमारी आईएलडी है। जिसका विश्व में कोई खास इलाज नहीं है। पूरे विश्व में साइक्लोफास्फोमाइड दिया जाता है लेकिन इस दवा से बीमारी बढ़ने की दर में कुछ ही कमी देखी गयी है। इस बीमारी से ग्रस्त होने पर व्यक्ति का फेफडा पांच से सात साल में काम करना बंद कर देता है जिससे मौत हो जाती है। हम लोगों ने एेसे मरीजों को एेसी खास दवा खोजी है जिससे मरीज के बीमारी के कारण होने वाली  परेशानियों में कमी देखी गयी है।  खास नुस्खे मरीज को चार से पांच फीसदी तक अाराम मिला अभी तक विश्व में एेसा कोई नुस्खा नहीं था जिसमें मरीज को अाराम मिले।  मरीज और उनके परिजन की अनुमति के बाद नए कंबीनेशन को ट्राइ किय़ा।  इस नए नुस्खे से कई लोगों को राहत मिल रही है। इस बीमारी में फेफडे में स्थित स्थित सूक्ष्म रक्त वाहिकाएं कडी हो कर बंद हो जाती है जिससे फेफडा पूरी तरह अाक्सीजन नहीं ले पाता है और मरीज के शरीर में अाक्सीजन की कमी होने लगती है। बीमारी बढने के साथ फेफडा पूरी तरह काम करना बंद कर देता है।

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