रविवार, 21 अक्टूबर 2018

क्रिटकल केयर का हुनर प्रदेश के डाक्टरों को सिखाएगा पीजीआई

क्रिटकल केयर का  हुनर  प्रदेश के डाक्टरों को सिखाएगा पीजीआई


एक्यूट क्रटिकल केयर कोर्स का नोडल सेंटर बना पीजीआई

कम होगी आईसीयू में भर्ती की जरूरत
कुमार संजय । लखनऊ


बीमारी के कारण या इलाज के दौरान कई बार मरीज की स्थित इतनी खराब हो जाती है कि मरीज को आईसीयू में क्रिटिकल केयर की जरूरत पड़ती है। क्रिटिकल केयर के लिए रोज मरीज के तीमारदारों को 20 से 40  हजार तक खर्च करना पड़ता है। क्रिटिकल केयर की सुविधा सरकारी अस्पतालों में कम होने के कारण बेड के लिए लंबी वेटिंग रहती है। इस परेशानी को कम करने के लिए प्लान बनाया गया है कि सामान्य डाक्टर जिसमें सर्जन भी शामिल है उनको इतना ट्रेंड किया जाए कि वह क्रिटिकल केयर अपने अस्पताल  मौजूदा संसाधन के साथ उपलब्ध करा दें। इसके लिए विदेश की तर्ज पर प्रदेश में एक्टूट क्रिटिकल केयर ट्रेनिंग मेडिकल कालेज. जिला अस्पताल के डाकटर को दिया जाएगा। ट्रेनिंग के लिए इंग्लैंड, अास्ट्रेलिया लंदन के भारतीय मूल के विशेषज्ञ  पूरे कोर्स की पूर रेखा तैयार किया है। ट्रेनिंग के लिए संजय गांधी पीजीआई को नोडल सेंटर बनाया है। ट्रेनिंग की शुरूआत करते हुए प्रदेश के चालिस डाक्टरों को तीन दिन क्रिटिकल केयर का हुनर भी विशेषज्ञों ने सिखाया। विशेषज्ञों ने संस्थान के निदेश प्रो.राकेश कपूर से मुलाकात हर स्तर पर संस्थान को सहयोग देने को कहा है।  
 
भारतीय मूल के इन विदेशीयों ने चलाई मुहिम   
इंग्लैंड के प्रो. महेश निर्मल, डा. अजय शर्मा, लंदन के डा.शैलवा कुमार, आस्ट्रेलिया के डा. शांतनु भट्टाचार्य, यूके से गीता शेट्टी सभी अपने क्षेत्र के माहिर लोग है। इनका कहना है कि सभी डाक्टर चाहे वह मेडिसिन का हो या सर्जन सभी को क्रिटकल केयर अाना चाहिए इससे इलाज की सफलता दर बढ़ती है । इसके लिए हम लोगों पूरा प्रोटोकाल बनाया है जिसमें ए से लेकर जे तक ट्रिप्स है। सबसे अहम है खून, एक्स-रे जांच लास्ट स्टेप है लेकिन भारत में यह स्टेप पहले है। जांच से पहले क्या करना है इसके बारे में पूरी जानकारी दी गयी है।   

20  फीसदी को पड़ती है क्रिटिकल केयर की जरूरत

कोर्स को-आर्डीनेटर एनेस्थेसिया विभाग के प्रो.संदीप साहू ने बताया कि इलाज के लिए आने वाले कुल मरीजों में लगबघ 20 फीसदी मरीज एेसे होते है जिनको क्रिटकल केयर की जरूरत पड़ती है। अधिक बीमारी पड़ने और मौत में काफी दूरी होती है समय पर मैनेजमेंट कर इनको बचाया जा सकता है। बताया कि विदेशों में एक्टूट क्रिटकल केयर ट्रेनिंग के बाद भी प्रैक्टिस करने की अनुमति मिलती है लेकिन हमारे देश में एेसा नहीं है। इसी लक्ष्य को स्थापित करने के लिए प्रदेश के सभी डाक्टर को ट्रेनिंग देने का सिलसिला शुरू किया है। 40 लोगों को ट्रेंड किया है यह आगे दूसरे डाक्टर को ट्रेनिंग देने के लिए कोर्स का आायोजन करेंगे। हम हर स्तर पर सहयोग करेंगे।  

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