गुरुवार, 15 नवंबर 2018

अब नर्व एंड स्फिंटर स्पेयरिंग तकनीक से नहीं डैमेज होगा मल द्वार का नर्व

अब नर्व एंड स्फिंटर स्पेयरिंग तकनीक से नहीं डैमेज होगा मल द्वार का नर्व



मद द्वार के ऊपर कैंसर को निकलाने में 20 से 25 फीसदी में होता है नर्व डैमेज
खत्म हो जाता है मल पर नियंत्रण

बडी आंत के निचले हिस्से और मल द्वार के ऊपरी हिस्से में कैंसर युक्त गांठ की सर्जरी के दौरान नर्व और स्फिंटर डैमेज होेने की आशंका 20 से 25 फीसदी मामलों में रहती है लेकिन अब  नर्व एंड स्फिंटर स्पेयरिंग तकनीक ने इस आशंका को काफी हद तक कम किया जाता है। यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई में एसोसिएशन अाफ मिनिमल एसेस सर्जन अाफ इंडिया के वार्षिक अधिवेशन (एमासीकान -2018) में विशेषज्ञों ने दी। आयोजक प्रो.अशोक कुमार और प्रो. आनंद प्रकाश ने बताया कि नर्व डैमेज होने पर पुरूषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की परेशानी के साथ स्फिंटर डैमेज होने पर मल पर नियंत्रण खत्म हो जाता है जिससे मरीज की परेशानी बढ़ जाती है। अब हम लोग नर्व में ईसीजी( इंडो काइनिन ग्रीन) डाई इंजेक्ट कर देते है जिससे वह नर्व चमकती रहती है सर्जरी के दौरान नर्व को बचाना संभव हो जाता है। हम लोगों के पास कई मामले स्फिंटर और नर्व इंजरी  वाले आते है जिसमें स्फिंटो प्लास्टी कर रिपेयर करते हैं। विभाग के प्रमुख प्रो. राजन सक्सेना ने बताया कि वर्कशाप में विशेष रूप से नए सर्जन को सर्जरी की तकनीक सिखायी जा रही है। 

टीएमई सर्जरी से नहीं पड़ता कैंसर की सर्जरी की सफलता पर प्रभाव
प्रो. आनंद प्रकाश ने बताया कि कैंसर की सर्जरी में टोटल मीजो रेक्टल एक्सीजन( टीएमई) तकनीक इस्तेमाल करते है जिसमें बडी आंत के निचले हिस्से में सर्जरी करते है इससे कैंसर के पूरे सेल निकल जाते है। देखा गया है कि मल द्वार के पास सर्जन नहीं जाते है क्योंकि नर्व इंजरी का खतरा रहता है अब काफी नीचे जाकर भी सर्जरी की जा सकती है।

आंत को जोड़ने में लीकेज की रहती है आशंका
प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि आंत के खऱाब भाग के निकाने के बाद आपस में दोबारा जोड़ने पर कई बार लीकेज होने लगता है जिससे वहां पर मल जमा होने लगता है। एेसे मामलों को रोकने के लिए डाई के इस्तेमाल के साथ सर्जरी वाली जगह पर कम उर्जा डालना चाहिए जिससे वहां के सेल डैमेज न हों। अधिक एनर्जी जालने पर सेल डैमेज हो जाता जिससे आंत को अापस में जोडने पर जोड़ लीक कर जाता है। 


अब नहीं अटेगा बुद्धि का खाना

सर्जरी कर दुरूस्त किया स्फिंटर

64 वर्षीय बुद्धि खाना नहीं खा पाती थी जरा सा खाने पर वह अटक जाता था। कई गिलास पानी पीने के बाद  खाना पेट में जाता था। इसके लिए कई इलाज कराया लेकिन राहत नहीं मिली। कुछ दिन बाद दोबारा परेशानी खडी हो जाती थी। गुरूवार को पीजीआई में आयोजित कार्यशाला में कार्डियोमायोपैथी , फंडोप्लीकेशन सर्जरी कर इस परेशानी के निजात दिलायी गयी। इस परेशानी को  एकैल्शिया कार्डिया कहते है । स्फिंटर जो खाना आमाशाय के द्वार पर आते ही खुल जाता है लेकिन बीमारी होने पर यह नहीं खुलता है जिससे खाना खाने की नली में भरा रहता है। सर्जरी कर स्फिंटर को पूरा खोल दिया गया इसके साथ अामाशय का एसिड खाने की नली में न  आए इसके लिए आमाशाय के ऊपरी हिस्से को खाने की नली के निचले हिस्से में जोड देते है। इसके आलावा हार्निया के 6 , गाल ब्लैडर स्टोन दो सहित अन्य बैसिक सर्जरी का सजीव प्रसारण किया गया। 

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