आईएसए तैयार
करेगा एक लाख जीवन दूत
23 अक्टूबर को मनाया जाएगा वर्ड री स्टार्ट ए हार्ट डे
एक फीसदी से भी
कम लोगों को है सीपीअार की जानकारी
इंडियन एनेस्थेस्थेटिक
एसोसिएशन(आईएसए) एक लाख जीवन दूत तैयार करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस
योजना के तहत पहली बार 23 अक्टूबर वर्ड री स्टार्ट ए हार्ट डे मनाने का फैसला लिया
है। इस दिन एक लाख सामान्य लोगों को बंद होने के कगार कर पहुंच चुके दिल को दोबारा
शुरू करने का तरीका सीखाया जाएगा। इसे डाक्टरी भाषा में कार्डियक पल्मोनरी
रीसक्सेशन(सीपीआऱ) कहते है। संजय गांधी पीजीआई में अायोजित एसोसिएशन के सीएमई में
रीसक्सेशन सोसाइटी के चेयरमैन डा. चक्राराव, लोहिया संस्थान के निदेशक प्रो.
दीपक मालवीय, विवेकानंद अस्पताल के निदेशक प्रो. टी प्रभाकर, एम्स दिल्ली के प्रो. राकेश
गर्ग, पीजीआई के एनेस्थेसिया विभाग के प्रमुख प्रो. अऩिल अग्रवाल, प्रो.संजय धीराज ने बताया कि हम
लोगों को भारतीय रीसक्सेसन गाइड लाइन तैयार किया है जिसमें संसाधन युक्त और विहीन
दोनों जगह पर यह किया जा सकेगा। देखा गया है कि एक फीसदी से भी कम लोगों को
सीपीअाऱ के बारे में जानकारी होती है।
70 फीसदी में अस्पताल के बाहर होता
कार्डियक एरेस्ट
एक लाख में से 4280 लोगों को कार्डियक एरेस्ट होता
है जिसमें 70 फीसदी लोग अस्पताल के बाहर होते है । 90 फीसदी लोगों की जान सही समय पर
सीपीआऱ न होने चली जाती है। हम लोगों एेसे लोगों का जीवन बचाने के लिए अाम लोगों को सबसे अहम चेस्ट
कंप्रेशन की तकनीक के बारे में जानकारी देंगे जिसमें कक्षा नौ से 12 तक के छात्र पर फोकस होगा।
हर मिनट सीपीअार
में देरी से घटता 10 फीसदी जीवन
विशेषज्ञों ने
कहा कि कार्डियक एरेस्ट होने के बाद हर मिनट सीपीआऱ में देरी से 10 फीसदी तक जीवन की संभावना कम होती जाती है एेसे में 5 से 10 मिनट सीपीअार न होने पर मौत हो जाती है। घर के एक व्यक्ति
को सीपीआऱ की जानकारी है तो व्यक्ति को बचा कर अागे इलाज के लिए अस्पताल तक ला
सकता है।
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