शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

गर्भ में ठीक किया रक्त प्रवाह स्वस्थ्य शिशु ने लिया जंम

गर्भ में ठीक किया रक्त प्रवाह स्वस्थ्य शिशु ने लिया जंम
ट्रीटमेंट अाफ एकार्डिया बाई रेडियो फ्रिक्वेसी एबीलेशन तकनीक स्थापित करने वाला पीजीआई बना उत्तर भारत का दूसरा संस्थान  




कई बार एक एक कोख से जंम लेने वाले दो भाई या बहन एक दूसरे दुश्मन बन जाते है कि अंकिता के गर्भ में पल रहे दो संतान में से कमजोर(अर्धविकसित) संतान को स्वस्थ्य संतान को मजबूत बनाने के लिए अपने जीवन को खतरे में डाल दिया। समय पर संजय गांधी पीजीआई के  संजय गांधी पीजीआई के मैटर्नल एंड रीप्रोडेक्टिव हेल्थ के विशेषज्ञों की टीम ने स्वस्थ्य संतान में खून  की सप्लाई ठीक कर उसे इस काबिल बनाया कि वह दुनिया में अा सके। अंकिता के गर्भावस्था के पांचवें माह में विशेष तकनीक से खून की सप्लाई ठीक कर दिया उस शिशु ने बुधवार को जंम लिया। ट्रीटमेंट अाफ एकार्डिया बाई रेडियो फ्रिक्वेसी एबीलेशन तकनीक के जरिए स्वस्थ्य संतान को जंम दिलाने के बाद संजय गांधी पीजीआई उत्तर भारत का दूसरा संस्थान हो गया है जहां यह तकनीक स्थापित हो गयी है। विभाग की प्रमुख प्रो.मंदाकनी प्रधान, प्रो.इंदुलता साहू, प्रो. नीता सिंह  प्रो.संगीता यादव, जूनियर रेजीडेंट डा. श्रुति   ने इस सफलता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अंकिता  गर्भ ने गर्भधारण करने के बाद जब अंबेडकर नगर में अल्ट्रासाउंड कराया ।   डाक्टर ने कहा कि एक शिशु के साथ दूसरा गांठ जैसा कुछ है। अंकिता को पीजीआई भेज दिया ।  देखा कि गांठ जैसी दिखने वाला अवकसित भ्रूण है जिसे स्वस्थ्य शिशु खून सप्लाई कर रहा है। स्वस्थ्य शिशु के दिल पर अधिक भार पड़ रहा है जिसके कारण यह हार्ट फोल्योर की स्थित में आ गया है। एेसे में तुरंत स्वस्थ्य शिशु को बचाने के लिए अविकसित भ्रूण में खून की सप्लाई बंद करनी थी नहीं यह शिशु भी पर जाता। 

चुनौती को किया स्वीकार टीम ने बनाई पूरी योजना

खून की सप्लाई रोकना जटिल काम था लेकिन हम लोगों ने इस चुनौती का समना करते हुए तमाम अध्यन किया । तय किया गया कि रेडियोफ्रिक्वेसी तकनीक ही सुरक्षित तकनीक रहेगी। हम लोगों ने इस तकनीक का इस्तेमाल कर अविकसित शिशु में खून की सप्लाई को बंद किया। स्वस्थ्य शिशु का दिल धी-धीरे काम करने लगा । बुधवार को सर्जरी कर इसे जंम दिया गया जो सामान्य है। इस प्रक्रिया में चार घंटे लगे। 

भरी बाल्टी में गेद पर निशाना लगना था रक्त प्रवाह बंद करना

विशेषज्ञों ने बताया कि गर्भाशय में  भ्रूण  एेसे घूमते है जैसे भरी बाल्टी में गेद घूमता हो अब हम लोगों को दो मिमी की नस को फोकस करते वहां पर अारएफए निडिन को प्लेस करना था जो काफी जटिल था लेकिन यह हो पाया। निडिल प्लेस करने के बाद निडिल के टिप पर लगे इलेक्ट्रोड को हाई फ्रिक्वेसी देनी होती है जो गर्म हो कर वहां के टिशू को गला देता है जिससे रक्त प्रवाह बंद हो गया।             


गुरुवार, 23 अगस्त 2018

आईएसए तैयार करेगा एक लाख जीवन दूत ---23 अक्टूबर को मनाया जाएगा वर्ड री स्टार्ट ए हार्ट डे


आईएसए तैयार करेगा एक लाख जीवन दूत

23 अक्टूबर को मनाया जाएगा वर्ड री स्टार्ट ए हार्ट डे

एक फीसदी से भी कम लोगों को है सीपीअार की जानकारी







इंडियन एनेस्थेस्थेटिक एसोसिएशन(आईएसए) एक लाख जीवन दूत तैयार करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत पहली बार 23 अक्टूबर वर्ड री स्टार्ट ए हार्ट डे मनाने का फैसला लिया है। इस दिन एक लाख सामान्य लोगों को बंद होने के कगार कर पहुंच चुके दिल को दोबारा शुरू करने का तरीका सीखाया जाएगा। इसे डाक्टरी भाषा में कार्डियक पल्मोनरी रीसक्सेशन(सीपीआऱ) कहते है। संजय गांधी पीजीआई में अायोजित एसोसिएशन के सीएमई में रीसक्सेशन सोसाइटी के चेयरमैन डा. चक्राराव, लोहिया संस्थान के निदेशक प्रो. दीपक मालवीय, विवेकानंद अस्पताल के निदेशक प्रो. टी प्रभाकर, एम्स दिल्ली के प्रो. राकेश गर्ग, पीजीआई  के एनेस्थेसिया विभाग के प्रमुख प्रो. अऩिल अग्रवाल, प्रो.संजय धीराज ने बताया कि हम लोगों को भारतीय रीसक्सेसन गाइड लाइन तैयार किया है जिसमें संसाधन युक्त और विहीन दोनों जगह पर यह किया जा सकेगा। देखा गया है  कि एक फीसदी से भी कम लोगों को सीपीअाऱ के बारे में जानकारी होती है।

70 फीसदी में अस्पताल के बाहर होता कार्डियक एरेस्ट
एक लाख में से 4280 लोगों को कार्डियक एरेस्ट होता है जिसमें 70  फीसदी लोग अस्पताल के बाहर होते है । 90 फीसदी लोगों की जान सही समय पर सीपीआऱ न होने चली जाती है।  हम लोगों एेसे लोगों का जीवन बचाने के लिए  अाम लोगों को सबसे अहम चेस्ट कंप्रेशन की तकनीक के बारे में जानकारी देंगे जिसमें कक्षा नौ से 12 तक के छात्र पर फोकस होगा। 

हर मिनट सीपीअार में देरी से घटता 10 फीसदी जीवन 
विशेषज्ञों ने कहा कि कार्डियक एरेस्ट होने के बाद हर मिनट सीपीआऱ में देरी से 10 फीसदी तक जीवन की संभावना कम होती जाती  है एेसे में 5 से 10 मिनट सीपीअार न होने पर मौत हो जाती है। घर के एक व्यक्ति को सीपीआऱ की जानकारी है तो व्यक्ति को बचा कर अागे इलाज के लिए अस्पताल तक ला सकता है।   



शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

पीजीआई के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित

पीजीआई के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उत्कृष्ट कार्य  के लिए सम्मानित
  6 अन्य कर्मचारी सम्मानित


संजय गांधी पीजीआई संस्थान प्रशासन ने उत्कृष्ट कार्य के लिए विभिन्न संवर्ग के कर्मचारियों को सम्मानित किया। निदेशक प्रो. राकेश कपूर ने कहा कि संस्थान के सभी कर्मचारी और अधिकारी अच्छा काम करते है लेकिन संवर्ग का मनोबल बढाने के लिए यह सिलसिला शुरू किया। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह को सम्मानित किया गया। इन्होंने 
 ने संस्थान की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए। कई एेसे चोरो को पकडा जो वार्ड में मरीजों का पैसा और मोबाइल सहित अन्य समान चोरी करते थे। प्रशासनिक भवन के एक्जाम सेल के लक्ष्मी कांत, वीके रस्तोगी, रिकार्ड रूम के राम खेलावन, न्यूरो सर्जरी के सुनील यादव, वार्ड इंचार्ज कुट्टी  एवं हार्टीकलचर के राजेश मिश्रा को सम्मानित किया गया। निदेशक ने यह सम्मान झंडा रोहण के बाद अायोजित समारोह में प्लाजा पर प्रदान किया। 

पीजीआई, मेडिकल विवि संविदा कर्मचारियों के वेतन के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी समिति


पीजीआई, मेडिकल विवि  संविदा कर्मचारियों के वेतन के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी समिति 

विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा के अध्यक्षता में गठित समिति 15 दिन में देगी रिपोर्ट


संविदा कर्मचारियों के मानदेय में विसंगतियों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर  चिकित्सा शिक्षा विभाग ने समिति का गठन किया है जिसमें कहा गया है कि समिति अपनी रिपोर्ट 15 दिन के अंदर शान को उपलब्ध कराए। संजय गांधी पीजीआई, मेडिकल विवि एवं आरएमएल में अाउट सोर्सिग पर तैनात कर्मचारियों के वेतन पर विसंगित को लेकर विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अादित्य नाथ योगी ने विसंगति को दूर करने का निर्देश दिया था जिसके बाद विभाग ने समिति का गठन किया है।  सचिव चिकित्सा शिक्षा जयंत नारलीकर के अध्यक्षता में गठित समिति में मेडिकल विवि के कुलसिचव, एसजीपीजीआई के सीएमएस और वित्त अधिकारी, अारएमल संस्थान के सीएमएस एवं वित्त अधिकारी, मेडिकल विवि के सीएमएस एवं वित्त अधिकारी शामिल किए गए है। कर्मचारी नेताअों का कहना है कि आउट सोर्सिग कर्मचारियों को एम्स दिल्ली के समान मानदेय दिया जाना चाहिए लेकिन एेसा नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री के प्रति अाभार प्रकट करते हुए मांग किया कि इतना दिया जाए कि हम लोग बच्चों को खाना और अच्छी परवरिश दे सकें।  

सोमवार, 13 अगस्त 2018

खिलौने की बैटरी ने तबाह कर दिया नन्हे आर्यन का जीवन--पीजीआई ने निकाली गले में फंसी बैटरी


खिलौने की बैटरी ने तबाह कर दिया नन्हे आर्यन का जीवन
बैटरी तो निकल गयी जल गयी है खाने की नली
थोडी सी सावधानी से बचा सकते है तबाह होने से जिंदगी
जागरण संवाददाता । लखनऊ
सफीपुर उन्नाव के रहने वाले अमित के 8 महीने के बेटे आर्यन ने खिलौनी वाले गोल बैटरी निगल गया। घर वालों ने ध्यान नहीं दिया। बच्चा दूध पीना बंद कर दिया । परेशानी बता नहीं सकता था । घर वालों ने सोचा कि कोई हल्की परेशानी होगी ठीक हो जाएगी लेकिन जब राहत नहीं मिली तो नजदीकी डाक्टर को दिखाया तो बताया कि गले में कुछ फंसा है । घर वाले तमाम कोशिश किए कि फंसी चीज निकल जाए लेकिन नहीं निकला। घर वाले पीजीआई के इमरजेंसी में अए जहां पर  पिडियाट्रिक गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डाक्टर ने देखने के बाद बच्चे को अपने वार्ड में शिफ्ट कर लिया। विभाग के प्रो. मोनिक सेन शर्मा ने इंडोस्कोपी कर फंसे वस्तु को निकाला तो देखा कि वह गोल खिलौनी वाली बैटरी है जो लंबे समय गले में फंसे होने के कारण उसमें एसिड का रिसाव हुअ जो खाने की नली को भी जला दिया है। फिलहाल बच्चे को घर भेज दिया गया है केवल दूध पिलाने को कहा गया लेकिन अगे चल कर खाने की नली में सिकुडन की पूरी अशंका है जिसे बार दूर-दूर करना पडेगा । इससे भी रहात न मिली तो पूरी सर्जरी नई खाने की नली बनानी पडेगी। प्रो. मेनिक कहते है कि घर वालों की लापरवाही और अनजाने पन के शिकार केवल अर्यन की नहीं इस तरह के लगभग 15 बच्चे हमारे पास अंदर ट्रीटमेंट है। इसकी वजह से बच्चों का जीवन तबाह हो रहा है साथ ही घर वाले परेशानी में पड़ रहे हैं।

गोल बैटरी जला ही अंदर तक खाने की नली

 गोल बैटरी में लीथियम होता है जो एल्कली होता है। धीरे-धीरे एसिड स्रावित हो कर खाने की नली की भतरी सतह को भी जला देता है यदि दो चार घंटे में निकल गया होता तो खाने की नली नहीं जल्ती । इसे लिक्वी फैक्टिव निक्रोसिस कहते है जो बाद में खाने की नली में सिकुडन पैदा करेगा।     


क्या करें उपाय
-    बैटरी वाले खिलौने न खरीदें
-    बैटरी वाला खिलौना खरीद रहे तो देखे कि सेल गोल वाले न हो लंबे वाले हो
-    खिलौने के सेल को जंग लगने से पहले अच्छे से निस्तारित करें
-    बैटरी स्क्रू से टाइट हो वह खिलौना लें
-    जितनी जल्दी हो सके तुरंत गले में फंसे बैटरी को निकलवाएं

रविवार, 12 अगस्त 2018

प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों में डाक्टरों को रिटारमेंट के बाद पांच साल के लिए मिल सकती है तैनाती


प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों में डाक्टरों को रिटारमेंट के बाद पांच साल के लिए मिल सकती है  तैनाती
 हर विभाग में बन जाएगा दो पावर सेंटर
 पीजीआई फैकल्टी फोरम ने कहा हर स्तर पर होगा विरोध
रिटारमेंट के बाद प्रदेश के मेडिकल कालेजों में दी जाए तैनाती
संजय गांधी पीजीआई, मेडिकल कालेज सहित अन्य संस्थानों में  संकाय सदस्यों को 65 के बाद पांच साल और मौका देने के लिए पुर्न नियुक्ति देने का मनसौदा तैयार कर लिया गया। संस्थान के फैकल्टी फोरम का कहना है कि इसके लिए एक कमेटी चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बनायी थी जिसने संस्थान के एक्ट के अनुसार दो बारा तैनाती देने की बात कही है । फैकल्टी फोरम के सचिव पो.एमएस अंसारी और अध्यक्ष प्रो अशोक कुमार  ने कहा है कि संकाय सदस्यों को रिटायरमेंट के बाद पांच साल के लिए दोबारा तैनाती दी जा रही है  जो गलत है। इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। मिली जानकारी के मुतबाकि दो बारा तैनाती पाने वाले डाक्टर सीधे निदेशक को रिपोर्ट करेंगे। इनका  विभागध्यक्ष से कोई मतलब नहीं होगा एसे में विभाग में अफरा-तफऱी का माहौल बन जाएगा। कब वह छुट्टी पर किसे ओपीडी भेजा जाए जैसे कई जानकारी न होने पर मरीजों को परेशानी होगी। इससे विभाग में दो पावर सेंटर बन जाएगा इससे गुटबाजी को बढावा मिलेगा। 

जहां जरूरत है वहां पर दोबारा दी जाए तैनाती
प्रो.अंसारी ने कहा कि विभाग के प्रमुख जो होने वाले उनसे पूछा जाए कि उन्हें विभाग में डाक्टर की जरूरत है या नहीं तब दो बारा तैनाती दी जाए । कई विभागों में इतने संकाय सदस्य है कि बैठने की जगह तक नहीं है एेसे में उन विभागों में रिटायर होेने वाले संकाय सदस्य को दोबारा तैनाती देना गलत है। बिना जरूरत के दोबारा तैनाती केवल संस्थान प्रशासन चहेतो को ओबलाइज किया जा रहा है। दोबारा तैनाती पर इन्हें वेतन और पेंशन सहित कई सुविधाएं दी जा रही है । रिटायरमेंट  के बाद इन्हें रखना ही है तो प्रदेश के मेडिकल कालेजों में भेजा जाए वहां पर डाक्टरों की कमी है। 

यह समिति में शामिल
संजय गांधी पीजीआई के अपर निदेशक जयंत नारलीकर, मेडिकल विवि के डा. सिदार्थ कुमार दास, चिकित्सा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय डा.एन सी प्रजापति, मेडिकल विवि के डा. विनीत शर्मा, पीजीआई सीएमएस डा. अमित अग्रवाल, पीजीआई के बायोस्टेटिक्स के डा. उत्तम सिंह , मेडिकल विवि के वित्त अधिकारी मु.जमा की कमेटी बनी है जिसने एक्ट के अनुसार दो बारा तैनाती को हरी झंडी दी है।


पीजीआई अाफीसर वेलफेयर एसोसिएशन और फैकल्टी फोरम भी नियमावली में बदलाव के लिए एक साथ


पीजीआई अाफीसर वेलफेयर एसोसिएशन और फैकल्टी फोरम भी नियमावली में बदलाव
के लिए एक साथ


नियमावली संशोधन की मांग कर रहे कर्मियों ने आन्दोलन की धमकी दी


संजय गांधी पीजीआई नियमावली 2011 के संशोधन के मुद्दे पर संस्थान के समस्त
कर्मचारीसंगठन और आफीसर वेलफेयर ने संयुक्त मोर्चे की बैठक हुई जिसमें मोर्चे ने
आन्दोलन की चेतावनी दीहै। फैकल्टी फोरम से भी संयुक्त मोर्चे ने समर्थन मांगा है जिस पर फोरमने कहा कि हम इस मुद्दे पर साथ है।https://ssl.gstatic.com/ui/v1/icons/mail/images/cleardot.gifकर्मचारी नेताओं का कहना है कि नियमावली संशोधन के मुद्दे पर पीजीआईप्रशासन ढुलमुल रवैया अपना रहा है। आन्दोलन की रूपरेखा की घोषणा मोर्चाआगामी बैठक में करेगा।
बैठक में शामिल संयुक्त मोर्चा के बैनर तले जुटे नेताओं ने कहा कि नियमावली 2011 में त्रुटियों की वजह से संस्थान के कर्मचारियों को एम्स, दिल्ली की समतुल्यता नहीं मिल पा रही है। जिसकी वजह से वेतनमान व अन्य भत्ते पीजीआई में लागू होने में काफी विलम्ब हो रहा है। जिसको लेकरकर्मचारियों में भारी आक्रोश है। बैठक में मुख्य रूप से प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह के अलावा सीएल वर्मा, केके तिवारी, सीएल वर्मा, एनपी श्रीवास्तव, सतीश मिश्रा, राम कुमार सिन्हा, धर्मेश कुमार, रेखा मिश्रा,सावित्री सिंह, सीमा शुक्ला, अमर सिंह ने नियमावली संशोधनपर अार -पार की लडाई लड़ने को कहा। कहा कि नियमावली संशोधन के मुद्दे सेपीजीआई प्रशासन बच रहा है।  निमावली- 2011 के संशोधन के सम्बंध में राज्यपाल,सीएम और विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन दिया था। राज्यपाल और सीएम के हस्ताक्षेप के बादपीजीआई प्रशासन ने कमेटी बनायी थी। पर अभी तक कमेटी ने यह रिपोर्ट
सार्वजनिक नही की है। बैठक में तुलसी झा, सुजान सिंह, जितेंद्र यादव,प्रेम सिंह बिष्ट, ओमप्रकाशबेचेलाल, चंद्रप्रभा, हेमंत वर्मा, जंग.बहादुर सिंह ज्ञानचंद्र, वीर सिंह यादव, उमेश चंद्र श्रीवास्तव समेत,दर्जनों कर्मचारियों ने एक स्वर में नियमावली संशोधन के मुद्दे परप्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद की।


पीजीआई - एक नर्स से भरोसे तीस किडनी के गंभीर मरीज

पीजीआई - एक नर्स से भरोसे तीस किडनी के गंभीर मरीज

रविवार की रात  वार्ड के तीस मरीज रहे एक नर्स के भरोसे

कभी भी मरीज के जान पर बन सकती है यह कमी



संजय गांधी पीजीआई का नेफ्रोलाजी वार्ड ए रविवार की पूरी रात एक नर्से के भरोसे रहा।  वार्ड में तीस गंभीर मरीज है जिनकी किडनी काम नहीं कर रही है । साथ में तमाम दूसरी परेशानी भी है । इन मरीजों को अधिक  केयर की जरूरत है लेकिन एक नर्स कितनी केयर कर पाएंगी यह बडा सवाल है। वार्ड में भर्ती राम अनुज के परिजन  कहते है कि हम लोगों को सिस्टर  बता दिया है कि यह दवा खा लेना। जब कोई परेशानी हो तो एेसा कर लेना यानि हम लोगों को अपने मरीज की केयर करनी पड रही है।  नर्सेज का कहना है कि  इंचार्ज की बेरुख़ी से तिलमिलाया उपचारिका स्टाफ़ भी स्थानांतरण की राह पर चल पड़ा है। देश का चौथा बड़ा चिकित्सीय संस्थान उचाधिकारियो की उपेक्षा का शिकार हो चुका है।  सामान्य चिकित्सालय में भी ६ मरीज़ों पर एक उपचारिका का प्रविधान है लेकिन यहां की तीन नर्सेज को ट्रामा सेंटर भेज दिया गया जिसके कारण और कमी हो गयी। एक नर्से ने ट्रांसफर ले लिया।  उपचारिका स्टाफ़ की कमी से जूझता किडनी रोग वार्ड ए प्रतिदिन स्तानांतरण की अर्ज़ी लगाने को मजबूर शेष स्टाफ़ उच्चाधिकारियों के चेम्बर के बाहर ट्रांसफर के लिए चक्कर काटते नज़र आते हैं।

सोमवार, 6 अगस्त 2018

हर अाठवां बच्चा है न्यूरो डिवलमेंट डिसअार्डर का शिकार


हर अाठवां बच्चा है न्यूरो डिवलमेंट डिसअार्डर का शिकार


ग्रमीण क्षेत्र के बच्चों और लड़कों में अधिक है न्यूरोलाजिकल डेवलपमेंट की परेशानी

देश और विदेश के 53 संस्थान के विशेषज्ञों ने पहली बार किया शोध


हर अाठवं बच्चा न्यूरो डेवलेपमेंट डिसअार्डर का शिकार है। इसके चलते बच्चों का जीवन खुद और परिवार पर बोझ बन जाता है। इसके पीछे जंम के बाद संक्रमणसमय से पहले प्रसवप्रसव के दौरान सही देख भाल न होनाप्रसव के दौरान बच्चे में अाक्सीजन की कमी, डाक्टरी देख-भाल में प्रसव न होना भी बडा कारण है। इस तथ्य़ का खुलासा दो से नौ साल के 3964 बच्चों पर शोध के बाद विशेषज्ञों ने किया है । देका कि एनडीडी के शिकार कुल बच्चों मे से 21.7 फीसदी बच्चों में दो से अधिक प्रकार की न्यूरो की परेशानी है। इन बच्चों में शोध दो अायु वर्ग में बांट कर किया गया तो देखा गया कि दो से साल  अायु वर्ग के 9.2 फीसदी और से अायु वर्ग के 13.6 पीसदी बच्चों में एनडीडी की परेशानी है। सुनने की परेशानी 5.9, इंटीलेक्चुअल डिसअार्डर जिसमें तार्किक क्षमता कम होती है यह 8.3। बोलने में परेशानी 3.2। मिर्गी की परेशानी 3.3 , सीखने की क्षमता में कमी 1.6 फीसदी देखने को मिली। देखा गया कि लड़कों में यह परेशानी 12.4 और लड़कियों में 10.2 फीसदी देखी गयी। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में यह परेशानी 12.6 और शहरी क्षेत्र में यह परेशानी 10.1 फीसदी देखी गयी। इसके अलावा सरीब्रेल पल्सीन्यूरो मस्कुलर डिसअार्डर की परेशानी साथ में देखी गयी है। विशेषज्ञों कहना है कि न्यूरो डिसअार्डर से निपटने के लिए सही तरीके से प्लानिंग की जरूरत है। 

एेसे हुअा शोध 

लखनऊ सहित देश और विदेश के 53 संस्थान के विशेषज्ञों ने मिल कर 3964 बच्चों पर शोध किया जिसमें इनमें न्यूरो लाजिकल परेशानी जानने के लिए फिजिकल और रेडियोलाजिकल मानक पर पुष्टि के बाद किया गया। 

क्या है न्यूरो डेवलेपमेंट डिसअार्डर
न्यूरो डवलमेंट आनुवांशिकमस्तिष्कसंज्ञानात्मकभावनात्मक और व्यवहार प्रक्रियाओं के बीच एक गतिशील अंतर-संबंध है। पर्यावरणीय और अनुवांशिक जोखिम के कारण इस गतिशील प्रक्रिया में महत्वपूर्ण और लगातार व्यवधान न्यूरो डिफार्म मेंटल विकार और अक्षमता का कारण बन सकता है इसमें दृष्टि विकार मिर्गी सेरेब्रल पाल्सी श्रवण हानि (एचआई)भाषण और भाषा विकारऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी)बौद्धिक विकलांगता (आईडी)ध्यान की कमी अति सक्रियता विकार सहित न्यूरोमोटर की हानि (एडीएचडी)और सीखने विकार (एलडी) बीमारी शामिल है।