बुधवार, 27 सितंबर 2017

4.8 फीसदी होती है लड़किया छेड छाड़ का शिकार

टीव टीजिंग के न करें नजंरदाज
मल्टी पर्सनालटी डिसआर्डर के शिकार करते है हरकत
4.8 फीसदी होती है लड़किया छेड छाड़ का शिकार
सिरफिरों को लगता है अपनी बात मनवाने में होंगे कामयाब
 कुमार संजय। लखनऊ





हर जगह सिरफिरे आशिक एक जैसे होते है  बस जगह और इनसान का नाम बदल जाता है। अगर इन्हें कोई लड़की पसंद आई तो ये उसका पीछा करना शुरू कर देते हैं। अपनी बात रख भी दी तो रिजेक्शन की वजह से उससे रंजिश पाल लेते हैं। इसका अंजाम लड़की और उसके घरवालों को भुगतना पड़ता है । कोई स्टडी तो नहीं है लेकिन विशेषज्ञ कहते है कि  राजधानी में हर रोज आठ से दस मामले समाने आते है जिसमें एक दो केस रिपोर्ट होते हैं।
प्रदेश में जो केस पुलिस में रिपोर्ट होती है उसके मुताबिक 4.8 फीसदी लडकियां छेडछाड़ का शिकार होती है। विशेषज्ञ कहते है कि  आपका पीछा करने वाले सिरफिरे परेशानी का सबब बनेंआप कुछ सावधानी बरतकर खुद को सेफ कर सकती है। मेडिकल विवि के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा.एसके कार कहते है कि तमाम मामलों में छेडखानी  करने वाले लोग किसी तरह की मानसिक बीमारी का शिकार नहीं होते लेकिन कुछ केस में लोग पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार होते हैं। इसके अलावा अपने को मर्द साबित करने, दोस्तों के संगत, एंटी सोशल मेंटिलिटी सहित कई कारण है जिसके कारण यह ऐसी हरकत करते हैं। इन्हें लगता  सामने वाले शख्स को अपनी बात मनवाने में कामयाब हो जाएंगे। इसके लिए बड़ा खतरा तक उठाने के लिए तैयार हो जाते हैं।  
इनसे रहें सजग 

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जो लोग कभी किसी के साथ करीबी रिलेशनशिप में होते हैं और बाद में रिश्ते बिगड़ने की वजह से अलग हो जाते हैं। इनके का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं।

- कैजुअल फ्रेंड्स भी सिरफिरे आशिक बन जाते है। कई बार यह पड़ोस में रहने वाले भी होते हैंजिसकी वजह से लोगों को घर तक बदलना पड़ता है।
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पने साथियों के साथ प्रफेशनल रिलेशन है। स्टूडेंट्सपेशंट्सक्लाइंट्स या टीचर्स का सबसे ज्यादा पीछा किया जाता है।
- यह कब  और कैसे कोई उनका पीछा कर रहा है इनका पता नहीं लगता। 




ऐसे इन्हें  पहचानें
ज्यादातर इस गलतफहमी में जीते हैं कि सामने वाला शख्स उनसे प्यार करता है पर वह उसे जाहिर नहीं कर पा रहा। इसी के चलते वे ग्रीटिंग और दूसरे गिफ्ट्स भेजते हैं।
स्कूलकॉलेज और ऑफिस जैसी जगहों पर ये आपका पीछा करते हैं। ये हर उस जगह आपको नजर आ जाएंगेजहां आप रोज तय समय पर जाते हैं।
अननोन नंबर या आईडी से मेसेज या ई-मेल करने वाले।
सोशल मीडिया पर आपके बारे में अफवाह फैलाने वाले या ज्यादा करीबी बनने वाले।
किसी अनजान शख्स का आपके दोस्तों से लेकर पड़ोसीसाथीकर्मचारी और दूसरे जानने वालों से आपके बारे में जानकारी हासिल करना।

ऐसे निपटें
अगर कोई आपका पीछा कर रहा है या फिर फोनकर रहा है तो उसे क्लियर मेसेज दें कि आपको उसमें इंट्रेस्ट नहीं। इस दौरान चिल्लाने और ज्यादा पोलाइट होने की जरूरत नहीं।
कभी भी इनसे अकेले न मिलें।
अगर आपके साथ कोई अजीब घटना हो या ऐसा मेल आए तो उसकी पूरी डिटेल संभालकर रखें। बाद में इन्हें आप आरोप साबित करने के लिए एविडेंस की तरह यूज कर सकते हैं।

अगर कोई थ्रेट कॉल आए तो बच्चों की सिक्योरिटी का खास ख्याल रखें क्योंकि बच्चे आसान टारगेट होते हैं। आपस में कोड डिवेलप करेंताकि कोई भी यह कहकर न ले जाए कि पैरंट्स बुला रहे हैं।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित करें। फोटोज या दूसरी एक्टिविटीज ओपन न रखें।
इस तरह की घटना को पुलिस और पैरंट्स से शेयर करें। पैंरट्स भी अपनी लड़की को डांटने के बजाए उसे सपोर्ट करें।


इमोशनली भी करते हैं कमजोर

राधिका कहती है कि उसके वाल पर गंदी  फोटोज पोस्ट की गई थींजिससे वह इस कदर परेशान हो गई वह मानसिक रोगी हो गयी। पढाई में कमजोर हो गयी। दरअसल एक साथी हमारी वाल पर नजर रख रहा था। कुछ वक्त पहले उसने शादी का प्रस्ताव रखा थाजिसे उसने मना कर दिया था। इसका बदला लेने के लिए उसने छात्रा को मेंटली परेशान करना शुरू किया। सायकायट्रिस्ट के मुताबिकइस तरह के लोग न सिर्फ फिजिकली बल्कि इमोशनली भी कमजोर कर देते हैं। इसमें पीड़ित पोस्ट ट्रामैटिक डिसऑर्डर का शिकार हो जाता है। इसमें नींद न आनाबेचैनी और घबराहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं। 



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