गुरुवार, 21 सितंबर 2017

जपानी इंसेफेलाइिटस से निपटने के लिए बनाया नैनो मेडिसिन

जेई के प्रभाव को कम करना होगा संभव 

नैनो मेडिसिन खुद बनायी अौर रहा सफल


कुमार संजय। लखनऊ
 
बायोलाजिकल नैनो मेडिसिन (एसअाईअारएनए) को यदि समय रहते मरीज के रक्त में सीधे डाल दिया जाए तो यह सीधे दिमाग में जाकर जेई से दिमाग में होने कुप्रभाव की तीव्रता को कम करता है। इस खोज को अंजाम दिया है संजय गांधी के शोध छात्र डा. धर्मवीर सिंह । इस शोध को लिए इन्हें शनिवार को डाक्ट्रेट की डिग्री प्रदान की गयी। डा. धर्मवीर ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइिटस के कारण दिमाग के बाहरी अावरण मेनेनजाइना में सूजन अा जाता है जिसके कारण बुखार के साथ कई तरह की परेशानी होती है। कई बार दिमाग में अदिक दबाव पडने पर शरीर के अंग भी काम करना बंद कर देते है। जेई के कुप्रभाव को कम करने के लिए एनीमल माडल पर हमने शोध वैज्ञानिक प्रो.टीएन ढोल के निर्देशन में शोध किया। एनीमल माडल को पहले जेई वायरस से संक्रमित किया । संक्रमित करने के बाद इनमें जेई का लक्षण तीन दिन बाद से दिखने लगा। इसी के साथ कुछ वर्ग के माडल में मैने बायोलाजिकल नैनो मेडिसिन सीधे इंट्रावेनश इंजेक्ट किया तो देखा कि जिनमें यह दवा दी गयी थी उनमें जेई के लक्षण की तीव्रता कम थी अौर वह बच गए लेकिन जिनमें यह दवा दी नही दी गयी उनमें लक्षण अधिक तीव्र थे अौर जीवित नहीं रह सके।  हमने खुद ही यह दवा तैयार की है । इस दवा की उपयगोति के लिए अागे और परीक्षण की जरूरत है। 


शोध के साथ स्वाइन फ्लू मरीजों के लिए नहीं देखा दिन अौर रात

डा. धर्मवीर ने केवल खुद के शोध पर ध्यान नहीं दिया बल्कि प्रदेश में जब स्वाइन फ्लू का प्रकोप हुअा तो इन्होंने शोध के साथ मरीजों के नमूनों की जांच के लिए सुबह सात बजे रात दो बजे तक कई चरणों में जांच किया जिसकी रिपोर्ट मरीजों को अगले दिन या उसी दिन दिया । बताया कि 2015  में जांच की सुविधा केवल पीजीआइ में थी जब रोज 150 से 200  मरीजों की जांच करते थे । विभाग के मैन पावर नहीं था इसलिए टेक्नोलाजिस्ट वीके मिश्रा के साथ मिल कर जांच को अंजाम दिया। डा.धर्मवीर कहते है कि केवल अपने काम पर केवल फोकस नहीं करना चाहिए जन कल्याण के लिए भी काम करना चाहिए। बस्ती जिले के रहने वाले डा.धर्मवीर की योजना अभी फिलहाल जेई पर भारत में रह कर शोध करना है । पिता हरिशंकर  सिंह छोटी नौकरी करते है अौर मां गृहणि है उनकी त्याग अौर तपस्या से हमने यह मुकाम हासिल किया है। 

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