शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में होगा हीमोबिजलेंस

प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में होगा होमोबिजलेंस

रक्त दान से लकर रक्त चढाने के बाद कम होगी परेशानी

रक्त भी है दवा

जागरणसंवाददााता। लखनऊ


रक्तदान से लेकर रक्च चढाने के बाद तक रक्तदाता अौर मरीज में परेशानी की अाशंका  रहती है। इस अाशंका को कम करने के लिए भारत सरकार ने हीमो बिजलेंस कार्यक्रम शुरू किया है। संजय गांधी पीजीआइ के अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रो. राजेश हर्ष वर्धन को उत्तर प्रदेश अौर उत्तराखंड के लिए नेशनल हीमो विजलेंस एडवाइजरी कमेटी का सदस्य बनाया गया है। शुक्रवार को हीमो बिजलेंस पर सीएमई का अायोजन किया गया जिसमें बताया कि प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में इसे लागू करने की योजना पर काम हो रहा है। प्रो. हर्ष वर्धन एवं नेशनल इंस्टीट्यूट अाफ  बायोलाजिक्स की डा. रेबा छाबडा ने बताया कि खून चढ़ाने के दौरान दो से पांच  फीसदी लोगों में खून के कारण परेशानी खड़ी हो जाती है। इस परेशानी से मरीजों को बचाया जा सकता है। यह वह अांकड़ा जिसकी रिपोर्टिंग होती है विशेषज्ञों का अनुमान है कि खून चढ़ाने के कारण होने वाले एडवर्स रिएक्शन की दर कहीं अधिक है। विशेषज्ञों ने कहा कि सभी ब्लड बैंक रिएक्शन फार्म खबन के साथ भेजे अौर डाक्टर उस रिएक्शन फार्म को वापस ब्लड बैंक वापस करें लेकिन एेसा कई ब्लड बैंक नहीं करते हैं अौर न डाक्टर करते हैं। खून को दवाअों के श्रेणी में रखा गया है। खून के कंपोनेंट प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, अारबीसी अलग -अलग कर चढ़ाया जाता है। सबको मिला कर 2.5 से 4 फीसदी लोगों में एडवर्स रिएक्शन होता है।    नेशनल इंस्टीट्यूट अाफ बायोलाजिक्स ने इस दौरान होने वाले रिएक्शन को रोकने के लिए लगातार अभियान चला रहा है।    रिएक्शन का पता लगाने के लिए विशेष रिपोर्टिंग फार्म तैयार किया गया है जिसमें मरीज की सभी सूचनाएं देनी होती है ।  संस्थान के विशेषज्ञों के कहना है कि हम लोग  पहले से एडवर्स रिएक्शन फार्म तैयार किए हुए है जिसे विभागों के पास भेजा जाता है। 

देश भर में है 2760 ब्लड बैंक को लाइसेंस

देश भर में 2760 ब्लड  बैंक को लाइसेंस दिया गया है। इस हीमो विजलेंस प्रोग्राम में इन सभी ब्लड बैंकों को शामिल किया गया है। यह लाइसेंस स्टेट ड्रग कंट्रोलर जारी करता है जिसमें सभी मानक पूरे होते हैं। तमाम निर्देश के बाद  भी कई ब्लड बैंक जानकारी नहीं देते हैं। ब्लड चढने के बाद लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं।  इस लिए खून लेने वाले विभाग के डाक्टर को चाहिए कि ट्रांसफ्यूजन के बाद फार्म भर कर वापस विभाग को भेजे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें